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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्रों ने सोमवार को अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. छात्रों की मांग थी कि उनकी बढ़ाई गई हॉस्टल फीस और अन्य तरह के भत्तों को तुरंत वापस लिया जाए. संसद तक मार्च निकालने के लिए सड़कों पर उतरे छात्रों का सामना सीधे पुलिस से हुआ. कई बैरिकेडिंग पार कर छात्रों ने संसद तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन पुलिस और सीआरपीएफ ने उन्हें रोक लिया.
इस दौरान पुलिस ने छात्रों पर जमकर लाठियां बरसाईं. कई छात्रों को घसीटा गया और पीटा गया. लेकिन इस पर दिल्ली पुलिस अब कुछ कहने को तैयार नहीं है. दिल्ली पुलिस ने तो ये भी दावा किया है कि इस दौरान उनके 30 जवान घायल हुए हैं, जबकि सिर्फ 15 छात्रों को चोटें आई हैं.
दिल्ली पुलिस की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक जेएनयू छात्रों ने धारा 144 लागू होने के बाद भी संसद की तरफ बढ़ने की कोशिश की. लेकिन कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उन्हें रोकना पड़ा. इस दौरान कई बार पुलिस और छात्रों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई.
दिल्ली पुलिस छात्रों के इस विशाल मार्च को रोकने के बाद अपनी पीठ थपथपा रही है. पुलिस की तरफ से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक किसी भी छात्र पर लाठी चार्ज नहीं किया गया. पुलिस ने ये भी दावा किया है कि उसने बड़ी आसानी से पूरे मार्च को शांत करा दिया और इस दौरान वॉटर कैनन और टियर गैस का भी इस्तेमाल नहीं करना पड़ा.
क्विंट ने इस मामले पर पुलिस का पक्ष जानने के लिए डीसीपी सेंट्रल एसएस रंधावा से बात की. जिसमें उन्होंने बताया,
दिल्ली पुलिस के इन दावों की पोल सोमवार को जेएनयू छात्रों के मार्च से आ रही तस्वीरें खोल रही थीं. जिनमें साफ दिख रहा था कि पुलिस छात्रों को खदेड़ रही है. वहीं कई छात्रों के सिर से खून, छिले हुए हाथ-पैर और पीठ पर लाठियों के निशान नजर आए. छात्रों का दावा है कि पुलिस ने जानबूझकर शांति से मार्च कर रहे छात्रों को लात-घूसों से मारा. जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष बालाजी ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने कई ऐसे छात्रों को भी निशाना बनाया है जो दिव्यांग हैं.
उन्होंने बताया कि एक दिव्यांग छात्र जो मार्च या प्रदर्शन के दौरान गाने का काम करता है, उसे पुलिस वालों ने जमकर पीटा. यहां तक कि उसकी छाती पर पुलिस के जूतों के निशान भी हैं. घायल होने के बाद उसे एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया.
जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष एन साई बालाजी ने पुलिस के दावे को झूठा बताते हुए कहा कि लगभग 200 छात्र इस दौरान घायल हुए थे. उन्होंने कहा कि एम्स और सफदरजंग हॉस्पिटल जाकर लोग देख सकते हैं कि कितने छात्र घायल हुए हैं. आधे से ज्यादा छात्र रातभर दर्द से सो नहीं पाए, उन्हें सूजन और अंदरूनी चोटें आई हैं. अब जेएनयू छात्रसंघ देशभर में छात्र आंदोलन को दबानी की इस कोशिश के खिलाफ प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहा है.
जेएनयू छात्रों का कहना है कि मानव संसाधन मंत्रालय की तरफ से मिला आश्वासन भी झूठा है. फीस रोलबैक के अलावा उन्हें कोई भी आश्वासन नहीं चाहिए. इसके लिए अब देशभर में आंदोलन की अपील की जा रही है. वहीं जेएनयू में भी एक बार फिर छात्र सड़क पर उतर सकते हैं. इसके लिए मंगलवार शाम 4 बजे जेएनयू छात्रसंघ की तरफ से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई है.
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