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JNU छात्र नजीब अहमद को गायब हुए 6 साल पूरे, आज तक नहीं मिला कोई सुराग

JNU: 2018 में CBI इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है.

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<div class="paragraphs"><p>JNU छात्र नजीब अहमद को गायब हुए 6 साल पूरे, आज तक कोई सुराग नहीं</p></div>
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JNU छात्र नजीब अहमद को गायब हुए 6 साल पूरे, आज तक कोई सुराग नहीं

PTI

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के प्रथम वर्ष के छात्र नजीब अहमद (Najeeb Ahmed) को गायब हुए आज, 15 अक्टूबर को पूरे 6 साल हो गए हैं. 6 साल पहले 2016 में आज ही के दिन नजीब JNU के माही-मांडवी होस्टल में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सदस्यों के साथ विवाद के बाद लापता हो गए थे. उनके लापता होने के बारे में आज तक कोई जानकारी नहीं मिली है.

नजीब के लापता होने के बाद, तत्कालीन जेएनयू छात्र संघ ने ABVP पर "अपहरण" करने का आरोप लगाया था. दिल्ली पुलिस ने अपहरण की IPC धारा के तहत FIR दर्ज की और जेएनयू में एक प्रॉक्टरल जांच में ABVP सदस्य विक्रांत कुमार को 14 अक्टूबर की रात को हाथापाई के दौरान नजीब पर हमला करने का दोषी पाया गया.

ये केस कई एजेंसियों के हाथों से होकर गुजरा, लेकिन नजीब का कहीं कोई सुराग नहीं मिला.

इस केस में क्या-क्या हुआ- टाइमलाइन

14 अक्टूबर 2016 को ABVP के कुछ कार्यकर्ताओं के साथ नजीब की माही-मांडवी होस्टल में कमरे के बाहर से झगड़े की खबर आई थी. इसके बाद 15 अक्टूबर की सुबह से नजीब गायब हो गए.

20 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली पुलिस को नजीब अहमद का पता लगाने के लिए विशेष टीम गठित करने का निर्देश दिया.

24 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस ने नजीब के बारे में सूचना देने वाले को एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया, कई जगहों पर पोस्टर लगाए गए.

25 नवंबर 2016 को नजीब की मां फातिमा नफीस ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया. हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस से इसपर जवाब मांगा. इसके 3 दिन बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई. पुलिस ने सूचना देने वाले के लिए इनाम की रकम बढ़ाकर 10 लाख कर दी.

14 दिसंबर को हाई कोर्ट ने को पुलिस को पूरे जेएनयू कैंपस में तलाशी लेने का आदेश दिया. 19 दिसंबर को 600 से ज्यादा पुलिसवालों ने पूरे JNU कैंपस में खोजी कुत्तों के जरिए होस्टल, कक्षाओं और छतों सहित सभी जगहों की तलाशी ली लेकिन नजीब का पता नहीं चला.

22 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने नजीब के रूममेट और इस केस में 9 संदिग्धों के लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने का आदेश दिया.

28 जनवरी 2017 को पुलिस अधिकारियों ने बदायूं स्थित उनके घर पर तलाशी ली. नजीब अहमद के परिवार ने दिल्ली पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया.

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13 फरवरी को नजीब अहमद के परिवार ने लापता मामले को किसी अन्य एजेंसी को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया. दिल्ली पुलिस के पास ये मामला 15 मई तक चला.

16 मई, 2017 को दिल्ली हाई कोर्ट ने नजीब अहमद के लापता होने का मामला CBI को सौंप दिया. जांच की निगरानी DIG स्तर के एक CBI अधिकारी को सौंपी गई.

14 नवंबर को सीबीआई ने हाई कोर्ट को बताया कि संदिग्ध छात्रों के मोबाइल फोन फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिए गए हैं. छह महीने तक रिपोर्ट नहीं आई.

11 मई 2018 CBI ने दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया कि वो एक साल में नजीब अहमद के लापता होने के मामले में अपराध का कोई सबूत नहीं जुटा पाई है.

12 जुलाई 2018 को CBI ने हाई कोर्ट को बताया कि वह नजीब अहमद के लापता होने के मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने पर विचार कर रही है.

4 सितंबर को सीबीआई ने कहा कि वह क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करना चाहती है, क्योंकि उसे नजीब अहमद के बारे में कोई सुराग नहीं मिला है, जबकि मामले की सभी संभावित कोणों से जांच की गई है.

8 अक्टूबर 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कह दिया. क्लोजर रिपोर्ट दाखिल होने के साथ ही ये मामला बंद हो गया और नजीब का कोई पता नहीं चल पाया.

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