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JNU कैंपस में शौर्य को कब मिलेगा इंसाफ?

JNU कैंपस की सड़कों को विषम रूप से बनाया गया है, जो मेरी व्हीलचेयर के मूवमेंट में बाधा डालती हैं.

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मैं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) में एमफिल (MPhil) का स्टूडेंट हूं, मैं विकलांग हूं. विकलांग होने के कारण यूनिवर्सिटी में मैं काफी समय से कई समस्याओं का सामना कर रहा हूं.

कैंपस की खराब सड़कें: विकलांग छात्रों को होती हैं परेशानी

कैंपस की सड़कें ठीक तरह से नहीं बनी हुई है. इसके कारण मुझे व्हीलचेयर से चलने में परेशानी होती है. कुछ वक्त पहले मैं एक सड़क पर गिर गया था. मैं लाइब्रेरी जाता हूं तो मुझे रास्ते में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. और सिर्फ लाइब्रेरी एरिया में ही नहीं पूरे कैंपस में कहीं भी आसानी से पहुंच पाना मेरे लिए मुश्किल है.

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कैंटीन में नहीं है लिफ्ट: नहीं जा पाते विकलांग छात्र

कैंपस में मेरे सेंटर की कैंटीन भी बेसमेंट में है, और तो और वहा लिफ्ट भी नहीं है. हम विकलांग छात्रों के लिए रैंप भी नहीं बनाया गया है. इसलिए मुझे खाना खाने में काफी दिक्कत उठानी पड़ती है, मैं कहीं बाहर जाकर खाना खाता हूं. एक विकलांग के लिए ये बहुत दुखदायी बात है कि सिर्फ विकलांग होने की वजह से हम अपने सेंटर की कैंटीन तक में नहीं जा सकते.

यहां के ढाबों पर काफी सांकृतिक गतिविधियों होती रहती हैं, लेकिन इसका क्या ही फायदा ये हमारे लिए नहीं है. मैं किसी भी एक्टिविटी में हिस्सा नहीं ले सकता हूं. क्योंकि वहां की जो जगह है वो मेरे व्हीलचेयर के लिए सही नहीं है.

हालांकि मैंने इस मुद्दे पर जेएनयू प्रशासन को खत भी लिखा है लेकिन इसका जवाब अभी तक नहीं आया हैं. मैं चाहता हूं कि कैंपस के सभी रास्ते और इमारतें इस तरह से बनें कि विकलांग छात्रों को वहां व्हीलचेयर ले जाने में दुविधा न हो.

द क्विंट की टीम ने जेएनयू प्रशासन से बात करने की कोशिश की, हालांकि वहां से कोई भी जवाब नहीं आया है. जवाब आने पर स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

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