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Joshimath Sinking: NTPC प्रोजेक्ट और सरकार के खिलाफ हजारों लोगों का प्रदर्शन

Geological Report का पूरी तरह से खुलासा न होना भी इस त्रासदी से प्रभावित लोगों की चिंता बढ़ा रहा है.

मधुसूदन जोशी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>जोशीमठ में हजारों लोगों ने किया प्रदर्शन</p></div>
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जोशीमठ में हजारों लोगों ने किया प्रदर्शन

(फोटो: मधुसूदन जोशी)

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उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव त्रासदी के एक महीने बाद भी स्थाई पुनर्वास/विस्थापन न होने और एनटीपीसी परियोजना और हेलंग-मारवाड़ी बाईपास को बंद करने पर कोई फैसला न होने से नाराज हजारों लोगों ने 27 जनवरी को जोशीमठ नगर में विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया.

जगदगुरु शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतिर्मठ, जोशीमठ नगर भू-धंसाव की त्रासदी का दंश झेल रहा है. केंद्रीय एजेंसियां सर्वेक्षण कर चुकी हैं, लेकिन वास्तविक भूगर्भीय स्थिति क्या है, इसे लेकर जोशीमठ में निवासरत पांच हजार से अधिक परिवार अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंतित है.

भूगर्भीय रिपोर्ट का पूरी तरह से खुलासा न होना भी इस त्रासदी से प्रभावित लोगों की चिंता बढ़ा रहा है. सरकार की हीलाहवाली और स्थाई पुनर्वास/विस्थापन को लेकर कोई निर्णय नहीं लिए जाने से लोगों के सब्र का बांध भी टूटता जा रहा है, जिसकी एक झलक 27 जनवरी को जोशीमठ की सड़कों पर भी दिखी.

प्रदर्शन में हजारों लोग पहुंचे

अभूतपूर्व हुजूम, चेहरों पर मायूसी, हाथों पर बैनर लिए हजारों लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कर स्पष्ट कर दिया है कि एनटीपीसी की विनाशकारी परियोजना और हेलंग-मारवाड़ी बाईपास को बंद करना ही होगा.

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पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत हजारों लोग बद्रीनाथ तिराहे जीआईसी चौक पर एकत्रित हुए, जहां से नारेबाजी के साथ जुलूस शुरू हुआ, जो पूरे शहर से घूमता हुआ संस्कृत महाविद्यालय के प्रांगण मे पहुंचकर सभा में तब्दील हुआ, जहां वक्ताओं ने जोशीमठ भू-धंसाव की त्रासदी पर सरकार की नीति और लापरवाही पर जबर्दस्त प्रहार किया.

(फोटो: मधुसूदन जोशी)

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, "ये सरकार अभी तक भू-धंसाव की चपेट मे आए घर-मकानों का आंकलन तक नहीं कर सकी, मकान ध्वस्त किये जा रहे हैं, लेकिन ये नहीं बताया जा रहा है कि मुआवजा कितना देंगे." उन्होंने कहा कि पिछले 14 महीनों से लगातार दी जा रही चेतावनी की अनदेखी की जाती रही और अभी तक भी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं.

"उत्तराखंड के सीएम को धाकड़ तो बताया जा रहा है, लेकिन जोशीमठ की आपदा के बाद ये साबित कर दिया है कि वे धाकड़ नहीं सबसे कमजोर मुख्यमंत्री साबित हुए हैं. अफसर एनटीपीसी की दलाली में मस्त हैं और जनता त्रस्त है. जोशीमठ के पांच हजार परिवारों के जीवन और भविष्य की जिम्मेदारी उत्तराखंड सरकार की है."
अतुल सती, संयोजक, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति

संयोजक अतुल सती ने कहा कि आज के विशाल प्रदर्शन में पूरे पैनखंडा के हजारों लोगों ने शामिल होकर ये बता दिया है कि जोशीमठ नगर पूरे पैनखंडा का अपना नगर है.

सभा को संबोधित करते हुए जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष/पालिका अध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार ने कहा कि जनता जब जागरूक होती है, तो पूरे क्षेत्र का समग्र विकास होता है.

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