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जुनैद-नासिर हत्याकांड: कैसे एक-एक सुराग जोड़कर गांववालों ने मौत की तफ्तीश की

राजस्थान के भरतपुर में बजरंग दल के सदस्यों द्वारा जुनैद और नासिर का कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था.

फातिमा खान
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>जुनैद और नासिर के लिए न्याय की मांग को लेकर ग्रामीणों ने शोक और विरोध प्रदर्शन किया</p></div>
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जुनैद और नासिर के लिए न्याय की मांग को लेकर ग्रामीणों ने शोक और विरोध प्रदर्शन किया

(फोटो: फातिमा खान/द क्विंट)

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16 फरवरी की सुबह भरतपुर (राजस्थान) के किसान हसीन को एक फोन आया और फोन करने वाले ने उसकी सफेद रंग की बोलेरो कार के बारे में दरियाफ्त की. वह पूछ रहा था कि हसीन ने अपनी कार को आखिरी दफा कब देखा था, और क्या वह उसे चलाकर भिवानी (हरियाणा) के लोहारू तक गया था. लेकिन हसीन तो अपने घर पर था, लोहारू से करीब 150 किलोमीटर दूर. हसीन परेशान हो गया. उसने फोन करने वाले से पूछा कि आखिर वह है कौन? जवाब मिला, लोहारू का एक पुलिस वाला. हसीन हैरान था. उसने कहा कि वह कार का पीछा करें और उसे बताए कि असल में क्या हुआ.

हसीन ने द क्विंट को बताया, "उसने मुझसे कहा कि मेरी कार लोहारू में मिली है. बुरी तरह जली हुई. उसके अंदर दो डेडबॉडी हैं."

"मेरा दिल धक्क से रह गया. हमें जिसका अंदेशा था, यह उससे भी बुरा था."

हरियाणा के लोहारू में जली बोलेरो कार

(फोटो: Accessed by The Quint)

इसके 24 घंटों तक, हसीन को पास के गांव घटमीका से बहुत से फोन आए. वे पूछ रहे थे कि क्या वह जुनैद और नासिर के बारे में कुछ जानता है.

वह कहता है, "मैं जानता था कि वे लापता हैं और सभी घबरा रहे थे कि उनके साथ कुछ तो बुरा हुआ है. लेकिन हम सोच भी नहीं सकते थे कि इतना बुरा होगा."

हसीन ने मंगलवार, 14 फरवरी की शाम नासिर को अपनी सफेद बोलेरो दी थी. वह घटमीका अपने रिश्तेदारों से मिलने गया था. हसीन बताता है, "नासिर मेरा दूर का रिश्तेदार है और मैं उसे अच्छी तरह जानता हूं. उसे कुछ काम था, इसलिए मैंने अपनी कार उसे दे दी."

पुलिस का फोन आने पर हसीन ने नासिर के घरवालों को सब बताया और वे लोग कार की पहचान करने और जुनैद और नासिर का पता लगाने के लिए तुरंत लोहारू निकल गए. हसीन कहता है, "हमने कार तो पहचान ली, लेकिन शव बुरी तरह जले हुए थे. बस कंकाल ही बचे थे."

भूरे कंबल में लिपटे जुनैद और नासिर के शव को रिश्तेदारों ने घर में ही रखा हुआ है.

(फोटो: अथर राथर/ द क्विंट)

तफ्तीश शुरू होती है

32 साल का जुनैद और 25 साल का नासिर चाचा-भतीजे थे, लेकिन परिवारवाले बताते हैं कि उनका प्यार एकदम भाइयों सरीखा था.

बुधवार, 15 फरवरी की सुबह पांच बजे दोनों घटमीका गांव से सफेद बोलेरो में निकले, जिसे उन्होंने एक दिन पहले हसीन से लिया था. नासिर के एक रिश्तेदार ने द क्विंट को बताया, "वो दोनों जुनैद के ससुरालियों से मिलने जा रहे थे."

कुछ समय बाद जुनैद की बीवी साजिदा ने उसे फोन किया. वह द क्विंट को बताती हैं, "लेकिन उनका फोन बार-बार स्विच ऑफ आ रहा था. उनका फोन कभी बंद नहीं रहता, इसलिए मैं थोड़ा परेशान हो गई." इसके बाद नासिर की बीवी ने भी उसे फोन किया और उसका फोन भी स्विच ऑफ था.

जुनैद की बीवी साजिदा (नीले कपड़ों में)

(फोटो: अथर राथर/ द क्विंट)

साजिदा ने अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों को बताया. कुछ लोगों ने गांव से बाहर निकलकर जुनैद और नासिर के बारे में पूछताछ करने के बारे में सोचा. इनमें से एक था, 56 साल का इस्माइल, जोकि उन दोनों का रिश्तेदार है.

सुबह 9 बजे, गांववाले पास के पिराकू गांव में दोनों की तलाश करने पहुंचे. वहां वे लोग एक दुकान पर चाय पीने बैठे. इस्माइल ने द क्विंट को बताया, "वहां चाय पीने वाले एक आदमी ने हमें बताया कि कुछ घंटे पहले उसने देखा था कि दो लोगों को बुरी तरह पीटा जा रहा है. फिर उन्हें बोलेरो कार में अगवा कर लिया गया."

"वहां मौजूद लोगों ने बताया कि पीटने और अगवा करने वाले लोग बजरंग दल के लोग थे."

इस्माइल, जिसने जुनैद और नासिर की तलाश का नेतृत्व किया

(फोटो: अथर राथर/ द क्विंट)

इस्माइल दावा करता है कि उसने आस-पास कांच के टुकड़े देखे, जो शायद कार के शीशे के ही थे.

जैसे-जैसे समय बीत रहा था, घबराहट भी बढ़ रही थी.

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पूर्व सरपंच को फोन

इस्माइल और तलाश करने निकले सभी लोगों ने तुरंत सभी रिश्तेदारों, आस-पास के गांवों के स्थानीय लोगों को फोन करना शुरू कर दिया. वे पूछ रहे थे कि क्या उन्हें जुनैद और नासिर के बारे में कुछ पता है.

इन लोगों में एक दीनू नामक शख्स भी है, जो पास के गांव घाटा शमशाबाद का सरपंच रह चुका है. वह कहता है, "मैंने तुरंत कई पुलिस स्टेशनों में फोन लगाना शुरू कर दिया."

दीनू बताता है कि थोड़ी देर बाद उसे फिरोजपुर झिरका पुलिस स्टेशन से फोन आया. यह जगह वहां से कुछ किलोमीटर दूर है, लेकिन हरियाणा में पड़ती है. दीनू ने द क्विंट को बताया, "पुलिस अधिकारी ने मुझे बताया कि सुबह-सुबह बजरंग दल के लोग अपने साथ दो लोगों को लेकर आए था. उसने बताया कि उनमें से एक की रीढ़ की हड्डी में चोट आई थी, दूसरे का हाथ टूट गया था. बजरंग दल के लोग चाहते थे कि पुलिस उन्हें को गिरफ्तार करे, लेकिन पुलिसवाले ने कहा कि वे दोनों घायल हैं, इसलिए पहले उन्हें अस्पताल ले जाए."

"हम तब इलाके के सभी स्थानीय अस्पतालों में गए, लेकिन जुनैद और नासिर कहीं भी नहीं थे."

द क्विंट फिरोजपुर झिरका पुलिस गया, जिसका जिक्र दीनू ने किया था, लेकिन पुलिसवालों ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया.

फिरोजपुर झिरका का पुलिस स्टेशन 

(फोटो: अथर राथर/ द क्विंट)

बजरंग दल के खिलाफ आरोप और एक गिरफ्तारी

यह सब जानने के बाद इस्माइल गोपालगढ़ पुलिस स्टेशन पहुंचा और वहां एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें उस दिन का सारा वाकया लिखवाया. उसमें बजरंग दल के पांच लोगों के नाम भी थे. "जब आरोपियों के बारे में पूछताछ की गई, तो वहां मौजूद लोगों ने बताया कि वे लोग बजरंग दल के लोग थे, मुल्तान का अनिल, मरोदा का श्रीकांत, फिरोजपुर झिरक का रिंकू सैनी, होडल का लोकश सिंगला और मानेसर का मोनू." 

बीते शुक्रवार राजस्थान पुलिस ने एक प्रेस नोट में कहा कि एक आरोपी, रिंकू सैनी को गिरफ्तार कर लिया गया है. रिंकू सैनी फिरोजपुर झिरका का एक टैक्सी ड्राइवर है और उन लोगों का पीछा करता है, जो गो तस्करी में शामिल होते हैं. प्रेस नोट में यह भी कहा गया है कि उससे उन लोगों के बारे में पूछताछ की जाएगी, जो इस जुर्म को अंजाम देने में उसके साथ थे.

राजस्थान पुलिस ने रिंकू सैनी को गिरफ्तार किया है, जो इस मामले के आरोपियों में से एक है.

(राजस्थान पुलिस) 

प्रेस नोट में कहा गया था कि शवों को पोर्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और हड्डियों का डीएनए सैंपल एनालिसिस के लिए भेजा गया है. 16 फरवरी की रात को दोनों शवों को घटमीका गांव भेज दिया गया.  

आरोपियों के खिलाफ आईपीसी के सेक्शन 143 (गैरकानूनी जमावड़े की सजा), 365 (किसी भी व्यक्ति का अपहरण या अपहरण करने के इरादे से उस व्यक्ति को गुप्त रूप से और गलत तरीके से कैद करने), 367 (किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाने के लिए अपहरण या अगवा करना) और 368 (किसी व्यपहृत व्यक्ति को गलत तरीके छिपाना या कैद में रखना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. एफआईआर में हत्या का आरोप अभी तक शामिल नहीं किया गया है.

मोनू मानसेर बजरंग दल का जाना-माना सदस्य है और अक्सर अपने फेसबुक एकाउंट से ऐसे वीडियो पोस्ट करता है, जिसमें वह कथित रूप से 'गो तस्करों' का पीछा करने का दावा करता है. उसने अपने सोशल मीडिया पर हरियाण पुलिस अधिकारियों के साथ कई तस्वीरों को भी पोस्ट किया है.

मोनू मानेसर अक्सर हरियाणा पुलिस अधिकारियों के साथ देखा जाता है.

(फोटो: इंस्टाग्राम/मोनू मानेसर)

16 फरवरी को उसने द क्विंट से बात करते हुए इस मामले में शामिल होने से इनकार किया. उसने कहा, "मैं उन्हें (जुनैद और नासिर) को नहीं जानता. मैं वहां या उसके आस-पास तक मौजूद नहीं था."

मोनू मानेसर का नाम अभी 28 जनवरी को हरियाणा के नूंह में एक पुलिस शिकायत में दर्ज किया गया था, जब एक निवासी वारिस खान को कार में धकेलने का एक वीडियो वायरल हुआ था. वारिस की कुछ ही देर बाद मौत हो गई. परिवार ने आरोप लगाया कि उसे मोनू और बजरंग दल के अन्य सदस्यों ने पीट-पीट कर मार डाला. हालांकि, पुलिस ने दावा किया था कि वारिस की मौत एक दुर्घटना में लगी चोटों के कारण हुई थी.

इससे पहले, 4 जुलाई 2021 को, हरियाणा के पटौदी में एक 'हिंदू महापंचायत' कार्यक्रम में, मोनू मानेसर ने कथित तौर पर घोषणा की थी, "जो लव जिहाद करेगा, जो हमारी बहन बेटियों को छेड़ेगा, उनको मारने का काम सिर्फ और सिर्फ हम, हमारी टीम और हमारी युवा साथी करेंगे."

भरतपुर के आईजी गौरव श्रीवास्तव ने पहले कहा था कि, "नासिर का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. जुनैद के खिलाफ गो तस्करी के पिछले पांच मामले दर्ज हैं." हालांकि, जुनैद के परिवारवालों ने इस आरोप को गलत बताया है. उसकी पत्नी संजीदा कहती हैं, "जुनैद एक मजदूर था, वह परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था. उसका गो तस्करी से कोई लेना-देना नहीं था."

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