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गुजरात (Gujrat) सरकार द्वारा स्कूल के पाठ्यक्रमों में भगवद् गीता को शामिल करने की तैयारियों के बीच कर्नाटक सरकार भी इस तरह के फैसले लेने की तैयारी में है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने शुक्रवार, 18 मार्च को कहा कि राज्य सरकार ऐसा करने से पहले शिक्षाविदों के साथ चर्चा करेगी.
बीसी नागेश ने कहा कि
उन्होंने कहा कि कई लोगों ने मांग की है कि नैतिक विज्ञान शुरू किया जाना चाहिए. मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि बच्चों में सांस्कृतिक मूल्यों को गिरता हुआ देखा जा रहा है.
उनके मुताबिक पहले हर हफ्ते नैतिक विज्ञान की एक क्लास हुआ करती थी, जिसमें रामायण और महाभारत से संबंधित चीजें सिखाई जाती थीं.
आगे उन्होंने कहा कि यहां तक कि महात्मा गांधी भी अपनी परवरिश का श्रेय हिंदू महाकाव्यों-रामायण और महाभारत को देते थे, जो उनकी मां उन्हें सुनाती थीं. जब वे बड़े हुए, तो नाटक राजा हरिश्चंद्र का उनके जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा.
बीसी नागेश ने आगे कहा कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन चीजों को पेश करें, जिनका समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. हालांकि, यह फैसला शिक्षाविदों पर छोड़ दिया जाएगा कि क्या पेश किया जाना चाहिए.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि उन चीजों को और महिमामंडित करने की जरूरत नहीं है, जो पहले से ही पाठ्यपुस्तकों में हैं.
उन्होंने कहा कि बीजेपी कोई नया विचार नहीं पेश कर रही है.
शिवकुमार ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री केंगल हनुमंतैया ने भगवद गीता से संबंधित किताबों को दो रुपये में बांटा था. ये लोग (कर्नाटक में बीजेपी सरकार) कुछ नया नहीं कर रहे हैं. उन्हें इसका श्रेय लेने की कोई जरूरत नहीं है.
इसके अलावा, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पूरी तरह से विरोध करते हुए कहा कि इस नीति की आवश्यकता नहीं थी.
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