आर्टिकल 370 के हटने पर 3 कश्मीरियों के दिल की बात 

द क्विंट ने की दिल्ली में रह रहे कुछ कश्मीरियों से बात और जानी उनकी राय

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370 पर देश में तो सबने बोला, लेकिन कश्मीर के दिल की भी तो सुनो
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370 पर देश में तो सबने बोला, लेकिन कश्मीर के दिल की भी तो सुनो
(फोटोः istock)

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जम्मू और कश्मीर में बीते कुछ दिनों से अचानक बढ़ी हलचल का कारण सोमवार 5 अगस्त को सामने आ ही गया. गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में ऐतिहासिक ऐलान करते हुए राज्य को खास दर्जा देने वाले विवादित आर्टिकल 370 में बड़े बदलाव का प्रस्ताव रखा. इसके साथ ही पूरे राज्य को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का भी ऐलान किया.

लेकिन रविवार रात से कश्मीर में तेजी से हालात बदले और इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई और इसने लोगों को बीच घबराहट पैदा की. अपने घर से दूर रह रहे कश्मीरियों में बेचैनी थी.

ऐसे हालात में जब सोमवार को केंद्र सरकार ने ये बड़ा फैसला लिया, तो इस पर देश भर में तमाम तरह की बातें होने लगीं. लेकिन आम कश्मीरियों के दिल में इसको लेकर क्या राय है, ये जानना भी बेहद जरूरी है.

द क्विंट ने दिल्ली में रह रहे कुछ कश्मीरी युवाओं से बात की जो अलग-अलग कारणों से अपने घर से दूर रह रहे हैं.

दिल्ली के जामिया नगर में रह रही कश्मीर की एक छात्रा ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि एक दिन पहले ही एक दुकान में एक शख्स ने कश्मीर के हालात पर उनका मजाक उड़ाया.

हम एक दुकान में गए तो वहां एक आदमी था जो हमें अपमानित करने लग गया. वो कहने लगा ‘आर्टिकल तो हटेगा. अब तो हम जम्मू में जमीन भी लेंगे. मोदी जी ने ऐसा कर दिया.’ वो फिर हम पर हंसने लग गया.
कश्मीरी छात्रा

पूरे जम्मू और कश्मीर में रविवार रात को तेजी से घटनाक्रम बदला और राज्य के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया. वहां मोबाइल इंटरनेट को बंद कर दिया गया और कनेक्टिविटी के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा.

जामिया नगर में ही रह रही कश्मीर की हुमा ने भी क्विंट से बात की. उन्होंने बताया कि वो अपने पैरेंट्स के हालात को लेकर परेशान हैं क्योंकि उनसे बात नहीं कर पा रही हैं.

मैंने कल रात अपने पापा से फोन पर बात की. उन्होंने कहा कि यहां को लेकर परेशान मत हो. सुबह जब दोबारा बात करने की कोशिश की तो बात नहीं हो पाई. मुझे नहीं पता कि मेरे पैरेंट्स का वहां क्या हाल है. ये भी नहीं पता कि वहां का क्या हाल है. ये कुछ ऐसा है जिसे बयान नहीं किया जा सकता है. ऐसा लग रहा है सब कुछ खो गया. कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या करना है.
हुमा, कश्मीरी छात्रा
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केंद्र सरकार के फैसले से ज्यादा इस फैसले को लागू करने के तरीके पर भी कई लोगों ने सवाल उठाए. पूरे राज्य में तमाम बंदिशें लगाने का विरोध किया गया.

कश्मीर के एक युवा राहिल खान ने सरकार पर सवाल उठाया कि एक फैसले को लागू करने के लिए कैसे अपने ही लोगों के साथ ऐसा बर्ताव किया जा सकता है.

मुझे बहुत डर लग रहा है. मैं अपने घर में किसी से बात नहीं कर पा रहा हूं. आप अपने ही लोगों से इस तरह बर्ताव नहीं कर सकते कि सबको बंद कर दिया, क्योंकि आपको कोई फैसला लागू करना है. मेरे दादा बीमार हैं. अगर उन्हें कुछ होता है तो हम क्या करेंगे.
राहिल खान, कश्मीर निवासी

राज्यसभा में 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 पास हो गया है. विधेयक के पक्ष में 125 और विपक्ष में 61 वोट पड़े. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक में लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग करने और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने के प्रावधान शामिल है.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 के तहत राज्य से आर्टिकल 370 हटा लिया जाएगा. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर से विशेष का दर्जा खत्म हो जाएगा.

साथ ही राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बंट जाएगा. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में भारतीय संविधान के सभी प्रावधान लागू होंगे.

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Published: 05 Aug 2019,10:04 PM IST

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