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जुलाई 2023 के पहले हफ्ते में, दिल्ली में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे 25 साल के जय भीम सिंह अपने भाई से इमरजेंसी कॉल मिलने के बाद कोटा गए. उन्होंने अपने भाई के साथ एक दिन बिताया और दिल्ली लौट आए.
उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि वह अपने 17 वर्षीय भाई बहादुर सिंह के शव की पहचान करने के लिए 48 घंटों के अंदर ही भारत की कुख्यात कोचिंग राजधानी कोटा वापस आ जाएंगे.
बहादुर उन कम से कम 29 छात्रों में से एक है, जिनकी 2023 में कोटा में आत्महत्या से मौत हो गई थी. यह पिछले आठ सालों में शहर में दर्ज छात्र आत्महत्याओं की सबसे अधिक संख्या है.
छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर शहर में लगभग संकट जैसी स्थिति के बीच, राजस्थान सरकार ने इस साल सितंबर में कोचिंग संस्थानों और हॉस्टलों के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए, ताकि छात्रों पर दबाव कम किया जा सके.
लेकिन बहादुर जैसे परिवारों के लिए ये सब घोषित उपाय बहुत कम हैं.
उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के फैजुल्लाह नगर के रहने वाले बहादुर एक निम्न आय वाले परिवार से थे. कुछ साल पहले उनके पिता के निधन के बाद उनकी मां केसर कुमारी ने गांव में उनकी छोटी सी दुकान संभाल ली थी.
चार भाई-बहनों में से एक, बहादुर पांच साल से अधिक समय से घर से दूर रह रहा था. बहादुर जब छठी कक्षा में था तब से वह मुरादाबाद के नवोदय विद्यालय में पढ़ रहा था .
बहादुर की मां केसर कुमारी ने कहा कि, उनके पास बताने के लिए बहुत सारी कहानियां हैं कि कैसे बहादुर "हमेशा केवल पढ़ाई करता रहता था."
बहादुर के भाई भीम ने द क्विंट को बताया कि "बहादुर बहुत मेधावी बच्चा था, बहुत ईमानदार और पढ़ाई में बहुत अच्छा. यहां तक कि उन्हें फिजिक्सवाला में 75 प्रतिशत स्कॉलरशिप भी मिली."
भीम कहते हैं कि बहादुर ने अपने लिए बड़े सपने देखे थे.
उनके भाई-बहनों में उनके सबसे बड़े भाई जय भीम सिंह (25) दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं. जय भारत सिंह (21) भी रामपुर में सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहा है. बहादुर के नक्शेकदम पर चलते हुए छोटी बहन भीम प्रिया (12) ने रामपुर में नवोदय विद्यालय में दाखिला लिया है.
लेकिन उसका ऐसे चले जाना किसी के लिए भी आसान नहीं रहा. केसर ने द क्विंट को बताया, "बहादुर की मौत से मेरी बेटी बहुत सदमे में रही. वह काफी समय तक इससे प्रभावित रही. भीम भी अक्सर उसे याद करके रोता है."
जहां तक केसर का सवाल है, अब वह बस इतना ही करना चाहती है कि "जहां बहादुर गया है वहीं चली जाए." लेकिन, उन्हें अपने बाकी बच्चों की खातिर जीना पड़ रहा है .
लेकिन बहादुर कैसा था? उसके परिवार से पूछें तो परिवार उसके बारे में बताने के लिए केवल तीन शब्दों का उपयोग करते हैं. ईमानदार, अध्ययनशील और शर्मीला.
उसकी मां कहती हैं, "वह इतना शर्मीला था कि अगर कभी उसे मुझसे या अपने मामा से पैसे लेने की जरूरत पड़ती है तो वह झिझकता था और अप्रत्यक्ष रूप से ही पासे मांगता था."
बहादुर इसी साल मई में कोटा के फिजिक्सवाला में पढ़ने पहुंचा था. भीम ने द क्विंट को बताया, "वह अपने तीन नवोदय स्कूल के दोस्तों के साथ वहां गया था और उनमें से दो के साथ हॉस्टल में भी रहा था."
भाई के अनुसार, बहादुर की एक अन्य छात्र के साथ "कक्षा बोर्ड से चीजें नोट करने" को लेकर "मामूली बहस" हुई थी.
वास्तव में क्या हुआ? भीम ने द क्विंट से कहा कि एक कक्षा में, शिक्षक ने कहा कि छात्र बोर्ड पर पढ़ाए गए चीजों की तस्वीर खींच सकते हैं और इसे घर पर नोट कर सकते हैं. बहादुर सहमत हुआ और कहा कि इससे कक्षा का समय भी बचने में मदद मिलेगी. कथित तौर पर एक अन्य छात्र ने बहादुर से कहा, "ज्यादा मत बोल".
शिक्षक ने हस्तक्षेप किया और बहादुर का आईडी कार्ड जब्त कर लिया गया, जिसके बाद वह कक्षा में उपस्थित नहीं हो सका.
निलंबन के बाद भी, बहादुर ने कोटा में ही रहने और कोचिंग की ऑनलाइन कक्षा में पढ़ने का फैसला किया. "दो दिन बाद, उसने आत्महत्या कर ली.
भीम ने आरोप लगाते हुए कहा, ''ये भेदभाव है, क्योंकि हम अनुसूचित जाति से हैं. दूसरा छात्र जिसके साथ बहादुर की बहस हुई थी, वह भी पीडब्लू छात्र समिति के पास गया और उन्हें बताया कि वास्तव में वह दोषी था. लेकिन सारी कार्रवाई सिर्फ मेरे भाई के खिलाफ की गई.
भीम की शिकायत के बाद 9 जुलाई को महावीर नगर पुलिस स्टेशन में फिजिक्सवाला के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर में कहा गया था कि कोचिंग संस्थान ने बहादुर को 'एक कमरे में बंद करके शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने' की धमकी दी थी.
एफआईआर के मुताबिक, कोचिंग सेंटर ने कथित तौर पर उन्हें एक पत्र लिखने के लिए मजबूर किया, जिसमें निलंबन के बाद फीस वापसी का अनुरोध किया गया था. एडमिशन के समय, बहादुर को 75 प्रतिशत स्कॉलरशिप मिली थी और उनके परिवार को शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए 42,500 रुपये का भुगतान करना था.
अब परिवार केवल एक ही चीज चाहता है - बहादुर के लिए न्याय
जब क्विंट ने इस साल अक्टूबर में भीम से मुलाकात की, तो वह लगभग टूट चुका था और उसने बताया कि कैसे निलबन की वजह से उसे अवसाद हो गया है.
जो कुछ भी हुआ, उसके छह महीने बाद भी परिवार अपने को जोड़ने मे जुटा है. लेकिन अब, एक और बात है जो भीम को परेशान करती है.
एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो अपने घर से दूर दूसरे शहर में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है, भीम अब सवाल कर रहा है कि क्या उसे सब कुछ छोड़ देना चाहिए और अपने गांव वापस जाना चाहिए.
वह कहता हैं, "मुझे अब हॉस्टल में रहना पसंद नहीं है. लेकिन मैं जानता हूं कि मुझे अपने लिए भविष्य बनाना है. मैं नहीं जा सकता."
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