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उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri Violence) में किसानों को गाड़ी से कुचलने के मामले में पहली बार कार्रवाई हुई है. पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है और केंद्रीय मंत्री के बेटे को नोटिस भेजा गया है. लेकिन आखिर यूपी सरकार की तरफ से ये कार्रवाई इतनी देर में क्यों हुई? जिस गिरफ्तारी को लेकर पिछले कुछ दिनों से विपक्षी नेता लगातार यूपी सरकार की आलोचना कर रहे थे, जिस गिरफ्तारी की मांग पीड़ित परिवार लगातार कर रहे थे... वो अब जाकर कैसे हुई?
इसका सीधा जवाब सुप्रीम कोर्ट का मामले का संज्ञान लिया जाना है. जब सरकार की तरफ से लखीमपुर खीरी मामले को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही इस पर संज्ञान ले लिया.
सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल के तुरंत बाद कार्रवाई शुरू हो गई. दो आरोपियों लवकुश और आशीष पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन जब फिर सवाल किया गया कि मुख्य आरोपी केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्र के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई, तो इस पर पुलिस की तरफ से बताया गया कि उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया है और अगर वो नहीं आते हैं तो कोर्ट का सहारा लिया जाएगा.
अब सवाल ये उठता है कि सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करने से ठीक पहले दो गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे पर पुलिस हाथ क्यों नहीं डाल पा रही है? केंद्रीय मंत्री का बेटा रोज हर चैनल को अपना इंटरव्यू दे रहा है और ये कह रहा है कि पुलिस की तरफ से उसे अब तक कोई कॉल तक नहीं आया. पीड़ित परिवार और विपक्ष लगातार केंद्रीय गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक बीजेपी की तरफ से उनके खिलाफ भी कोई एक्शन नहीं लिया गया. जबकि पीड़ितों का कहना है कि जिस शख्स के अंतर्गत पूरा पुलिस महकमा और तमाम एजेंसी आती हैं, उसके पद पर रहते निष्पक्ष जांच नामुमकिन है.
किसान नेता राकेश टिकैत ने भी योगी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि, अगर उनकी मांगें नहीं मानीं गई तो आंदोलन छेड़ा जाएगा. इसके लिए सरकार को 12 अक्टूबर तक का वक्त दिया गया है. टिकैत ने कहा कि केंद्रीय मंत्री उस कातिल की तरह है, जो फांसी तक भी ये कहता है कि मैंने कुछ नहीं किया. ये कातिल और हत्यारे हैं. उनका इस्तीफा जरूरी है. कोई हिस्ट्रीशीटर देश का गृह राज्यमंत्री नहीं बन सकता है.
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