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द क्विंट से बातचीत में करीब एक हफ्ते पहले कॉमेडियन श्याम रंगीला (Comedian Shyam Rangeela) पीएम मोदी (PM Modi) के गढ़ वाराणसी (Varanasi LokSabha Election) में उनसे मुकाबला करने के लिए काफी उत्साहित थे. हालांकि, पांच दिनों की भागदौड़ और इंतजार के बाद 15 मई को श्याम रंगीला को बताया गया कि उनका नामांकन खारिज कर दिया गया है.
लेकिन श्याम रंगीला के नामांकन को खारिज किये जाने से पहले वास्तव में क्या हुआ था? उनका आरोप है कि चुनाव आयोग के तर्क आधारहीन है और उन्होंने जानबूझकर देरी की.
श्याम रंगीला ने कहा कि केवल वे ही नहीं, बल्कि लगभग 300 के करीब ऐसे उम्मीदवार थे, जो अपना नामांकन दाखिल करना चाहते थे लेकिन उनका भी यही हाल हुआ. उन्होंने कहा, "ऐसे लोग हैं, जो लड़ना चाहते हैं, लेकिन उनका नामांकन स्वीकार नहीं किया जा रहा है."
उस दिन नामांकन दाखिल करने आए लगभग 70% लोग नामांकन दाखिल नहीं कर पाए, वे कार्यालय से बाहर चले गए, उन्होंने नारे लगाए और अपने दस्तावेज के टुकड़े कर दिए.
यह लोग तीन दिन तक लाइन में खड़े थे.
लेकिन असल में हुआ क्या था ?
सभी दस्तावेज आधिकारिक रूप से जमा करने की आखिरी तारीख 14 मई, दोपहर 3 बजे तक थी.
उन्होंने कहा, "उन्होंने हमें दोपहर तीन बजे के बाद ही अंदर जाने दिया, मुझे मेरे वकील प्रेम प्रकाश को भी अंदर नहीं लाने दिया. हम करीब 30 लोग थे, हमारे दस्तावेजों की जांच की गई. मेरे फॉर्म में एक भी बॉक्स खाली नहीं था. रंगीला ने बताया, "उन्होंने हमें शाम पांच बजे दूसरा हलफनामा देने को कहा, जबकि अंतिम समयसीमा तीन बजे थी."
श्याम रंगीला को रात 11.59 पर अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया. पीआरओ ने दस्तावेज पर यह समय लिखा भी था.
उन्होंने आगे कहा, "जब हम उसी रात 10 बजे से पहले, उनके दिए समय सीमा से पहले पहुंचे तो डीएम ने कहा, 'वे यहां कैसे आ गए? उन्हें अंदर किसने आने दिया?' उन्होंने शायद यह मान लिया था कि हम रात को नहीं आएंगे और अगर हम नहीं आते हैं तो बचा काम हम पूरा नहीं कर पाएंगे."
श्याम रंगीला डीएम कार्यालय भी गए और समय दिखाने के लिए वीडियो भी रिकॉर्ड किया.
अगली सुबह रंगीला को बताया गया कि उनका नामांकन खारिज कर दिया गया है. जिसके बाद वह डीएम राजलिंगम से मिलने गए और उनसे सवाल किया कि "मैं पिछले दिन रात 10 बजे यहां था, आपने मेरा नामांकन खारिज क्यों किया और कागज पर रात 11:30 बजे तक का समय क्यों लिखा?" आप मुझसे मेरा डॉक्यूमेंट क्यों नहीं ले सके?"
जहां तक शपथ की बात है तो रंगीला ने निम्नलिखित घटनाओं का उल्लेख किया:
सबसे पहले, उम्मीदवारों ने समय सीमा के भीतर, एक दिन पहले ही शपथ लेने का अनुरोध किया था. "अधिकारियों, विशेषकर डीएम ने हमें आश्वासन दिया कि यह काम बाद में किया जाएगा, उन्होंने हमें पर्चियां दीं और हमें वहां से चले जाने को कहा."
दूसरा, उनके वकील ने उन्हें यह भी बताया कि शपथ दिलाने की जिम्मेदारी कार्यालय की है. "मैंने अधिकारियों से भी इसके बारे में पूछा, मुझे बताया गया कि यह एक सरल प्रक्रिया है, जिसमें अधिकारी और मैं दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते हैं और शपथ ग्रहण हो जाती है. कुछ भी जटिल नहीं होता है. इसे पूरा करना उनकी जिम्मेदारी है."
तीसरा, अन्य उम्मीदवार जिन्होंने अपना शपथ लिखा था और उसे अपने दस्तावेजों के साथ संलग्न किया था, अधिकारी ने उस पर हस्ताक्षर नहीं किए और उन्हें बोला कि उन्होंने अपना शपथ प्रस्तुत नहीं किया है. "मैंने लोगों को इससे जूझते देखा है. वे बस अपनी बात से मुकर गए."
इसके अलावा, उन्होंने बताया कि 14 मई तक 15 नामांकन हुए थे, फिर प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपना नामांकन दाखिल किया और अब तक केवल आठ नामांकन ही स्वीकार किए गए हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि 15 में से सात फर्जी उम्मीदवार थे, जिन्हें जानबूझकर पूरी प्रक्रिया में देरी करने के लिए रखा गया था, ताकि अन्य लोग दस्तावेज प्रक्रिया पूरी न कर सकें.
चुनाव में पीएम मोदी को टक्कर देने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ रंगीला ने कहा, वह "चुनाव आयोग को बेनकाब करेंगे, हम चुनाव ना लड़ सके, इसलिए यह रणनीतिक चाल चली गई थी."
एक हफ्ते पहले जब श्याम रंगीला ने द क्विंट से बात की थी, तो उन्होंने हमें बताया था कि साल 2017 में जो घटना हुई थी, उसके बाद से ही उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया था.
उनका मानना है कि कॉमेडी में ऐसी सेंसरशिप नहीं होनी चाहिए. इसके बाद श्याम रंगीला को टीवी से काम मिलना बंद हो गया, जिससे उनका करियर प्रभावित हुआ. यही घटना उन्हें राजनीति की ओर ले गयी.
उन्होंने कहा कि अन्य लोगों की तरह वह पैसे वाले नहीं हैं, बल्कि किसान परिवार से आते हैं. उनके पास कोई आलीशान संपत्ति या पूंजी नहीं है, जिससे उन्हें चुनावी लड़ाई के लिए धन जुटाने में मदद मिलती.
उनका एकमात्र संकल्प मतदान और लोकतंत्र के बारे में बात करना है और यही वह बात है जो उन्हें अभी भी दृढ़ बनाए रखती है.
वाराणसी में वर्तमान लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में मतदान होगा.
(द क्विंट ने वाराणसी डीएम कार्यालय से संपर्क किया है और जवाब मिलते ही इस कॉपी को अपडेट कर दिया जाएगा.)
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