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ये बुलडोजर युग है.. इस युग में न्याय की मूर्ति की जगह बुलडोजर ने ले ली है.. जज सेमिनार में भाषण देने के काम पर भेज दिए गए हैं.. पुलिस के पास अब जज का सर्टिफिकेट है, वो जिसे चाहे सजा देदे. मुख्यमंत्री नया संविधान लिख रहे हैं...
चलिए अब 'बुलडोजर युग' में ये बयान पढ़िए..
ये मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का बयान है. नाम है मोहन यादव. आप कहेंगे कि बुलडोजर एक्शन और इनके इस बयान का क्या कनेक्शन है.. जवाब है.. बहुत गहरा.. बुलडोजर यूं ही नहीं चल रहा है.. इसके पीछे एक मकसद है... यहां आगे आपको बुलडोजरगिरी की हर एक क्रोनोलॉजी बताएंगे.. फिर आप भी पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?
क्या सिर्फ आरोप लगने भर से किसी के घर को बुलडोजर से गिराया जा सकता है.. क्या भारत में ऐसा कोई कानून है? ऐसे सवालों के जवाब समझने के लिए और अपने अधिकार को जानने के लिए क्विंट के मेंबर बनिए.. क्विंट को सब्सक्राइब कीजिए.. ताकि आपकी आवाज बुलंद हो सके..
अब बात 21 अगस्त 2024 की. जगह मध्य प्रदेश का छतरपुर थाना. मुस्लिम समुदाय के लोग रामगिरी महाराज नाम के एक शख्स के खिलाफ पर एफआईआर की मांग को लेकर थाने के बाहर जमा हुए थे. रामगिरी महाराज ने पैगंबर मोहम्मद साहब और इस्लाम के खिलाफ राजस्थान में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसी को लेकर मुस्लिम समाज के लोग प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान थाने के बाहर पत्थरबाजी हुई.. फिर खबर आई कि पुलिस ने 50 लोगों पर नामजद केस दर्ज किया है. साथ ही 100 अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज हुआ है. पुलिस ने कांग्रेस से जुड़े शहजाद हाजी को मुख्य आरोपी बनाया.
लेकिन इस घटना में भी वही पुरानी स्क्रिप्ट, वही पुराने डायलॉग, वही पुराना एक्शन... बुलडोजर..
चलिए मान लिया कि मकान अवैध था.. तो फिर
छत्तरपुर कलेक्टर के ट्विटर हैंडल पर ये क्यों लिखा है-- "कोतवाली पुलिस पर पथराव करने वाले आरोपियों के अवैध मकान को ध्वस्त करने की कार्रवाई जारी... जिला प्रशासन की कठोर एवं त्वरित कार्रवाई... कलेक्टर श्री पार्थ जैसवाल के निर्देश पर बड़ी कार्यवाही शुरू."
यहां दो अलग मामला है. एक थाने पर पथराव का और दूसरा अवैध मकान का. लेकिन प्रशासन इन दोनों को खुद जोड़ रहा है. सवाल है कि प्रशासन को पथराव की घटना के बाद ही क्यों याद आया कि मकान अवैध है.
एक और अहम सवाल थाने पर पत्थर कैसे और किसने चलाना शुरू किया, क्या इसकी जांच हो गई? जांच में आरोप साबित हो गए?
मान लीजिए मकान अवैध था.. तो इतने सालों से इस मकान पर प्रशासन की नजर क्यों नहीं पड़ी? खैर वो भी छोड़ दीजिए तो ये बताइए कि यहां लगी गाड़ियां भी अवैध थी? उसे क्यों तोड़ा गया? गाड़ी का पेपर नहीं था? चोरी की गाड़ी थी? तो सीज क्यों नहीं की गाड़ियां.
एक और अहम सवाल. अवैध मकान 7 साल से बन रहा था, और अगर शहजाद आपराधिक छवि का था तो फिर प्रशासन शहजाद से कोविड के दौरान वीडियो क्यों बनवा रहा था. क्यों वीडियो अपने सोशल मीडिया पर शेयर कर रहा था.
एक बात याद रहे हम शहजाद को क्लीनचीट नहीं दे रहे हैं, न ही अपराधी कह रहे हैं, क्योंकि ये सारी चीजें अदालत के फैसले पर निर्भर करेंगी. हम सिर्फ बुलडोजरतंत्र पर और बिना अपराध साबित हुए सजा देने के अवैध तरीकों पर बात कर रहे हैं.
क्विंट हिंदी के आशुतोष कुमार ने एक स्टोरी की, जिसमें पता चला है कि जून 2024 में मध्य प्रदेश में गोकशी, पुलिस पर हमला और हत्या के मामलों के आरोपियों के 37 घरों पर प्रशासन ने एक महीने में बुलडोजर चलाया. खास बात है कि जिन 37 घरों पर बुलडोजर चलाया गया, उनमें से 27 मुस्लिम परिवारों के थे.
यही नहीं 2022 में मध्य प्रदेश के खरगोन में हिंसा के बाद प्रशासन ने कई घरों पर बुलडोजर चलाया था. इसमें से PM आवास योजना के तहत बना मकान भी गिराया दिया गया था..
2022 में ही बड़वानी में प्रशासन ने तीन लोगों पर दंगों में शामिल होने का आरोप लगाया, उनके घर तोड़े, फिर पता चला कि दंगे वाले दिन तो वो तीनों जेल में थे.
अब सवाल है कि क्या ऐसा कोई कानून है जो बुलडोजर से तोड़फोड़ को सही ठहराता है? जवाब है नहीं. देश की संसद या मध्य प्रदेश विधानसभा ने ऐसा कोई कानून नहीं बनाया है.
अब आते हैं अवैध निर्माण वाले तर्क पर. कानून कहता है कि किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति को तभी तोड़ा और गिराया जा सकता है, जब गिराने से पहले बकायदा एक प्रक्रिया का पालन किया गया हो. इसमें उस व्यक्ति को अपनी बात कहने का मौका भी दिया जाता है.
अब आपके जहन में सवाल आ रहा होगा कि सिलेक्टिव बुलडोजर एक्शन के पीछे क्या मकसद हो सकता है. इसका एक जवाब तथाकथित इन्स्टेन्ट जस्टिस के भाव को पूरा करना. यानी कोई घटना हुई. मीडिया के जरिए हम तक पहुंची. हमारा इमोशन जागा और मन में आया कि ऐसे लोगों की सजा दो. शायद सरकारें भी समझती हैं कि इन्स्टेंट जस्टिस के जरिए इन इमोशन को भुनाया जा सकता है.
लेकिन इस बीच जो सबसे महत्वपूर्ण चीज छूटने का डर है वह है जस्टिस. जस्टिस को लेकर ये लाइन अक्सर कही जाती है कि 100 Culprits Can Escape But One Innocent Shouldn't Be Punished. क्यों न माना जाए कि ऐसे एक्शन एक समाज को डराने की कोशिश है.. और भीड़ को खुश करने की कोशिश.. मतलब साफ है.. बुलडोजरतंत्र संविधान को मुंह चिढ़ा रहा है.. इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
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