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महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में गृह मंत्री ने अनिल देशमुख ने 5 अप्रैल कोमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. अनिल देशमुख नागपुर जिले के कटोल क्षेत्र से आते हैं और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता हैं. अब अगर लौटकर देखें तो देशमुख के इस्तीफे की कड़ियां उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के पास विस्फोटक मिलने के बाद से मुंबई पुलिस की जांच पर सवाल उठने और फिर पूर्व मुंबई पुलिस के सीएम उद्धव को लिखे 'लेटर बम' तक जुड़ती हैं.
25 फरवरी की शाम अंबानी के घर एंटीलिया के पास एक हरे रंग की स्कार्पियो को खड़े देखा गया था. अंबानी की सिक्योरिटी ने इसके बारे में मुंबई पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद बम निरोधक दस्ता मौके पर पहुंचा. मुंबई पुलिस ने बताया था कि गाड़ी के अंदर से जिलेटीन मिला था लेकिन ये असेम्ब्ल किया हुआ एक्सप्लोसिव डिवाइस नहीं था. तब महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा था कि इस घटना की जांच मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही है.
5 मार्च को मुकेश अंबानी को धमकी दिए जाने केस में नया मोड़ आया. ठाणे पुलिस ने बताया है कि एंटीलिया के बाहर से जो कार मिली थी उसके मालिक मनसुख हीरेन की सुसाइड की वजह से मौत हो गई है.
8 मार्च को खबर आई कि मुकेश अंबानी धमकी वाले मामले की जांच केंद्र सरकार के तहत आने वाली नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को दे दी गई. केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश में लिखा गया था कि 25 फरवरी को मुंबई में महिंद्रा स्कॉर्पियो से जो विस्फोटक बरामद हुए थे, उसे लेकर जो केस गमदेवी पुलिस स्टेशन में केस दर्ज हुआ था. इसकी जांच अब NIA करेगी.
17 मार्च को महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा फेरबदल करते हुए परमबीर सिंह का ट्रांसफर करके हेमंत नगराले को मुंबई का नया पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया.
20 मार्च को मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने गृहमंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए. पूर्व कमिश्नर ने सीएम उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने बताया है कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री देशमुख ने सचिन वझे से हर महीने 100 करोड़ रुपये का कलेक्शन करने को कहा था. इन सभी आरोपों को गृहमंत्री देशमुख ने तब खारिज किया और कहा था कि कार्रवाई के डर से पूर्व पुलिस कमिश्नर ऐसा कह रहे हैं.
20 मार्च इसके बाद गृह मंत्री ने परमबीर सिंह के आरोपों पर कहा कि वो इस मामले में सिंह पर मानहानि का केस करेंगे. उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार किया. इसके अलावा एनसीपी चीफ शरद पवार ने भी देशमुख का इस्तीफा दिए जाने की मांग को सिरे से नकारा था और देशमुख का बचाव किया था.
23 मार्च को मुंबई के परमबीर सिंह ने गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस मामले में सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. साथ ये मुद्दा संसद में भी गूंजा. कई सारे सांसदों ने इस मामले में जांच की मांग की. लेकिन 24 मार्च को ही सर्वोच्च अदालत ने परमबीर सिंह की याचिका को लेने से मना कर दिया था और हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था.
25 मार्च को परमबीर सिंह देशमुख पर 'तत्काल और निष्पक्ष' जांच की मांग लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंच गए.
30 मार्च को इस केस की वजह से दबाव में आकर महाराष्ट्र सरकार ने जांच कमेटी बनाई, जो अगले 6 महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपने वाली थी. इस कमेटी का नेतृत्व रिटायर्ड जस्टिस कैलाश चांदीवाल करेंगे.
31 मार्च को हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. सुनवाई के दौरान परमबीर सिंह को कोर्ट ने तीखे सवाल पूछे. हाईकोर्ट ने परमबीर सिंह की याचिका पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आप एक पुलिस कमिश्नर थे तो आपने कानून के हिसाब से राज्य के गृहमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की?
5 अप्रैल की सुबह बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि- CBI को महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की प्रारंभिक जांच करे. इसके बाद ही महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
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