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ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) पर कुछ हिंदुत्व नेताओं को 'नफरती' कहने और एक 'विवादित तस्वीर' ट्वीट करने के लिए मामला दर्ज किया गया है, एक बाल सुरक्षा से संबंधित FIR में पूछताछ के लिए बुलाया गया, और एक फेक न्यूज मामले में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया - ये सब कुछ जून के बाद से हुआ है.
जुबैर के खिलाफ दो नए मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि पिछले कुछ हफ्तों में कुछ पुराने मामले सक्रिय हो गए हैं - जब से उन्होंने निलंबित भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता नुपुर शर्मा की पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी को उजागर किया.
जुबैर, जो वर्तमान में सीतापुर जेल में बंद हैं, ने मई में शर्मा का वीडियो साझा किया था, जिससे दुनिया भर में भारत की आलोचना हुई. एक दर्जन से अधिक इस्लामिक देशों ने प्रवक्ता की टिप्पणी की उग्र आलोचना की थी और बीजेपी के नेतृत्व वाले सरकार से माफी की मांग की थी. तब से जुबैर के खिलाफ एफआईआर की बाढ़ आ गई है, जिसके परिणामस्वरूप 27 जून को उनकी गिरफ्तारी हुई - 27 मई को नूपुर के खिलाफ ट्वीट करने के एक महीने बाद.
फैक्ट चेकर के खिलाफ उत्तर प्रदेश में छह और दिल्ली में दो मामले दर्ज हैं. यूपी पुलिस ने मंगलवार को राज्य में उसके खिलाफ मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया. यहां मोहम्मद जुबैर के खिलाफ सभी मामलों की जानकारी दी गई है.
मोहम्मद जुबैर के खिलाफ 3 जून को यूपी के सीतापुर में भारतीय दंड संहिता की धारा 295A (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करना है) और सूचना की धारा 67 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. ये मामला IT एक्ट के दुरुपयोग और बोलने की आजादी पर लगाम को लेकर गंभीर चिंताओं को उठाता है.
प्राथमिकी में कहा गया है कि 27 मई को मामले के शिकायतकर्ता ने अपने हैंडल पर जुबैर द्वारा पोस्ट किया गया एक ट्वीट देखा, जिसमें जुबैर "आक्रामक" शब्दों का इस्तेमाल किया था, साथ ही राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना के राष्ट्रीय संरक्षक और खैराबाद थाना क्षेत्र स्थित बड़ी संघट के प्रबंधक महंत बजरंग मुनि जी को नफरती कहा था.
पुलिस ने बाद में आईटी अधिनियम की धारा 67 को हटा दिया और मामले में धारा 153 ए आईपीसी (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) जोड़ा. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में जुबैर को मिली अंतरिम जमानत को कोर्ट के अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया.
27 जून को पहले मामले में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल द्वारा पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद, जुबैर को पुलिस ने एक अन्य मामले में अचानक गिरफ्तार किया था.
पुलिस के अनुसार, यह मामला उनके द्वारा 2018 के एक ट्वीट से संबंधित है, जिसमें "किसी विशेष धर्म के भगवान का जानबूझकर अपमान करने के उद्देश्य से इमेज ट्वीट की गई" है. पुलिस ने अपने बयान में बताया था कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत दायर एक अन्य मामले में जुबैर ट्वीट आपत्तिजनक नहीं पाया गया था.
दूसरे मामले के संबंध में दिल्ली पुलिस के पास कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई थी. पुलिस ने एक अज्ञात ट्विटर अकाउंट '@balajikijain' द्वारा 19 जून के ट्वीट का संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की.
लखीमपुर खीरी पुलिस ने 8 जुलाई को गिरफ्तार किए गए फैक्ट-चेकर के खिलाफ 2021 में धार्मिक समूहों के बीच कथित रूप से दुश्मनी फैलाने के मामले में दर्ज एक मामले में एक नया वारंट जारी किया.
क्विंट को मिली प्राथमिकी में आशीष कुमार कटियार नाम के शिकायतकर्ता ने जुबैर पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के मकसद से ट्विटर पर 'फर्जी खबर' फैलाने का आरोप लगाया, जिसके बाद धारा 153-ए (दो लोगों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया गया.
शिकायतकर्ता दक्षिणपंथी चैनल सुदर्शन न्यूज का कर्मचारी है और उसने आरोप लगाया है कि जुबैर का ट्वीट मीडिया आउटलेट के बारे में लोगों को गुमराह कर रहा है. कटियार ने कथित तौर पर एक ट्वीट पर आपत्ति जताई थी जिसमें जुबैर ने बताया था कि सुदर्शन न्यूज ने मदीना से अल-मस्जिद-ए-नबावी की छवियों का इस्तेमाल किया और इसे गाजा की एक पुरानी तस्वीर पर लगाया, और ग्राफिक्स की मदद से मस्जिद पर बमबारी की गई थी.
मई 2021 में लोनी जिले में एक बुजुर्ग व्यक्ति पर हमले पर रिपोर्ट के सिलसिले में जुबैर पिछले साल गाजियाबाद में बुक किए गए नौ लोगों में शामिल थे.
गाजियाबाद के लोनी में 72 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति अब्दुल समद सैफी की बेरहमी से पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, कई लोगों ने इस घटना को सांप्रदायिक रूप से प्रेरित हेट क्राइम होने का दावा करते हुए साझा किया.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस तरह के आरोपों से इनकार किया था और कहा था कि मामले में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं था. गाजियाबाद पुलिस ने सबा नकवी, राणा अय्यूब और जुबैर सहित कई पत्रकारों पर सांप्रदायिक विद्वेष भड़काने के आरोप में मामला दर्ज किया था.
ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक से पिछले साल जून में लोनी बॉर्डर पुलिस स्टेशन में मामले के सिलसिले में पूछताछ की गई थी.
अगस्त 2020 में, दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद ज़ुबैर पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के लिए बने कानून (POCSO) के तहत एक केस दर्ज किया था. ये केस नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के (NCPCR) प्रमुख प्रियंक कानूनगो की शिकायत पर दर्ज किया गया था.
NCPCR की शिकायत में जुबैर द्वारा साझा किए गए एक ट्वीट का हवाला दिया गया था, जिसमें एक शख्स के साथ जुबैर का ऑनलाइन विवाद हुआ था. जुबैर ने उस शख्स से जुड़ी एक बच्ची की तस्वीर शेयर की थी, जिसका चेहरा धुंधला था.
एक फैक्ट चेक से जुड़े ट्वीट के जवाब में उस शख्स ने जुबैर को गाली दी थी, जिसके बाद जुबैर ने यूजर की प्रोफ़ाइल तस्वीर को कैप्शन के साथ साझा करके जवाब दिया था: "क्या आपकी प्यारी पोती को सोशल मीडिया पर लोगों को गाली देने के आपके काम के बारे में पता है? मेरा सुझाव है कि आप अपना प्रोफाइल पिक्चर बदलें."
मुजफ्फरनगर में जान से मारने की धमकी का मामला, हाथरस में 2 अन्य मामले मुजफ्फरनगर के चरथावल थाने में अंकुर राणा नाम के शख्स ने 27 जुलाई 2021 को जुबैर पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि सुदर्शन न्यूज की इजरायल में बमबारी के बारे में गलत सूचना के बारे में जुबैर के ट्वीट को देखने के बाद, उसने पत्रकार को फोन किया था. अंकुर राणा ने आरोप लगाया कि जुबैर ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी.
जुबैर पर झूठे सबूत गढ़ने, शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करने और आपराधिक धमकी देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. इस मामले में कोर्ट में ट्रायल चल रहा है. पत्रकार के खिलाफ हाथरस में भी दो मामले धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में दर्ज किए गए हैं.
हाथरस की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने जुबैर के खिलाफ दूसरे मामले में वारंट जारी किया है. द हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें सीतापुर जेल में नोटिस दिया गया है, जहां वह वर्तमान में बंद हैं, और 14 जुलाई को अदालत में पेश होने के लिए कहा है.
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