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तारीखः 14 मार्च 2019. समयः शाम 7.30. जगहः मुंबई. लोग अपने दफ्तरों से घर के लिए लौट रहे थे. सड़कों पर हर रोज की तरह काफी गहमा-गहमी थी. सड़क पर भारी ट्रैफिक की वजह से हर रोज की तरह ही लोग सड़क क्रॉस करने के लिए छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और टाइम्स ऑफ इंडिया बिल्डिंग को जोड़ने वाले फुटओवर ब्रिज से गुजर रहे थे. हर रोज की तरह ही फुटओवर ब्रिज के ऊपर और नीचे दोनों ही तरफ भारी भीड़ थी. इसी दौरान फुटओवर ब्रिज का एक हिस्सा ढह गया.
फुटओवर ब्रिज का सैकड़ों टन मलबा चलती हुई सड़क पर गिरा और चारों तरफ चीत्कार फैल गया. इस हादसे में 6 लोगों की मौत हो गई और 34 लोग घायल हो गए.
इस भयानक हादसे में जो लोग बाल-बाल बच गए, उनके लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं है. लेकिन इस घटना के ये चश्मदीद आंखों देखा हाल बताते हुए सिहर जाते हैं.
‘मुंबई मिरर’ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई के उल्हासनगर निवासी राजेंद्र गुप्ता ने बताया कि जिस वक्त हादसा हुआ वह फुटओवर ब्रिज पर ही थे. वह आगे बढ़ ही रहे थे, तब तक उनसे कुछ ही कदमों के आगे का हिस्सा ढह गया.
फुटओवर ब्रिज का हिस्सा ढहते देख वह जान बचाने के लिए पुल की रेलिंग पकड़कर लटक गए. राजेंद्र के मुताबिक, पुल से लटकता देख उनके पीछे खड़े दो लोगों ने हाथ बढ़ाया और उन्हें बचाया. राजेंद्र ने कहा कि भगवान ने उनके बढ़ते कदमों को रोक दिया, वरना आज वह जीवित नहीं होते.
इस घटना के एक और चश्मदीद रूपेश भी अपने काम की जगह से घर लौट रहे थे. वह ब्रिज पर चढ़े ही थे कि तभी ब्रिज का एक बड़ा हिस्सा ढह गया. अपनी आपबीती बयां करते हुए उन्होंने कहा कि मौत उनसे बस दो कदम की दूरी पर ही थी.
रूपेश के मुताबिक, वह पिछले 10 सालों से इस फुटओवर ब्रिज का इस्तेमाल कर रहे थे. लेकिन अचानक हुए इस हादसे से वह सन्न रह गए.
इस हादसे के एक और चश्मदीद ने बताया कि फुटओवर ब्रिज के पास वाले ट्रैफिक सिग्नल ने कई लोगों की जान बचा ली. उन्होंने बताया कि उनके साथ तमाम लोग रेड लाइट पर सिग्नल ग्रीन होने की वजह से रुके हुए थे. इसी दौरान लोगों समेत ब्रिज का एक हिस्सा सड़क पर आ गिरा.
उन्होंने बताया कि अगर सिग्नल ग्रीन होता तो और ये हादसा और भी भयानक हो सकता था.
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