मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019ट्रिपल तलाक पर केंद्र का बिल संविधान के खिलाफ: पर्सनल लॉ बोर्ड

ट्रिपल तलाक पर केंद्र का बिल संविधान के खिलाफ: पर्सनल लॉ बोर्ड

AIMPLB ने मोदी सरकार के बिल पर जताया ऐतराज 

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
सुप्रीम कोर्ट ने इंस्टैंट ट्रिपल तलाक को गैर-कानूनी घोषित किया है
i
सुप्रीम कोर्ट ने इंस्टैंट ट्रिपल तलाक को गैर-कानूनी घोषित किया है
(फोटो: द क्विंट)

advertisement

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक के खिलाफ प्रस्तावित केंद्र के बिल को वापस लेने की मांग की है. बोर्ड ने बिल को महिलाओं के अधिकारों और संविधान के खिलाफ करार देते हुए ये मांग उठाई है. केंद्र सरकार का बिल अगर कानून की शक्ल में ढलता है तो इंस्टैंट ट्रिपल तलाक देने वालों को तीन साल तक की जेल हो सकती है.

रविवार को बोर्ड की कार्यकारिणी समिति की इमरजेंसी मीटिंग के बाद बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलील-उर-रहमान सज्जाद नोमानी ने कहा कि मीटिंग में केंद्र सरकार के प्रस्तावित विधेयक के बारे में विस्तार से चर्चा की गई.

बोर्ड का मानना है कि तीन तलाक संबंधी विधेयक का मसौदा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों, शरियत और संविधान के खिलाफ है.

‘ट्रिपल तलाक’ पर SC ने क्या कहा था, समझिए आसान लैंग्‍वेज में-

बोर्ड ने ये भी कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखलअंदाजी की भी कोशिश की जा रही है. अगर ये विधेयक कानून बन गया तो इससे महिलाओं को बहुत सी परेशानियों और उलझनों का सामना करना पड़ेगा.

बोर्ड का कहना है कि जिस तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध बताया था उसे केंद्र सरकार ने आपराधिक प्रक्रिया में उलझा दिया है. सवाल ये है कि जब तीन तलाक होगा ही नहीं तो सजा किसे दी जाएगी.

केंद्र का प्रस्तावित विधेयक संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है. साथ ही ये तीन तलाक पर 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मंशा के भी खिलाफ है. केंद्र सरकार उससे काफी आगे बढ़ गई है. ये बेहद आपत्तिजनक बात है कि केंद्र सरकार ने इस विधेयक का मसौदा तैयार करने से पहले किसी भी मुस्लिम संस्था यानी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, किसी भी मुस्लिम विद्वान या महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाले किसी भी संगठन से कोई राय मशविरा नहीं किया. 
सुप्रीम कोर्ट के इंस्टैंट ट्रिपल तलाक को अवैध घोषित किए जाने के बाद केंद्र सरकार इस मामले पर कानून लाने जा रही है.(फोटो: द क्विंट)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ये हैं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दलीलें

  • ये महसूस किया गया है कि तीन तलाक रोकने के नाम पर बने मसौदे में ऐसे प्रावधान रखे गए हैं जिन्हें देखकर ये साफ लगता है कि सरकार शौहर (पति) से तलाक के अधिकार को छीनना चाहती है. ये एक बड़ी साजिश है.
  • विधेयक के मसौदे में ये भी कहा गया है कि तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत के अलावा तलाक की अन्य शक्लों पर भी बैन लगा दिया जाएगा.
  • बोर्ड की वरिष्ठ महिला सदस्य अस्मा जहरा ने कहा कि केंद्र सरकार के प्रस्तावित विधेयक के मसौदे में मुस्लिम महिलाओं के हितों की पूरी तरह अनदेखी की गई है. जैसा कि विधेयक के मसौदे में लिखा है कि तलाक देने वाले शौहर को तीन साल के लिए जेल में डाल दिया जाएगा. ऐसे में सवाल ये है कि जिस महिला को तलाक दिया गया है उसका गुजारा कैसे होगा और उसके बच्चों की परवरिश कैसे होगी.

ट्रिपल तलाक विधेयक को वापस लेने की मांग

बोर्ड की केंद्र सरकार से गुजारिश है कि वो अभी इस विधेयक को संसद में पेश न करे. अगर सरकार को ये बहुत जरुरी लगता है तो वो उससे पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुस्लिम महिला संगठनों से बात कर ले. बोर्ड की बैठक में ये फैसला लिया गया है कि बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक बोर्ड की भावनाओं को पहुंचाएंगे और तीन तलाक संबंधी विधेयक को वापस लेने की गुजारिश करेंगे.

(-इनपुट भाषा से)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT