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हिजाब विवाद पर Nikhat Zareen की दो टूक: 'कोई क्या पहनता है,यह उसकी अपनी पसंद है'

Nikhat Zareen वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाली पांचवीं भारतीय महिला मुक्केबाज बनी हैं

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भारत
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हिजाब विवाद पर Nikhat Zareen की दो टूक: 'कोई क्या पहनता है,यह उसकी अपनी पसंद है'

(फोटो- Altered By Quint)

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वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर देश का मान बढ़ाने वालीं निकहत जरीन (Nikhat Zareen) सामाजिक मुद्दों पर भी खुलकर अपनी बात रख रहीं हैं. स्कूलों और कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने से जुड़े विवाद पर इस स्टार एथलीट ने कहा कि कोई क्या पहनता है, यह पूरी तरह से उसकी खुद की पसंद का विषय है.

NDTV को दिए एक इंटरव्यू में निकहत जरीन ने कहा कि "यह पूरी तरह से उनकी अपनी पसंद है. मैं उनकी पसंद पर कमेंट नहीं कर सकती. मेरी भी खुद की अपनी पसंद है. मुझे ऐसे कपड़े पहनने पसंद हैं. मुझे ऐसे कपड़े पहनने से कोई एतराज नहीं है और न ही मेरे परिवार वालों को. इसलिए मुझे फर्क नहीं पड़ता कि लोग मेरे बारे में क्या कहते हैं"

"लेकिन अगर वे हिजाब पहनना चाहती हैं और अपने धर्म को फॉलो करना चाहती हैं, तो यह उनकी अपनी निजी पसंद है. मुझे उनके हिजाब पहनने में कोई दिक्कत नहीं है. आखिरकार यह उनकी अपनी पसंद है."
निकहत जरीन

मालूम हो कि निकहत जरीन ने महिला वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के 52 किग्रा वर्ग मुकाबले में गोल्ड मेडल जीता है. उन्होंने तुर्की के इस्तांबुल में खेले गए फाइनल मुकाबले में थाईलैंड की जितपोंग जुतामास को हराया.

इस उपलब्धि के साथ निकहत जरीन वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाली केवल पांचवीं भारतीय महिला मुक्केबाज बनी हैं.

कर्नाटक समेत पूरे देश में हिजाब बना बहस का मुद्दा

पिछले साल के आखिर में हिजाब को लेकर विवाद कर्नाटक में तब शुरू हुआ जब कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने हिजाब पहनकर स्कूल आने वाली लड़कियों पर आपत्ति जताई थी.

यह मामला पूरे कर्नाटक राज्य और उसके बाहर पूरे देश में भी फैल गया. मामला अदालत के दरवाजे पर भी गया और राज्य सरकार ने स्कॉलों तथा कॉलेजों में "समानता, अखंडता और पब्लिक ऑर्डर को बिगाड़ने वाले" कपड़ों पर बैन लगा दिया.

कर्नाटक हाई कोर्ट ने मार्च 2022 में राज्य सरकार के इस बैन को बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया कि हिजाब आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है, जिसे धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत सुरक्षा दिया जाए. इस आदेश को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

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