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निर्भया गैंगरेप केस के 4 दोषियों मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को फांसी दे दी गई है. अब तक लगातार कानूनी-दांवपेंचों और तरह-तरह के पैंतरों और हथकंडों की वजह से सजा टलती आ रही है. चारों दोषियों ने मौत की सजा से बचने के लिए जिस तरह के पैंतरे इस्तेमाल किए हैं, आइए डालते हैं उनपर एक नजर.
पिछले साल दिसंबर में निर्भया केस के दोषियों में से एक अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी. याचिका में अक्षय ने दलील दी, कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है. दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है. साथ ही यहां का पानी भी जहरीला हो चुका है. ऐसे में जब खराब हवा और पानी के चलते उम्र पहले से ही कम होती जा रही है, तो फिर फांसी की सजा की जरूरत क्यों है?
पिछले महीने मामले में दोषी पवन कुमार गुप्ता की स्पेशल लीव पेटिशन (SLP) सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. पवन ने इस याचिका में दावा किया था कि अपराध के वक्त वह नाबालिग था. इससे पहले पवन ने दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी लगाई गई थी, जिसमें कहा गया था कि वो घटना के वक्त नाबालिग था. इसी के आधार पर उसने कोर्ट से राहत देने की मांग की थी. लेकिन हाई कोर्ट से अर्जी खारिज कर दी थी, जिसके बाद हाई कोर्ट के फैसले को पवन की ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
इस साल जनवरी में निर्भया के दोषी मुकेश के वकील ने कोर्ट में कुछ ऐसी दलीलें दी, जिन्हें सुनकर कोई भी हैरान हो जाए. मुकेश के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि मुकेश के साथ तिहाड़ जेल में यौन उत्पीड़न हुआ और उसे साथी दोषी से सेक्स करने को मजबूर किया गया. दोषी मुकेश राष्ट्रपति के पास दया याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. उसने मानवाधिकारों का हवाला देते हुए दया याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ अर्जी दाखिल की थी. इस सुनवाई के दौरान दोषी के वकील कई पैंतरों से जजों को ये समझाने की कोशिश करते नजर आए कि उसे माफ कर दिया जाना चाहिए. वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो रोज मर रहा है. उसका जेल में यौन उत्पीड़न किया गया, उसके भाई ने आत्महत्या कर दी, या उसकी हत्या कर दी गई. इसीलिए वो हर दिन मौत की तरह गुजार रहा था.
इसी महीने 13 फरवरी को अदालत ने 17 फरवरी तक के लिए इस मामले में सुनवाई टाल दी थी, जिसकी वजह थी निर्भया के चार दोषियों में से एक पवन गुप्ता के लिए नए वकील की नियुक्ति. पवन गुप्ता ने अदालत को बताया था कि उसने अपने वकील को हटा दिया है और इसलिए उसे थोड़ा वक्त चाहिए, ताकि अदालत में उसका पक्ष सही तरीके से रखा जा सके. उसने अदालत से यह भी कहा था कि उसे उसकी पसंद का वकील चुनने की आजादी मिलनी चाहिए. इसके बाद अदालत ने जेल प्रशासन से उसे वकील मुहैया कराने को कहा था. इसकी बाद कोर्ट ने रवि काजी को उसका नया वकील नियुक्त किया और मामले की सुनवाई 17 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी.
निर्भया मामले के चार दोषियों में से एक विनय शर्मा ने हाल ही में तिहाड़ जेल में अपनी कोठरी में दीवार पर सिर पटक कर खुद को घायल कर लिया था. इसके बाद विनय के वकील ने कोर्ट में कहा कि विनय को सिर में चोट आई है. उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है. उन्होंने विनय के लिए हाई लेवल मेडिकल ट्रीटमेंट की मांग भी की. कोर्ट ने निर्भया के गुनहगार विनय की याचिका खारिज करते हुए कहा कि उसकी मेडिकल रिपोर्ट से साफ है कि वो मानसिक रूप से स्वस्थ है और उसकी मेडिकल कंडीशन भी स्थिर है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ‘मौत की सजा पाने वाले दोषियों के मामले में एंग्जाइटी और डिप्रेशन होता है. इस मामले में दोषी को पर्याप्त मेडिकल ट्रीटमेंट और साइकोलॉडिकल मदद मुहैया कराई गई है.’
मामले के चार में तीन दोषी मुकेश, विनय और अक्षय फांसी के बचने के लिए राष्ट्रपति के सामने दया याचिका भी लगा चुके हैं, लेकिन वो खारिज हो गई हैं. ऐसे में इन तीनों की फांसी का रास्ता बिल्कुल साफ हो गया है. इनके पास अब फांसी से बचने का कोई विकल्प नहीं बचा है. लेकिन चौथे दोषी पवन गुप्ता ने अभी तक न तो सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेविट पिटीशन लगाई है और न ही राष्ट्रपति से दया की गुहार लगाई है. अगर पवन की तरफ से फांसी के दिन से ठीक पहले क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की जाती है तो सुनवाई में समय लगने की वजह से 3 मार्च की सुबह फांसी टल सकती है. इसके बाद भी पवन के पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाने का आखिरी विकल्प बच जाएगा. इस वजह से भी फांसी में देरी हो सकती है.
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