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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार के आखिरी बजट में किए गए किसानों की आय को साल 2022 तक दोगुना किए जाने के दावे को खारिज किया है. सिंह ने कहा कि साल 2022 तक किसानों की आय दोगुना करना तब तक संभव नहीं है जब तक कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 12 प्रतिशत तक नहीं पहुंच जाती.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘राजकोषीय घाटे में वृद्धि हुई है.” इससे पहले, सिंह ने कहा था कि यह देखना होगा कि सरकार अपने वादों को कैसे पूरा करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं समझता कि मैं यह कह सकता हूं कि यह बजट चुनावों में फायदा हासिल करने की मंशा से पेश किया गया है, लेकिन मुझे इस बात की चिंता है कि वित्तीय अंकगणित में कुछ गड़बड़ है.”
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वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को आम बजट पेश करने के दौरान कहा था कि सरकार साल 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की कोशिश करेगी. जेटली ने कहा कि सरकार ने साल 2017 के रबी फसलों के लिए उत्पादन लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है जैसा कि बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में वायदा किया गया था.
जेटली ने कहा कि हमने इस प्रस्ताव को एक सिद्धांत के बतौर बाकी फसलों के लिए लागू करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि पूर्व निर्धारित सिद्धांत के अनुसार सरकार ने खरीफ के सभी अघोषित फसलों का एमएसपी, उनके उत्पादन लागत का डेढ़ गुना अधिक रखने का फैसला किया गया है. जेटली ने कहा कि सरकार अपने चुनावी वायदे को लागू करने के प्रति बेहद संवेदनशील रही है. इसे एक ऐतिहासिक फैसला करार देते हुए कहा कि यह पहल किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.
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पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि 2018-19 के बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली राजकोषीय मजबूती की परीक्षा में फेल हुए हैं और इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे.
उन्होंने कहा कि 2017-18 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.2% पर रखा गया था लेकिन इसके 3.5% पर पहुंचने का अनुमान है. जेटली के बजट भाषण खत्म करने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में चिदंबरम ने कहा, ‘‘वित्त मंत्री राजकोषीय मजबूती की परीक्षा में विफल रहे हैं और इसके गंभीर परिणाम होंगे.''
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