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इस वक्त देश में रोजगार की हालत पिछले 45 सालों में सबसे खराब है. नेशनल सेंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के मुताबिक, साल 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी रही.
बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार ने ये रिपोर्ट छापी है. ये वही रिपोर्ट है जिसे जारी ना करने को लेकर केंद्र सरकार विवादों में है. रिपोर्ट जारी ना करने पर आपत्ति जताते हुए राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) के दो सदस्यों ने 28 जनवरी को इस्तीफा दे दिया था.
रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 की बेरोजगारी दर 1972-73 के बाद सबसे ज्यादा है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक देश के शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 7.8 फीसदी जबकि ग्रामीण इलाकों में 5.3 फीसदी है.15-29 साल के शहरी पुरुषों के बीच बेरोजगारी की दर 18.7 फीसदी है. 2011-12 में ये दर 8.1 फीसदी थी. 2017-18 में शहरी महिलाओं में 27.2 फीसदी बेरोजगारी है जो 2011-12 में 13.1 फीसदी थी.
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NSSO का ये सर्वे जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच किया गया है. इस सर्वे की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकार में आने और नोटबंदी अमल में लाने के बाद का पहला सर्वे है जो देश में रोजगार की हालत की पड़ताल करता है.
NSSO सर्वे ये भी कहता है कि लोग काम-धंधे से दूर हो रहे हैं. आंकड़ो के मुताबिक नौकरी कर रहे या नौकरी ढूंढ रहे लोगों की तादाद कम हुई है. इस आंकड़े को दिखाने वाली LFPR की दर 2011-12 में 39.5% थी जो 2017-18 में घटकर 36.9% हो गई.
(इनपुट- Business Standard )
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