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देश में बेरोजगारी को लेकर जारी हुए नेशनल सेंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के डेटा पर बवाल शुरू हो चुका है. एक तरफ विपक्ष केंद्र पर लगातार हमलावर है, वहीं दूसरी तरफ नीति आयोग को इस पर सफाई देनी पड़ी. बीजेपी ने तुरंत इसे फेक न्यूज करार दे दिया, जिसके बाद कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी अपनी ही सरकार के डेटा को फेक बता रही है.
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर जमकर हमला बोला और मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को फेल करार दिया. राहुल गांधी ने तो इसे राष्ट्रीय आपदा तक घोषित कर दिया.
नेशनल सेंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के डेटा की खबरें सामने आते ही बीजेपी ने अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया. जिसमें लिखा गया कि ईपीएफओ का असली डाटा बता रहा है कि पिछले 15 महीनों में नौकरियों में काफी तेजी आई है. सिर्फ वही आदमी जिसने कभी सही नौकरी नहीं ली है और पूरी तरह बेरोजगार है, वही ऐसी फेक न्यूज फैला सकता है.
NSSO के डेटा पर केंद्र सरकार को घेर रही कांग्रेस ने तुरंत बीजेपी के ट्वीट का जवाब दिया. कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से बीजेपी के ट्वीट को कोट करके लिखा गया, बस बीजेपी को बताने के लिए, क्या आप ये कह रहे हैं कि आपकी अपनी सरकार की एजेंसी का नौकरियों को लेकर डेटा फेक है? EPFO का डेटा नई नौकरियों के बारे में ये स्पष्ठ नहीं करता है कि किस ऑर्गनाइजेशन ने कितनी नौकरियां पैदा की हैं.
बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार ने ये रिपोर्ट छापी थी. ये वही रिपोर्ट थी जिसे जारी ना करने को लेकर केंद्र सरकार विवादों में है. रिपोर्ट जारी ना करने पर आपत्ति जताते हुए राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) के दो सदस्यों ने 28 जनवरी को इस्तीफा दे दिया था. नेशनल सेंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के मुताबिक, साल 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी रही. NSSO सर्वे ये भी कहता है कि लोग काम-धंधे से दूर हो रहे हैं. आंकड़ो के मुताबिक नौकरी कर रहे या नौकरी ढूंढ रहे लोगों की तादाद कम हुई है. इस आंकड़े को दिखाने वाली LFPR की दर 2011-12 में 39.5% थी जो 2017-18 में घटकर 36.9% हो गई.
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