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कोरोना से संक्रमित लोगों को अब वैक्सीनेशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. क्योंकि केंद्र सरकार के एक पैनल ने कहा कि कोविड-19 से संक्रमित लोगों को रिकवरी के 6 महीने तक वैक्सीन न दी जाए. वैक्सीनेशन पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह ने कोविशील्ड वैक्सीन के 2 डोज के बीच 12 से 16 हफ्तों का गैप बढ़ाने की सिफारिश की है. हालांकि कोवैक्सीन की दो खुराक के बीच समय अंतराल में बदलाव को लेकर कोई सुझाव नहीं दिया गया है.
टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराक के बीच समय बढ़ाने को लेकर सवाल उठने लगे हैं. कांग्रेस ने इस मामले में सरकार से पारदर्शिता बरतने की मांग की है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पूछा कि क्या वैक्सीन की कमी की वजह से ऐसा किया जा रहा है?
वैक्सीनेशन पॉलिसी में इससे पहले भी सरकार बदलाव कर चुकी है. अगर सरकार वैक्सीन की कमी के बीच NTGAI की इन सिफारिश को मान लेती है तो कई लोगों को वैक्सीनेशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.
कोविशील्ड वैक्सीन के दूसरे डोज को लेकर NTGAI की 12 से 16 हफ्ते की सिफारिश का कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डॉ अश्वाथ नारायणन ने स्वागत किया.
अश्वथ नारायणन का दावा है कि कई देशों में ऐसा किया जा रहा है. उदाहरण देते उन्होंने कहा कि कनाडा में वैक्सीन का सेकंड डोज 3-4 महीने के अंतराल में दिया जा रहा है. ऐसे समय में हमें भी वैक्सीन की सप्लाई बढ़ाने पर जोर देना चाहिए, साथ ही वैक्सीन के लोकल प्रोडक्शन के विकल्पों को तलाशना चाहिए.
भारत में कोविशील्ड वैक्सीन का निर्माण कर रही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने NDTV से बातचीत में सरकार के पैनल की सिफारिश को सही बताया है. उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा कदम है क्योंकि यह डेटा पर आधारित है जो सरकार को प्राप्त हुआ है. इसलिए वैज्ञानिक नजरिये से वैक्सीन के दूसरे डोज में समय अवधि को बढ़ाना ठीक रहेगा.
FIT के साथ इंटरव्यू में डॉ गगनदीप कांग ने सुझाव देते हुए कहा कि भारत में कोविशील्ड वैक्सीन का दूसरा डोज देने में देरी पर विचार करना चाहिए. इससे न केवल वैक्सीन की कमी से जूझने में मदद मिलेगी बल्कि लंबे समय के लिए वैक्सीन के बेहतर प्रभाव देखने को मिलेंगे.
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर पहले ही तय कर लिया था कि, वे वैक्सीन का दूसरा डोज देने में 3 महीने की देरी करेंगे. हमारे पास एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का रियल वर्ल्ड डेटा है जिससे पता चलता है कि वैक्सीन के सिंगल डोज से अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के मामले में कमी आती है. इसलिए, कोविशील्ड के पहले डोज से 3 महीने तक हमें सुरक्षा मिल सकती है.
कोरोना संक्रमित व्यक्ति को 6 महीने बाद वैक्सीन देने की NTGAI की सिफारिश पर सवालों के बीच यह जानना भी जरूरी है कि आखिर विदेशों में इसे लेकर क्या नियम है?
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार, कोरोना पॉजिटिव होने के कम से कम 90 दिन बाद वैक्सीन दी जानी चाहिए यानी अमेरिका में यह अवधि 3 माह की है.
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड मरीजों में 6 महीने तक नेचुरल इम्युनिटी रहने की बात कही है. हालांकि WHO के अनुसार, यदि वैक्सीन की पहली डोज के बाद टेस्ट पॉजिटिव आता है तो दूसरी खुराक के 8 हफ्ते बाद दी जानी चाहिए.
कोरोना वैक्सीनेशन में बदलाव को लेकर NTGAI की सिफारिश पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं और सरकार से सफाई मांगी है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि अगर यह सुझाव वैक्सीन की कमी या कुछ एक्सपर्ट की सलाह पर आधारित हैं. तो हम मोदी सरकार से पारदर्शिता की उम्मीद करते हैं.
वहीं कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्विट करते हुए लिखा कि, कृपया केंद्र सरकार इन सुझावों के पीछे के पब्लिक साइंस को समझाए.
बता दें कि NTGAI ने गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण पर भी सुझाव दिया है. NTGAI का कहना है कि प्रेग्नेंट महिलाओं को किसी भी कोरोना वैक्सीन लेने का विकल्प दिया जा सकता है और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को डिलीवरी के बाद कभी वैक्सीन लगाई जा सकती है.
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