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हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की सुखविंदर सिंह 'सुक्खू' सरकार ने राज्य में पुरानी पेंशल योजना (OPS) बहाल कर दी. सरकार ने गुरुवार, 4 अप्रैल को मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को भी जारी कर दिया. इस योजना को केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के रूप में भी जाना जाता है.
कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के साथ रहना है या नयी पेंशन के साथ? सरकार ने कर्मचारियों के सामने इसके विकल्प रखे हैं. SOP के अनुसार, जो कर्मचारी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली यानी NPS के तहत रहना चाहते हैं, वे इन निर्देशों के जारी होने के 60 दिनों के भीतर इसका विकल्प संबंधित कार्यालय प्रमुख को पेश करेंगे. ऐसे कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में कवर किया जाना जारी रहेगा.
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत अंशदान (नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का हिस्सा) कर्मचारी की रिटायरमेंट तक पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण विनियमों के अनुसार जमा किया जाएगा.
पुरानी पेंशन योजना के तहत शामिल होने की इच्छा रखने वाले सरकारी कर्मचारियों को भी 60 दिन के भीतर निर्धारित प्रारूप पर विकल्प देना होगा. ऐसे कर्मचारियों द्वारा निर्धारित प्रारूप पर एक अंडरटेकिंग भी प्रस्तुत करनी होगी. प्रारूप के अनुसार, OPS का विकल्प और अंडरटेकिंग कार्यालय प्रमुख को देना होगा.
सरकार ने कर्मचारियों को पहले से स्पष्ट किया है कि कर्मचारी की ओर से नई और पुरानी पेंशन योजना के लिए दिया गया विकल्प अंतिम होगा और अपरिवर्तनीय माना जाएगा यानी इसके बाद कर्मचारी के इस फैसले को नहीं बदला जाएगा. यदि कोई कर्मचारी निर्धारित अवधि के भीतर किसी विकल्प का इस्तेमाल करने में विफल रहता है तो यह माना जाएगा कि वह नई पेंशन योजना में जारी रहना चाहता है.
NPS का विकल्प चुनने वाले कर्मचारियों का शेयर NPS के तहत जमा होता रहेगा, क्योंकि अगर किसी कर्मचारी ने NPS का विकल्प चुना है, तो वह अपना हिस्सा जमा करने के लिए स्वतंत्र हो सकता है. ऐसे मामलों में सरकारी हिस्सा भी जमा किया जाएगा.
केंद्रीय सिविल सेवा नियम 1972, के तहत पेंशन पात्रता मानदंड पूरा करने वाले जिन NPS कर्मचारियों की 15 मई 2003 से 31 मार्च 2023 के बीच पहले ही सेवानिवृत्त या मृत्यु हो चुकी है. ऐसे सेवानिवृत्त और मृत कर्मचारी के पात्र परिवार के सदस्य निर्धारित प्रारूप पर विकल्प का इस्तेमाल करने पर 1 अप्रैल 2023 से पेंशन के हकदार होंगे.
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