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संसद का शीतकालीन सत्र (Parliament winter session) 29 नवंबर से शुरू होने के लिए तैयार है. इसमें एक तरफ सबकी नजर होगी तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों (Farm Laws) को निरस्त करने के लिए विधेयक पर, जिसे लाने के लिए मोदी सरकार तैयार है. तो दूसरी तरफ संसद का यह शीतकालीन सत्र आगामी विधानसभा चुनावों के पहले ‘विपक्षी एकता’ की मजबूती को भी मापेगा.
निरसन विधेयक के अलावा, सरकार ने संसद सत्र के लिए 25 मसौदा कानूनों को सूचीबद्ध किया है. इसमें RBI द्वारा आधिकारिक डिजिटल करेंसी की अनुमति देते हुए कुछ निजी क्रिप्टोकरेंसी को छोड़कर सभी पर बैन लगाने वाला बिल भी शामिल है.
कृषि कानून निरसन विधेयक लोकसभा में पेश किए जाने को तैयार है. विवादस्पद तीन कानूनों को निरस्त करने के लिए हजारों किसान पिछले एक साल से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
कृषि कानून निरसन विधेयक में कहा गया है कि हालांकि इन कानूनों के खिलाफ "किसानों का केवल एक छोटा समूह विरोध कर रहा है", समावेशी विकास के लिए सभी को साथ लेकर चलना समय की मांग है.
सत्ताधारी बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने अपने सांसदों को शीतकालीन सत्र के पहले दिन उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है. विपक्ष इस दौरान किसानों की दुर्दशा के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी समर्थन की किसानों की मांग को लेकर सरकार पर निशाना साधने की कोशिश करेगा.
साथ ही कांग्रेस ने तीन कानूनों के खिलाफ साल भर के विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के लिए शोक प्रस्ताव की भी मांग की है.
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 पर संसद की संयुक्त समिति की एक रिपोर्ट भी सत्र के दौरान दोनों सदनों में पेश की जाएगी.
मॉनसून सत्र में पेगासस स्पाईवेयर मामले के कारण मोदी सरकार बैकफुट पर दिख रही थी . पिछले महीने, SC ने अपने पूर्व न्यायाधीश, जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ तकनीकी समिति नियुक्त की ताकि विपक्ष के आरोपों की जांच हो सके कि सरकार ने इजराय के स्पाइवेयर पेगासस की मदद से नेताओं, पत्रकारों और अन्य पर जासूसी की.
सीबीआई और ईडी के डायरेक्टर्स के कार्यकाल को मौजूदा दो साल से बढ़ाकर पांच साल करने के लिए 14 नवंबर को सरकार दो अध्यादेशों लेकर आई. शीतकालीन सत्र के लिए सरकार की विधायी कार्य सूची के अनुसार, इन अध्यादेशों को कानून में बदलने के लिए तीन विधेयकों को भी सूचीबद्ध किया गया है.
कांग्रेस पार्टी चीन के साथ बॉर्डर पर तनाव से निपटने के लिए मोदी सरकार पर हमला करती रही है और उस पर भारत की अखंडता से समझौता करने का आरोप लगा रही है जबकि केंद्र ने इस आरोप से इनकार किया है.
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