प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 19 नवंबर को राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की. प्रधानमंत्री ने कहा, "शायद हमारी तपस्या में कुछ कमी थी, इसलिए हम कुछ किसानों को कानूनों के बारे में नहीं समझा सके. इसलिए हमने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है."
मोदी ने कहा है कि संसद के आगामी सत्र में तीन कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा. अब कानून को वापस करने का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन इसकी प्रक्रिया क्या है? आइए समझते हैं.
भारत के संविधान का अनुच्छेद 245 कानूनों को निरस्त करने की संसद की शक्ति का स्रोत है.
प्रधानमंत्री और सरकार की कार्यकारी शाखा इस तरह से कानून को निरस्त नहीं कर सकती. क्योंकि कोई भी कानून संसद द्वारा पारित होता है, न कि प्रधानमंत्री और कैबिनेट की मंजूरी के चलते यह अस्तित्व में आता है.
ऐसा करने के लिए एक रिपीलिंग एक्ट को लेकर आना होगा. सरकार कई बार कानूनों को निरस्त और संशोधित करती रही है.
मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से कई पुराने कानूनों को कानून की किताब से हटाने के लिए कई निरसन और संशोधन किए हैं.
हाल के दिनों में आतंकवाद निरोधक (निरसन) अधिनियम 2004, को लाया गया था.
कृषि कानूनों से छुटकारा पाने के लिए मोदी सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में अलग-अलग रिपीलिंग एक्ट पेश कर सकती है. या फिर एक निरसन कानून के जरिए भी तीनों कानूनों को निरस्त किया जा सकता है.
इसे निरस्त करने के लिए कोई विशेष प्रक्रिया तो नहीं है. किसी भी नियमित कानून की तरह उन्हें संसद के दोनों सदनों से पारित कराना होता है और राष्ट्रपति की सहमति लेनी होती है. अन्य कानूनों की तरह उन्हें या तो राष्ट्रपति की सहमति मिलने के तुरंत बाद, या भविष्य की तारीख में लागू होने के लिए रखा जा सकता है.
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