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Pegasus Project के खुलासे के फोन टैपिंग का मामला फिर गरम हो गया है. Pegasus Project के खुलासों की पहली कड़ी में दावा किया गया है कि भारत सरकार पत्रकारों की जासूसी करा रही है. जासूसी इजराइली कंपनी NSO के स्पाईवेयर पेगासस के जरिए की जा रही है. आने वाले दिनों में और नामों के खुलासे होंगे जिनकी जासूसी हो रही है. माना जा रहा है इसमें पत्रकार, कानूनविद और नेता शामिल हैं. सरकार ने आरोपों से इंकार किया है. फोन टैपिंग के इस ताजा मामलों ने उन मामलों की याद दिला दी है, जिनके कारण कभी भारतीय राजनीति में भूचाल आया था.
2019 में भी इजराइल द्वारा तैयार किया गया स्पाईवेयर पेगासस सुर्खियों में था. तब व्हाट्सएप की ओर से कहा गया था कि वह इजराइल की इस कंपनी के खिलाफ केस कर रहा है, क्योंकि इसी के जरिए लगभग 1400 लोगों के व्हाट्सएप की जानकारी उनके फोन से हैक की गई थी.
इसमे कई भारतीयों के नाम भी शामिल होने का आरोप था. रिपोर्ट के अनुसार पेगासस ने भारत के तकरीबन दो दर्जन बुद्धिजीवियों, वकीलों, दलित एक्टिविस्ट, पत्रकारों के अकाउंट की जानकारी को हैक किया था.
आज तक की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में फोन टैपिंग की शुरूआत पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जमाने में ही हो गई थी. उस समय यह आरोप खुद संचार मंत्री रफी अहमद किदवई ने लगाए थे. उन्होंने यह आरोप तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल पर लगाया था, जिसे उन्होंने तूल नहीं दिया.
सेना प्रमुख जनरल केएस थिमाया ने 1959 में अपने और आर्मी ऑफिस के फोन टैप होने का आरोप लगाया था.
नेहरू सरकार के ही एक और मंत्री टीटी कृष्णामाचारी ने 1962 में फोन टैप होने का आरोप लगाया था.
1988 में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े के कार्यकाल में भी फोन टैपिंग का बड़ा मामला सामने आया था. विपक्ष का आरोप था कि हेगड़े ने विपक्षी नेताओं के फोन टेप के आदेश देकर उनकी निजता में सेंध लगाई है.
2006 में अमर सिंह ने यूपीए सरकार पर आरोप लगाया :
राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने 2006 में दावा किया था कि इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) उनका फोन टैप कर रही है. अमर सिंह ने केंद्र की यूपीए सरकार और सोनिया गांधी पर फोन टैपिंग का आरोप लगाया था. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय तक चला.
2011 में अमर सिंह ने केंद्र सरकार पर लगाए आरोपों को वापस ले लिया है. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने अमर सिंह के फोन टेप को मीडिया में दिखाने या छापने पर लगी रोक भी हटा ली.
देश के बड़े उद्योगपतियों रतन टाटा और मुकेश अंबानी की कंपनियों के लिए पीआर का काम कर चुकी नीरा राडिया के फोन टैप का मामला सामने आने के बाद देश में राजनीतिक भूचाल आ गया था. नीरा राडिया की विभिन्न उद्योगपतियों, राजनीतिज्ञों, अधिकारियों और पत्रकारों से फोन पर हुई बातचीत के ब्यौरे मीडिया में प्रकाशित हुए थे. 'आउटलुक' मैग्जीन ने अपनी वेबसाइट पर प्रमुखता से प्रकाशित एक खबर में कहा था कि उसे नीरा राडिया की बातचीत के 800 नए टेप मिले हैं. इस बातचीत के बाद से ही 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में नीरा राडिया की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे.
मनमोहन सरकार पर कई नेताओं के फोन टैप करवाने का आरोप
आउटलुक पत्रिका ने अप्रैल 2010 में दावा किया था कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने देश के कुछ शीर्ष नेताओं के फोन टैप करवाए हैं. इनमें तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार, कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सीपीएम के पूर्व महासचिव प्रकाश करात का नाम सामने आया था.
इस मसले में संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग की गई, जिसे यूपीए सरकार ने खारिज कर दिया था.
अरुण जेटली का मामला
फरवरी 2013 में अरुण जेटली राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे. उस समय उनके फोन टैपिंग मामले में करीब दस लोगों को गिरफ्तार किया गया था. यह मामला जनवरी में उस समय सामने आया था, जब विपक्ष ने सरकार पर जेटली का फोन टैप कराने का आरोप लगाया था.
जेटली की जासूसी के आरोप में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने सहायक उपनिरीक्षक गोपाल, हेड कांस्टेबल हरीश, जासूस आलोक गुप्ता, सैफी और पुनीत के अलावा एक अन्य कांस्टेबल को गिरफ्तार किया गया था.
फोन टैपिंग के आरोप में इनकी कुर्सी गई
अपने राजनीतिक विरोधियों के फोन टेप करवाने के आरोप में कर्नाटक के मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े को 1988 में कुर्सी छोड़ना पड़ी थी.
1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर फोन टैप कराने का आरोप लगा था, जिसके बाद उन्हें अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था.
हाल ही में कर्नाटक सांसद सुमलता अंबरीश ने दावा किया कि 2018-19 में राज्य में कांग्रेस-जेडीएस (JDS) सरकार के कार्यकाल के दौरान उनका टेलीफोन टैप किया गया था.
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कुछ ही दिन पहले विधानसभा में आरोप लगाया था कि साल 2016-17 में जब वो बीजेपी के सांसद थे तब उनका फोन टैप किया जा रहा था.
राजस्थान में पिछले महीने फोन टैप का मामला गरमाया था. यहां आरोप है कि गहलोत सरकार विधायकों के फोन टैप करवा रही है.
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