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इतिहास का भूत आपका कभी पीछा नहीं छोड़ता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में यह बात बेहद प्रासंगिक है. जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने अभी के कुछ मुद्दों पर जो बात कही थी, आजकल वो ठीक उसके विपरीत बयान देते नजर आते हैं. सोशल मीडिया और ट्विटर उन्हें अपने अतीत से भागने नहीं दे रहा है. अब सीबीआई का मामला ही ले लीजिए.
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने जिस तरह सीबीआई मामले को लेकर पूरे विपक्ष को एकजुट कर मोदी सरकार पर हमला बोला है, उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी की खामोशी काफी सवाल खड़े करती है. ममता बनर्जी ने सरकार पर सीबीआई की स्वायत्तता को लेकर सवाल उठाये हैं. इस मामले में ममता ने 'देश बचाओ' नारे और संवैधानिक संस्थाओं को बचाने की मांग करते हुए धरने पर बैठ गई थीं.
बीजेपी के नेताओं ने बिना समय गंवाए सीबीआई का बचाव किया और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि ममता बनर्जी सीबीआई को अपना काम करने से रोक रही हैं.
अगर बीजेपी और खासकर प्रधानमंत्री मोदी के इतिहास को खंगाला जाये, तो तस्वीर बिलकुल साफ हो जाती है. गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी ने सीबीआई पर निशाना साधते हुए जिस तरह का ट्वीट किया था, उससे कुछ अलग ही बात निकल कर आती है.
दरअसल 2002 के गुजरात दंगों और कुछ कथित फर्जी मुठभेड़ की जांच कर रही सीबीआई को लेकर जिस तरह के ट्वीट मोदी ने किये थे, उसमें और अभी के ममता बनर्जी के ट्वीट में काफी समानताएं हैं.
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने मजे के लिए और इन ट्वीट को खोज निकाला. एक ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं, ''सीबीआई का मनमाना दुरुपयोग कर रही है सरकार''.
वहीं दूसरे ट्वीट में उस वक्त सरकार पर आरोप लगाते हुए वे कहते हैं, ''सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इस जांच एजेंसी और प्रक्रिया का इस्तेमाल कर रही है.''
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी अपने पुराने ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा में हैं. इस बार उन्होंने ममता बनर्जी को पूरा समर्थन दिया.
ट्विटर पर लोगों ने भी सारदा चिटफंड घोटाले के आरोपों वाला राहुल गांधी का पुराना ट्वीट ढूंढ निकाला, जिसमें वो ममता बनर्जी पर आरोप लगा रहे हैं.
लेकिन प्रधानमंत्री मोदी अपने पुराने ट्वीट के कारण खुद अपना ही निशाना बन गए हैं. एक बात साफ हो जाती है कि प्रधानमंत्री मोदी के सबसे बड़े आलोचक कोई और नहीं, बल्कि खुद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं. वे जोरदार तरीके से आधार, FDI, पेट्रोल की बढ़ती कीमत और रुपये के गिरते मूल्य को लेकर सवाल उठा चुके हैं.
तब के मुख्यमंत्री मोदी के कुछ जोरदार ट्वीट ऐसे हैं, जो प्रधानमंत्री मोदी की दुखती रग पर नमक छिड़कने जैसा है.
जनवरी 2018 में मोदी सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी थी. कारण बताते हुए सरकार ने कहा था कि इससे विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा और विदेशी निवेशकों के लिए व्यापार करने में आसानी होगी. साथ ही उन्होंने अधिक रोजगार के अवसर पैदा होने की भी बात कही थी.
दूसरी ओर अगर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट को देखा जाए, तो यह बात पता चलती है कि वो FDI के बिलकुल भी समर्थन में नहीं थे. दिसंबर 2012 में जब UPA की सरकार ने FDI बिल लाया था, तो मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसकी कटु आलोचना की थी और कहा था कि इससे बेरोजगारी बढ़ेगी.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपये की कीमत लगातार गिर रही है. अगस्त 2018 में एक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 70.1 पर पहुंच गयी.
सरकार ने तुरंत ही इसके लिए बाहरी ताकतों को इसका जिम्मेदार बताया. वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने इस मामले पर कहा कि रुपया अभी भी अन्य मुद्राओं के मुकाबले बेहतर स्थिति में है. इस लेख के लिखे जाने तक एक डॉलर के मुकाबले रुपया 71.74 पर था.
नीचे के लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्वीट दिखाया गया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जब अटल जी प्रधानमंत्री थे, तब एक डॉलर की कीमत 42 रुपये थी. जब वे हटे, तब एक डॉलर की कीमत 44 रुपये थी.
आपको पेट्रोल की कीमत को लेकर बीजेपी ट्विटर हैंडल से ट्वीट किये हुए हास्यास्पद ग्राफिक ट्वीट तो याद ही होंगे. सितंबर 2018 वाले कॉलम को 2009 और 2014 की अपेक्षा छोटा दिखाया गया था, जबकि सच्चाई ठीक इसके विपरीत थी.
बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को ट्विटर पर इसके लिए काफी ट्रोल भी किया गया था. लेकिन पुरानी यादों से उनके मुख्यमंत्री रहते हुए 2012 का उनका ट्वीट ज्यादा ही अजीब है.
ऐसा लगता है जैसे नरेंद्र मोदी के लिए 'नाकामी' की परिभाषा ही दोहरी है.
आधार कार्ड की प्राइवेसी और सुरक्षा को लेकर देशभर में आंदोलन हुए. इन सबके बावजूद मोदी सरकार ने आधार को दैनिक जीवन की कई चीजों में लागू कर दिया. ऐसी स्थिति पैदा हो गई थी, जब गूगल पर ही कई लोगों के आधार डेटाबेस की जानकारी उपलब्ध थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो इसका विरोध करने वाले लोगों को बेईमान, भ्रष्ट और बिचौलिए तक कह दिया था. लेकिन वह भी इसके सुरक्षा इंतजाम के मुद्दे से वाकिफ थे, जिसका खुलासा 2014 की उनके ट्वीट से होता है.
अपने ट्वीट में उन्होंने उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधा और कहा कि उन्हें इसकी सुरक्षा को लेकर कुछ भी नहीं पता है.
'मनुष्य स्वयं अपना सबसे बड़ा मित्र होता है और शत्रु भी.' ये बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में बिलकुल सटीक बैठती है.
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