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अविश्वास प्रस्ताव:अपने भाषण के दौरान PM मोदी 84%,राहुल गांधी 42% दिखे स्क्रीन पर

कम से कम 3 विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि जब वे सदन में बोल रहे होते हैं तो कैमरा अक्सर उन पर फोकस नहीं रखा जाता

आकृति हांडा
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>No Confidence Motion: पीएम मोदी और राहुल गांधी</p></div>
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No Confidence Motion: पीएम मोदी और राहुल गांधी

(नमिता चौहान/द क्विंट)

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नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने एक बड़ा आरोप लगाया. आरोप यह कि जब सदन में गैर-एनडीए सांसद बोलते हैं तो संसद टीवी का कैमरा उन पर उतना फोकस नहीं करना, जितना कि किसी एनडीए सांसद पर उनके भाषण के समय करता है.

आरोप लगाने वालों में कई कांग्रेसी नेता, डीएमके नेता कनिमोझी और शिरोमणि अकाली दल कीं सांसद हरसिमरत कौर बादल शामिल हैं.

लेकिन ये दावा कितना सच है?

वैसे तो हम सभी वक्ताओं के बारे में ऐसा नहीं कह सकते हैं, लेकिन हमने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भाषणों को देखा और कैलकुलेट किया कि दोनों पर उनके भाषणों के दौरान कैमरा कितनी देर फोकस था.

चलिए बताते हैं हमने क्या पाया.

पीएम मोदी का भाषण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब दो घंटे 12 मिनट तक अपना भाषण दिया. इसी बीच एक मिनट के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संक्षिप्त हस्तक्षेप किया था. तो अगर उसे नहीं मिलाए तो पीएम का भाषण 131 मिनट का था.

इसमें से 110 मिनट से कुछ कम समय तक कैमरा पीएम पर फोकस रहा और करीब 21 मिनट तक उनसे दूर रहा. इतना ही नहीं उन 21 मिनटों के भीतर भी, उनमें से अधिकांश समय कैमरा उन बीजेपी सांसदों पर था जो पीएम मोदी की जय-जयकार कर रहे थे और मेज थपथपा रहे थे.

अगर प्रतिशत के हिसाब से देखें तो पीएम मोदी के भाषण के दौरान 84% समय कैमरा पीएम मोदी पर ही फोकस रहा.

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राहुल गांधी का भाषण

इसके उलट राहुल गांधी के 50% से ज्यादा भाषण में कैमरे का फोकस उन पर नहीं था.

राहुल गांधी का भाषण 36 मिनट तक चला, जिसमें से लगभग 15 मिनट 30 सेकंड तक कैमरा उन पर फोकस रहा और 20 मिनट से कुछ अधिक समय तक उनसे दूर रहा.

अगर प्रतिशत की बात करें तो, कैमरा 42% समय राहुल गांधी पर फोकस था और 58% समय उनसे दूर था.

इसका मतलब यह है कि कम से कम 'मोदी बनाम राहुल गांधी' के मामले में, विपक्ष के आरोप में कुछ सच्चाई हो सकती है.

हालांकि, हम इस आरोप पर तब तक निर्णायक रूप से कुछ नहीं कह सकते, जब तक हम अविश्वास प्रस्ताव के दौरान बोलने वाले प्रत्येक सांसद के भाषण को नहीं देख लेते.

(ओरिजिनल स्टोरी द क्विंट पर छपी है. यहां उसका हिंदी अनुवाद दिया गया है)

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