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संविधान दिवस (Constitution Day) पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित किए गए संविधान दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि आजादी के लिए जीने-मरने वाले लोगों ने जो सपने देखे थे उन सपनों के प्रकाश में और हजारों सालों की भारत की परंपरा को संजोए हुए हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें संविधान दिया.
उन्होंने कहा कि संविधान के लिए समर्पित सरकार प्रगति में भेद नहीं करती और ये हमने करके दिखाया है.
विज्ञान भवन में हुए इस कार्यक्रम में चीफ जस्टिस एम वी रमना, कानून मंत्री किरेन रिजिजू, सुप्रीम कोर्ट के सभी जज, सभी हाईकोर्ट्स के चीफ जस्टिस, सॉलिसिटर जनरल और अन्य सदस्य मौजूद थे.
पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि किसी युग में सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत गरीबी, बीमारी और भुखमरी से जूझ रहा था. इस पृष्ठभूमि में देश को आगे बढ़ाने में संविधान हमेशा हमारी मदद करता रहा है लेकिन आज दुनिया के अन्य देशों की तुलना में देखें कि जो भारत के आस-पास ही आजाद हुए वो हमसे काफी आगे हैं. यानी अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, हमें मिलकर लक्ष्य तक पहुंचना है.
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वो करोड़ों लोग जिनके घरों में शौचालय तक नहीं थे, जो लोग बिजली के अभाव में अंधेरे में जिंदगी बिता रहे थे, उनकी तकलीफ, दर्द समझकर उनका जीवन आसान बनाने के लिए खुद को खपा देना मैं संविधान का असली सम्मान मानता हूं.
उन्होंने आगे कहा कि जब सरकार एक वर्ग के लिए, किसी छोटे से टुकड़े के लिए कुछ करती है तो वो बड़ी उदारवादी कहलाती है, उसकी बड़ी प्रशंसा होती है. लेकिन जब सरकार सबके लिए करती है तो उसे उतना महत्व नहीं दिया जाता है.
उन्होंने आगे कहा कि आज भी औपनिवेशिक मानसिकता जारी है, पर्यावरण के नाम पर भारत को उपदेश दिए जाते हैं और तरह-तरह के दबाव बनाए जाते हैं.
देश के अंदर भी कुछ लोग ऐसी मानसिकता वाले हैं जो बोलने की आजादी के नाम पर कुछ भी करते रहते हैं. औपनिवेशिक मानसिकता वाले लोग देश के विकास में बाधा हैं, इनको दूर करना होगा.
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