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करनाल में किसानों का प्रदर्शन जारी, अभी तक नहीं हुई सरकार से बात

लाठी चार्ज के बाद करनाल में अपनी मांग पर डटे हैं किसान

द क्विंट
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>हरियाणा में किसानों का प्रदर्शन</p></div>
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हरियाणा में किसानों का प्रदर्शन

(फोटो- ट्विटर- स्वराज इंडिया)

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हरियाणा (Haryana) में किसानों पर लाठीचार्ज के बाद अपनी मांगों को लेकर करनाल में किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ''आगे क्या करना है ये बैठकर तय करेंगे. रात में प्रशासन से बातचीत नहीं हुई थी. प्रशासन अपना काम करे, वे दूसरे गेट का इस्तेमाल कर लें, कई गेट हैं.''

28 अगस्त को किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद जिला प्रशासन द्वारा घायल प्रदर्शनकारियों को मुआवजा देने और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर किसानों ने कल मिनी सचिवालय का घेराव किया था.

किसानों के इस पूरे प्रदर्शन को देख हरियाणा प्रशासन द्वारा करनाल में धारा 144 लागू और अन्य पांच जिलों में इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद की गई. जानकारी के अनुसार, करनाल में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 10 कंपनियों समेत सुरक्षा बलों की 40 कंपनियों की टुकड़ी तैनात कर दी गई.

मंगलवार को देर शाम होते-होते हजारों की संख्या में किसान सचिवालय घेराव करने में कामयाब रहे, फिलहाल किसान लघु सचिवालय के बाहर ही धरना दिए बैठे हुए हैं.

क्या है किसानों की मांग

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संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कहा कि, "बीते 28 अगस्त को तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा ने पुलिस को सीधे तौर पर किसानों के सिर फोड़ने का आदेश दिया था. किसानों का आरोप है कि सरकार ने बर्खास्त करने के बजाय उन्हें पदोन्नत किया.

मंगलवार को किसान करनाल अनाज मंडी में 3 मांगों को लेकर इकट्ठा हुए, पहली मांग अधिकारी बर्खास्त हो और उस पर हत्या का मामला दर्ज हो.

दूसरी किसानों ने मांग रखी कि, मृतक सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपये, उनके बेटे को सरकारी नौकरी और पुलिस हिंसा में घायल हुए किसानों को 2-2 लाख रुपये का मुआवजा देने की भी मांग उठाई.

हालांकि हरियाणा प्रशासन द्वारा किसानों को लघु सचिवालय तक मार्च करने से मना कर दिया. जिसके बाद प्रशासन से बातचीत के लिए 11 किसानों के प्रतिनिधिमंडल को बुलाया गया, जहां पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ बैठक हुई, हालांकि किसानों के मुताबिक, 3 से 4 बैठक होने के बावजूद वार्ता बेनतीजा रही.

इसके बाद एसकेएम ने कहा कि, किसान बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। हालांकि, जैसा कि प्रशासन ने मांगों को स्वीकार करने या मार्च की अनुमति देने से इनकार कर दिया, वहीं बातचीत फिर विफल रही.

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