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सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का संविधान संशोधन विधेयक अब राज्यसभा से भी पास हो चुका है. इसके लिए कुल 172 सदस्यों ने वोट डाला, जिनमें से 165 ने बिल के पक्ष में और 7 सदस्यों ने बिल के विरोध में वोट किया. ये बिल लोकसभा से एक दिन पहले ही पास हो चुका है. अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे लागू किया जा सकेगा.
राज्यसभा में पास होने पर पीएम मोदी ने खुशी जाहिर की है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, बिल को लेकर मिले सपोर्ट को देखकर काफी खुश हूं.
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अयोध्या जमीन मामले पर 5 सदस्यीय संविधान पीठ आज पहली सुनवाई करेगी. इस दौरान यह तय हो सकता है कि मामले की सुनवाई आगे कब और कैसे होगी. यह पीठ इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली इस बेंच में जस्टिस एस ए़ बोबडे, एनवी रमना, यू यू ललित और डी वाई चंद्रचूड़ शामिल हैं.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मुख्य मामले में 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था. इस आदेश को सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी.
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लोकसभा चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में राजनीतिक पार्टियां गठबंधन और सीटों के बंटवारे के खेल में जुटी हैं. पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र में नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के गठबंधन की खबरें सामने आ रही थीं. लेकिन अब क्विंट हिंदी को मिली जानकारी के मुताबिक इस गठबंधन का फॉर्मूला तय हो चुका है.
जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र में 25 सीटों पर कांग्रेस और 23 पर एनसीपी चुनाव लड़ेगी. फिलहाल इसका आधिकारिक ऐलान होना बाकी है. आने वाली 15 तारीख को गठबंधन का ऐलान हो सकता है.
दफ्तर से लौटने के बाद भी अगर ऑफिस के मेल और फोन में उलझे रहना पड़ता है तो ये खबर आपको सुकून दे सकती है. दरअसल, बुधवार को लोकसभा में एक दिलचस्प बिल राइट टू डिस्कनेक्ट पास हुआ. एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में यह प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश किया था. इस बिल के तहत प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए छुट्टी होने के बाद ऑफिस के किसी मेल या फिर कॉल का जवाब देना जरूरी नहीं होगा.
अगर यह बिल कानून का रूप ले लेता है तो ऑफिस आवर्स के बाद किए गए मेल का जवाब न देने पर कंपनी अपने कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाएगी. अगर कर्मचारी तय समयसीमा से ज्यादा काम करता है, तो उसे ओवरटाइम माना जाएगा. सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि इस बिल से कर्मचारियों में बढ़ रहे तनाव को रोका जा सकता है, साथ ही उनकी पर्सनल लाइफ में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी. फिलहाल इस बिल का राज्यसभा से पास होना बाकी है.
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