राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले की गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू नहीं हो सकी. संविधान पीठ के एक सदस्य जस्टिस उदय यू ललित ने इस केस से खुद को अलग कर लिया.
कोर्ट अब 29 जनवरी से इस मामले की सुनवाई के लिये नई संविधान पीठ गठित करेगा.
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चीफ जस्टिस और संविधानिक बेंच ने क्या कहा?
- चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले के तथ्य और परिस्थितियों और इसके विशाल रिकार्ड के मद्देनजर यह संविधान पीठ के गठन का पूरी तरह उचित मामला है.
- पीठ ने अपने आदेश में कहा कि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री एक सीलबंद कमरे में 50 सीलबंद बक्सों में रखे रिकार्ड की जांच करेगी.
- पीठ ने कहा कि यह रिकार्ड बहुत ही ज्यादा है और कुछ दस्तावेज तो संस्कृत, अरबी, उर्दू, हिन्दी, फारसी और गुरमुखी में हैं जिनका अनुवाद कराने की आवश्यकता है
- पीठ ने कहा कि अगर जरूरत हो तो शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री इसके लिये आधिकारिक अनुवादकों की सेवायें ले सकती है
- शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के दौरान 113 मुद्दों के अवलोकन की संभावना है
- पीठ ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान 88 गवाहों से पूछताछ हुयी थी और उनके बयान दर्ज किये गये थे
- कोर्ट ने कहा कि इन गवाहों के बयान 2886 पन्नों में है और 251 दसतावेज इसमें दिखाये गये थे
- शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला 4304 पन्नों का है और इसके साथ 8000 पन्नों के अतिरिक्त अनुलग्नक हैं
Ayodhya Hearing | सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ जैसे ही इस मामले की सुनवाई के लिए पहुंची, एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि जस्टिस यूयू ललित1994 में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की ओर से पेश हुये थे.
धवन ने कहा कि वह यह नहीं चाहते कि जस्टिस ललित इस मामले की सुनवाई से हटें. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस उदय यू ललित और जस्टिस धनन्जय वाई चंद्रचूड़ शामिल थे.
पीठ ने धवन द्वारा उठाये गये मुद्दे का संज्ञान लिया. धवन ने पीठ का ध्यान इस तथ्य की ओर भी आकर्षित किया कि यह मामला पहले तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिये सूचीबद्ध था लेकिन चीफ जस्टिस ने इसे पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ के गठन के लिये न्यायिक आदेश की आवश्यकता है. हालांकि, चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट के नियमों का हवाला दिया कि किसी भी पीठ में दो जज होने चाहिए और पांच जजों की संविधान पीठ गठित करने में कुछ भी गलत नहीं है.
- अयोध्या मामले पर 29 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
- संविधान पीठ से अलग हुए जस्टिस यूयू ललित
- राजीव धवन की आपत्ति के बाद संविधान पीठ से अलग हुए जस्टिस यूयू ललित
- सुप्रीम कोर्ट में नई बेंच का होगा गठन
Ayodhya Hearing | जस्टिस यूयू ललित ने खुद को मामले से अलग रखने को कहा
पांच जजों की बेंच में शामिल जस्टिस यूयू ललित ने अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई से खुद को अलग रखने को कहा है. सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, ‘जस्टिस यूयू ललित इस मामले से खुद को अलग रखना चाहते हैं.’
जानकारी के मुताबिक, मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने जस्टिस यूयू ललित के बेंच में होने का मुद्दा उठाया था. धवन ने कहा कि यूयू ललित साल 1994 में कल्याण सिंह की ओर से कोर्ट में पेश हो चुके हैं.
अयोध्या विवादः SC ने कहा आज नहीं होगी सुनवाई, समयसीमा पर होगी बात
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई नहीं होगी. कोर्ट ने कहा कि आज सिर्फ तारीख और मामले की सुनवाई के लिए समयसीमा पर बात होगी.