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गूगल ने खालिस्तान समर्थित ऐप Referendum 2020 प्ले स्टोर से हटाया

इस अलगाववादी ऐप को गूगल ने 8 नवंबर को प्ले स्टोर प्लेटफॉर्म पर शामिल किया था.

सुशोभन सरकार
भारत
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‘रेफरेंडम 2020’ ऐप को गूगल ने 8 नवंबर को प्ले स्टोर प्लेटफॉर्म पर शामिल किया था.
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“पंजाब को आजाद करने” की मांग करने वाला ‘रेफरेंडम 2020’ नाम का एक अलगाववादी ऐप 8 नवंबर को गूगल ने प्ले स्टोर प्लेटफॉर्म पर शामिल किया था. इसके एक दिन बाद ही करतारपुर कॉरीडोर श्रद्धालुओं के लिए खोला गया. लेकिन भारी विरोध के चलते गूगल ने बुधवार इस ऐप को अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया.

इस मोबाइल ऐप को 'सिख फॉर जस्टिस' नाम के संगठन ने डेवलप किया है. इस साल जुलाई में गृह मंत्रालय ने इस संगठन को गैरकानूनी घोषित किया था. ये ऐप खालिस्तान समर्थक आंदोलन 'पंजाब रेफरेंडम 2020’ का एक डिजिटल विस्तार है, जिसका वजूद काफी हद तक यूके, यूएस और कनाडा से बाहर है.

यह ऐप गूगल प्ले स्टोर पर फ्री में उपलब्ध था. पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस ऐप पर बेहद नाराजगी जाहिर की. उन्होंने आरोप लगाया कि इस ऐप का मकसद सिख समुदाय के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती के जश्न के बीच सिख समुदाय को विभाजित करने के आईएसआई के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए था.  

इस बारे में द क्विंट ने सोमवार को गूगल से संपर्क किया और अपने प्लेटफॉर्म पर ऐप की उपलब्धता के बारे में गूगल से ये सवाल पूछे:

  • क्या 'सिख फॉर जस्टिस' के ऐप 'रेफरेंडम 2020' के बारे में पंजाब सरकार की ओर से गूगल को सूचित किया गया है?
  • यह देखते हुए कि गृह मंत्रालय द्वारा 'सिख फॉर जस्टिस' को 'गैरकानूनी' संगठन घोषित किया गया है, क्या गूगल इस बारे में कोई कार्रवाई करेगा और क्या कंपनी के पास प्रतिबंधित संगठनों के गूगल प्ले स्टोर पर कंटेंट के बारे में कोई खास नीति है?

कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा था कि वह इस ऐप के बारे में कंपनी की कानूनी टीम के साथ बातचीत करेगा. हमें अभी तक हमारी तरफ से उठाए गए अन्य सवालों का जवाब नहीं मिला है.

ये भी पढ़ें- लंदन में खालिस्तान समर्थकों का आतंक, भारतीयों को बनाया निशाना

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ऐप ISI के एजेंडा को आगे बढ़ा रहा है: पंजाब के CM

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, 8 नवंबर को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आरोप लगाया था कि ये ऐप गूगल प्ले स्टोर पर फ्री में डाउनलोड के लिए उपलब्ध है. जाहिर तौर पर ये एक आईएसआई का डिजाइन था जिसका मकसद गुरु नानक देव की जयंती समारोह के बीच सिख समुदाय को विभाजित करना था.

सीएम ने गूगल के "गैरजिम्मेदाराना हरकत" पर आक्रोश जताते हुए कहा था, "ये बात संदिग्ध है कि गूगल ने इस तरह के ऐप को एक ज्ञात कट्टरपंथी और चरमपंथी ग्रुप द्वारा अपलोड करने की अनुमति क्यों और कैसे दी."
उन्होंने कहा था कि अगर गूगल चरमपंथी ग्रुप का समर्थन नहीं करना चाहता है, तो उसे बिना किसी देरी के इस ऐप को हटा देना चाहिए.

'सिख फॉर जस्टिस' एक 'गैरकानूनी' संगठन घोषित है

10 जुलाई को गृह मंत्रालय की ओर से प्रकाशित एक गजट नोटिफिकेशन में 'सिख फॉर जस्टिस' को "भारत की आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक कानून व्यवस्था के लिए खतरा, और देश की एकता, अखंडता और शांति को बाधित करने की संभावना" के तौर पर बताया गया था.
गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए, सिख फॉर जस्टिस (SFJ) को 'गैरकानूनी संगठन' घोषित किया था.

हालांकि 12 अगस्त को ठीक एक महीने बाद, SFJ ने लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर पर एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था, जहां प्रदर्शनकारियों ने ’लंदन घोषणा-पत्र’ जारी करने का प्रस्ताव रखा था. इस घोषणापत्र में पंजाब को भारत से आजाद कराने की बात कही गई थी.

सरकार के फैसले का अभिवादन करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि इस समूह को "आतंकवादी संगठन" के रूप में देखा जाना चाहिए.

गूगल प्ले स्टोर पर ‘रेफरेंडम 2020’ ऐप का स्क्रीनशॉट 

क्या है ‘रेफरेंडम 2020’

'रेफरेंडम 2020' ऐप 'पंजाब रेफरेंडम 2020’ अभियान का एक विस्तार है. इसकी वेबसाइट के मुताबिक इस अभियान का मकसद “पंजाब को आजाद करना” है, जो "मौजूदा समय में भारत के कब्जे में” है. इस अभियान का उद्देश्य पंजाब को एक राष्ट्र के रूप में स्थापित करना है.

वेबसाइट में आधिकारिक घोषणापत्र में कहा गया है, "एक बार जब हम आजादी के सवाल पर सर्वसम्मति हासिल कर लेंगे, तब हम पंजाब को देश के तौर पर फिर से स्थापित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में मामला पेश करेंगे."

ये भी पढ़ें- खालिस्तान समर्थकों के साथ हार्ड कौर ने दी PM मोदी को चेतावनी

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