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रोटोमैक के खिलाफ सीबीआई, ईडी का केस, घोटाला 3695 करोड़ तक पहुंचा

कोठारी पर बैंकों से 3695 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप 

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रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी पर बैंकों को 3000 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप
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रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी पर बैंकों को 3000 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप
(फोटोः Twitter)

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सीबीआई और ईडी ने रोटोमैक पेन्स के मालिक विक्रम कोठारी और उनकी कंपनी के खिलाफ अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं. कोठारी पर बैंकों के साथ 3695 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी करने आरोप है. कोठारी पिछले दस साल से यह धोखाधड़ी करते आए हैं. इस बीच, कोठारी ने कहा है कि वह देश छोड़ कर नहीं भागे हैं और कानपुर में ही मौजूद हैं

उधर, सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया कि इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. वैसे सीबीआई ने कोठारी की पत्नी और बेटे से जरूर पूछताछ की है.

बैंक जिनके साथ फ्रॉड हुआ

  • बैंक ऑफ इंडिया - 754.77 करोड़ रुपए
  • बैंक ऑफ बड़ौदा - 456.63 करोड़ रुपए
  • इंडियन ओवरसीज बैंक- 771.07 करोड़ रुपए
  • इलाहाबाद बैंक - 330.68 करोड़ रुपए
  • बैंक ऑफ महाराष्ट्र- 49.82 करोड़ रुपए
  • ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स- 97.47 करोड़ रुपए

रोटोमैक के मालिक ने बैंकों 2919 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है. अब उसे ब्याज समेत 3,695 करोड़ रुपये चुकाने होंगे. रविवार को ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत कोठारी के खिलाफ केस दर्ज किया था. इस बात की जांच की जाएगी कि धोखाधड़ी से हासिल रकम की मनी लॉन्ड्रिंग तो नहीं की गई.

कानपुर में सीबीआई की टीम रविवार रात से ही उनसे पूछताछ कर रही थी. कोठारी के बंगले पर सीबीआई ने छापेमारी की थी. जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया .

अधिकारियों के मुताबिक, बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर सीबीआई ने रोटोमैक पेन के प्रोमोटर विक्रम कोठारी के खिलाफ करोड़ों के कर्ज का भुगतान नहीं करने का मामला दर्ज किया.

सीबीआई कोठारी, उनकी पत्नी और बेटे से कानपुर में पूछताछ कर रही है.

बैंकों को नुकसान पहुंचाने का आरोप

सूत्रों के मुताबिक, कोठारी पर इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत कई सार्वजनिक बैंकों को नुकसान पहुंचाने का आरोप है. कानपुर के कारोबारी कोठारी ने पांच सार्वजनिक बैंकों से 3000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लिया था.

कोठारी को कर्ज देने में इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने नियमों के पालन में ढिलाई की.

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विदेश भागने से कोठारी का इनकार

‘‘मैं कानपुर का रहने वाला हूं और मैं शहर में ही रहूंगा. भारत से बेहतर कोई जगह नहीं है. हालांकि कारोबारी काम की वजह से मुझे विदेश यात्राएं भी करनी होती हैं.’’
विक्रम कोठारी, कारोबारी

मीडिया में खबरें आ रही हैं कि विक्रम कोठारी बैंकों को चूना लगाने के बाद कथित तौर पर देश से फरार हो गए हैं. हालांकि कोठारी ने उनके विदेश भाग जाने की आशंकाओं को आधारहीन करार दिया है. कानपुर में एक शादी समारोह में भी रविवार को कोठारी देखे गए थे. साथ ही उन्होंने बयान जारी कर कहा है कि वे अभी भी देश में ही है.

विलफुल डिफॉल्टर घोषित

कोठारी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 485 करोड़ रुपये और इलाहाबाद बैंक से 352 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. उन्होंने कर्ज लेने के साल बाद कथित तौर पर ना तो मूलधन चुकाया और ना ही उस पर बना ब्याज.

पिछले साल कर्ज देने वाले बैंकों में शामिल बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को जानबूझकर ऋणचूक करने वाला (विलफुल डिफॉल्टर) घोषित किया था. इस सूची से नाम हटवाने के लिए कंपनी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण ली थी.

बाद में रिजर्व बैंक द्वारा तय प्रक्रिया के मुताबिक, एक प्राधिकृत समिति ने 27 फरवरी 2017 को पारित आदेश में कंपनी को जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाने वाला घोषित कर दिया. यह जानकारी ऐसे समय सामने आयी है जब महज एक सप्ताह पहले पंजाब नेशनल बैंक में करीब 11,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी खुलासा हुआ है.

(इनपुटः भाषा से)

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(क्विंट और बिटगिविंग ने मिलकर 8 महीने की रेप पीड़ित बच्ची के लिए एक क्राउडफंडिंग कैंपेन लॉन्च किया है. 28 जनवरी 2018 को बच्ची का रेप किया गया था. उसे हमने छुटकी नाम दिया है. जब घर में कोई नहीं था,तब 28 साल के चचेरे भाई ने ही छुटकी के साथ रेप किया. तीन सर्जरी के बाद छुटकी को एम्स से छुट्टी मिल गई है लेकिन उसे अभी और इलाज की जरूरत है ताकि वो पूरी तरह ठीक हो सके. छुटकी के माता-पिता की आमदनी काफी कम है, साथ ही उन्होंने काम पर जाना भी फिलहाल छोड़ रखा है ताकि उसकी देखभाल कर सकें. आप छुटकी के इलाज के खर्च और उसका आने वाला कल संवारने में मदद कर सकते हैं. आपकी छोटी मदद भी बड़ी समझिए. डोनेशन के लिए यहां क्लिक करें.)

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Published: 19 Feb 2018,10:28 AM IST

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