अचानक भजन मंडली के रंग में भंग पड़ गया, क्योंकि जोर-जोर से पकड़ो-पकड़ो का शोर मचा. नीरव मोदी और मामा मेहुल चोकसी 11,500 करोड़ रुपए लेकर उड़ गए. नारे लगने लगे-
‘11,500 करोड़ का पकौड़ा है, NiMo-MeCho भगोड़ा है. टेंशन.’
भजन मंडली के वॉर रूम में इमरजेंसी मीटिंग बुलाई गई. तय हुआ कि तत्काल हेडलाइन मैनेंजमेंट का SOP लागू किया जाए, लेकिन और भी कड़क समाधान खोजा जाए. भजन मंडली ने कीर्तन-डमरू-खड़ताल का वॉल्यूम अप कर दिया.
उधर वॉर रूम में ‘चौकीदार इमेज मैनेजमेंट कंपनी’ ने खूब सर खपाया. भगोड़ों की लिस्ट लंबी है. ललित मोदी, विजय माल्या, भांजा नीरव मोदी, मामा मेहुल चोकसी. इनको वापस कैसे लाएं. इंटरनेशनल दबंगई कैसे दिखाएं?
देशभक्ति टीम के मैनेजरों ने कहा:
बात अगर इन भगोड़ों की वापसी की है, प्रत्यर्पण की है तो हमारी भी लिस्ट है. ज्वाइंट स्ट्रैटजी बनाएंगे. दाऊद इब्राहिम और कुलभूषण जाधव को भी लाएंगे. तभी तो 2019 में भजन गायन का पंचवर्षीय रिन्यूअल कर पाएंगे.
रियलिटी चेक किया गया, ललित मोदी नहीं आएगा. विजय माल्या को भी नहीं ला सकते. दाऊद वाला काम भी मुश्किल है. जाधव का मसला भी जटिल है और डेडलाइन 2019 नजदीक है. अगर ये मसला गरम बना रहा तो ऐसे में लोएस्ट हैंगिंग फ्रूट तो एक ही है, वो है नीरव मोदी, जिसे वापस लाकर हम अपनी भजन मंडली पर भरोसा कायम रख सकते हैं.
अगर हमने ये ठान लिया कि नीरव को आना है तो बैक चैनल को लगा देंगे. कनविंस करके ले आएंगे. देश का सवाल है, मुंबई, सूरत, पालनपुर, एंटवर्प और न्यूजर्सी के सारे मामा, चाचा राष्ट्रप्रेमी हैं, सबको मनाने में लगा देंगे. नीरव कोआना पड़ेगा. देश का सवाल है.
इस बैक चैनल स्ट्रैटेजी की कामयाबी के लिए एक जोरदार कम्यूनिकेशन स्ट्रैटजी बनाई गई है, उसमें से एक 56 x 56 का विज्ञापन कुछ इस तरह का होगा. मैसेजिंग पॉजिटिव होनी चाहिए. इसलिए भगोड़ा, लुकआउट, फरार जैसे निगेटिव शब्द नहीं होंगे. पॉजिटिव सोचिए!
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