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रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) के बीच हो रहे युद्ध का प्रभाव पूरी दुनिया (World) पर पड़ने लगा है. अब भारत भी इससे अछूता नहीं रह गया है. भारत (India) पर भी रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का साइडइफेक्ट दिखना शुरू हो गया है. जहां, एक तरफ खाद्य पदार्थों (Food Items) के दाम बढ़ने लगे हैं तो दूसरी तरफ डॉलर के मुकाबले रुपया भी कमजोर होने लगा है. तो चलिए समझते हैं कि वो कौन-कौन सी चीजें हैं जो भारत पर अपना प्रभाव दिखा सकती हैं.
रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) के बीच हो रहे युद्ध की वजह से भारत में बढ़ रही महंगाई (inflation) ने आम जनता का बजट बिगाड़ दिया है. इस युद्ध के कारण पॉम ऑयल, रिफाइंड, दूध, सब्जियों से लेकर अन्य कई वस्तुओं के दाम में तेजी देखी जा रही है.
वहीं, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने LPG सिलेंडर की कीमतें भी बढ़ा दी हैं. दिल्ली में कमर्शियल LPG सिलेंडर की कीमत में 105 रुपए की बढ़ोतरी की गई है. इस बढ़ोतरी के साथ ही दिल्ली में 19 किलो कमर्शियल सिलेंडर की कीमत 2,012 रुपए हो गई है. इस बीच 5 किलो के सिलेंडर की कीमत में भी 27 रुपए का इजाफा हुआ है. अभी दिल्ली में 5 किलो के सिलेंडर की कीमत 569 रुपए हो गई है. हालांकि, घरेलू सिलेंडर के दाम पहले ही जैसे हैं, इसमें कोई भी बढ़ोतरी नहीं की गई है.
रूस-यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध के चलते भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. युद्ध के चलते निर्यात में कमी आ सकती है. इसके साथ ही कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से कंपनियों के लागत में बढ़तरी आएगी, जिससे भारत में महंगाई बढ़ सकती है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो भारत के आर्थिक विकास में कमी आ सकती है.
रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग से भारत का चाय उद्योग अधर में है, क्योंकि भारतीय चाय (Indian Tea) का बड़ा आयातक देश रहा है. CIS ब्लॉक यानी 'स्वतंत्र देशों के राष्ट्रकुल' में रूस भारत से चाय आयात करने में सबसे बड़ा आयातक देश था. रूस, 3 करोड़ 40.9 लाख किलोग्राम का सबसे बड़ा खरीदार था. वहीं, CIS ब्लॉक भारतीय चाय का सबसे बड़ा आयातक रहा, जिसने 4 करोड़ 45.7 लाख किलोग्राम चाय का आयात किया. इसका आयात इससे पिछले कैलेंडर वर्ष में 5 करोड़ 16.3 लाख किलोग्राम था.
रूस-यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध का असर भारत के रुपए के मूल्य पर भी पड़ने लगा है. मौजूदा समय में डॉलर (Dollar) के मुकाबले रुपए में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है. हालांकि, रिजर्व बैंक (RBI) की भारी डॉलर की बिकवाली से गिरावट की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दुनियाभर के फाइनेंशियल सेक्टर में भूचाल आया हुआ है. इस बीच केद्र सरकार मार्च महीने में देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC के IPO की लाने की तैयारी कर रही थी. लेकिन, रूस-यूक्रेन युद्ध का संकट LIC के IPO पर भी पड़ सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिए हैं कि दुनियाभर में तेजी से बदलते हालात को देखते हुए जरूरत महसूस हुई तो केंद्र सरकार LIC के IPO की टाइमलाइन पर विचार कर सकती है. हालांकि, वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार, IPO के पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक आगे बढ़ना चाहेगी, क्योंकि इसके लिए हमने पहले से ही तैयारी कर रखी है. लेकिन, वैश्विक हालात को ध्यान में रखते हुए जरूरत पड़ी तो सरकार इस पर फिर से विचार करने के लिए तैयार है.
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