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रूस और यूक्रेन (Russia & Ukraine) में जंग के बीच परमाणु हमले (Nuclear Attack) की चर्चा हो रही है. रूस ने अपनी परमाणु डेटरेंट फोर्स को हाईअलर्ट पर रखा है. ब्रिटेन इसका डर जता चुका है. बेलारूस पुतिन से परमाणु हथियार मांग रहा है. अमेरिका अपनी जनता को कह रहा है कि उन्हें परमाणु युद्ध की धमकियों से डरने की जरूरत नहीं है.
परमाणु हथियारों के बारे में जो थोड़ा बहुत भी जानता है, वो समझता है कि ये कितना खतरनाक हो सकता है, ताज्जुब है कि खुद को वर्ल्ड लीडर बताने वाले लोग इतने हल्के अंदाज में परमाणु हथियारों, हमले और युद्ध की बात कर रहे हैं. जो लोग भी परमाणु हथियारों को हलके में लेने की भूल करते हैं उन्हें इसके प्रलंयकारी प्रभाव पर एक रिफ्रेशर की जरूरत है और ये जानने की भी जरूरत है कि दुनिया इस वक्त एटम बमों के ढेर पर बैठी है.
अभी तक इतिहास में एक ही परमाणु हमला हुआ है. यह हमला अमरीका ने किया था, किस पर किया था? जवाब है जापान पर. 77 साल पहले अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम गिराए थे.
6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा में तो वहीं 9 अगस्त 1945 को नागासाकी में न्यूक्लियर अटैक हुआ था. ऐसे दावे किए जाते हैं कि हिरोशिमा में करीब 80 हजार और नागासाकी में करीब 70 हजार से अधिक लोगों की मौत इस परमाणु हमले में हो गई थी. उस अटैक का जापान पर ऐसा असर हुआ कि वहां पैदा होने वाली कई पीढ़ियां विकलांग पैदा हुईं.
न्यूकमैप वेबसाइट के अनुसार, 'एक परमाणु हमले से होने वाला प्रभाव इतना गम्भीर है कि बिना मेडिकल ट्रीटमेंट के 50 फीसदी से 90 फीसदी तक लोगों की मौत हो सकती है. इसका असर कई घंटों और हफ्तों तक रहता है.' यही कारण था कि जब अमरीका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर हमला किया तो ये दोनों शहर पूरी तरह बर्बाद हो गए. इन सिर्फ दो बमों ने दूसरे विश्व युद्ध को आगे बढ़ने से रोक दिया.
कोई भी देश परमाणु हथियारों के बारे में खुलकर नहीं बताता मगर ऐसा समझा जाता है कि परमाणु शक्ति संपन्न देशों की सेना के पास 13,000 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं.
स्वीडन स्थित संस्था थिंक टैक 'स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट' (सिप्री) ने पिछले साल अपनी एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया था कि 2020 के आरंभ में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया के पास लगभग 13,400 परमाणु हथियार थे जिनमें से 3,720 उनकी सेनाओं के पास तैनात थे.
सिप्री के अनुसार इनमें से लगभग 1800 हथियार हाई अलर्ट पर रहते हैं यानी उन्हें कम समय के भीतर दागा जा सकता है.
इन हथियारों में अधिकांश अमेरिका और रूस के पास हैं. सिप्री की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के पास 2020 तक 5,800 और रूस के पास 6,375 परमाणु हथियार होने का दावा है.
विज्ञान ने बीते कुछ दशकों में खूब तरक्की की है और ये तरक्की अपने साथ कई अच्छी तो कई बेहद खतरनाक चीजें लाई है. परमाणु हथियार उन्हीं खतरनाक चीजों में से है. खुद को ताकतवर दिखाने और बनाने के लिए देशों में परमाणु हथियारों की होड़ लगी है. जरा सोचिए कि अगर किसी एक देश ने परमाणु हमला किया तो दूसरा भी करेगा. अगर ये चक्र शुरू हुआ तो कहां खत्म होगा पता नहीं. और खत्म होने के बाद दुनिया में क्या बचेगा, ये भी नहीं पता.
बेलारूस पर सख्ती की वजह ये भी है कि वहां के तानाशाह लुकाशेंको रूस से परमाणु हथियार मांग रहे हैं. उनका हिस्ट्रीशीट बताता है कि एक बार परमाणु हथियार हाथ आने के बाद वो कुछ भी उल्टा-पुल्टा कर सकते हैं.
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग जैसे नेता तो परमाणु हथियार को खिलौना समझते हैं. हमारे ही पड़ोस में परमाणु बमों से लैस पाकिस्तान बैठा है, जहां की सत्ता सेना के पास है या फिर चुनी हुई सरकार के पास ये समझना मुश्किल है. ऐसे में एक बार दुनिया में परमाणु युद्ध छिड़ा तो इन देशों का क्या रवैया होगा, कह नहीं सकते.
कुल मिलाकर बात ये है कि परमाणु हथियारों की संख्या इस वक्त इतनी ज्यादा है और इन 1945 की तुलना में हथियार इतने ज्यादा मारक हो चुके हैं कि ये धरती परमाणु युद्ध को तो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पाएगी. कोई देश परमाणु हमले से जीत तो हासिल कर सकता है लेकिन कुछ ऐसा बचेगा नहीं जिसका वो जश्न मना सके. जीतने वाला देश भी हार जाएगा.
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