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एससी-एसटी एक्ट से जुड़े अपने 20 मार्च के फैसले पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. हालांकि कोर्ट ने ये कहा है कि वो केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर विस्तार से विचार करेगा. कोर्ट ने कहा कि आंदोलन कर रहे लोगों ने फैसले को सही तरीके से नहीं पढ़ा है, वो स्वार्थी तत्वों से गुमराह हो गए हैं.
कोर्ट ने अपने 20 मार्च के फैसले पर कहा है कि हमने एक्ट के प्रावधानों को नरम नहीं किया है, बल्कि निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी के मामले में उनके हितों की रक्षा की है, एससी-एसटी एक्ट के प्रावधानों का इस्तेमाल निर्दोष लोगों को आतंकित करने के लिए नहीं किया जा सकता. बता दें कि सरकार ने इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने मंगलवार को भारत बंद के दौरान बड़े पैमाने पर हुई हिंसा और जान-माल के नुकसान का हवाला दिया था.
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में दी गई अर्जी में कहा था कि, हालात बहुत कठिन है, क्योंकि बड़े पैमाने पर हिंसा हुई है और इसकी जल्द सुनवाई की जरूरत है. उन्होंने अपनी याचिका में मंगलवार दो बजे एससी पुनर्विचार याचिका पर तत्काल सुनवाई की अपील की थी.
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एससी-एसटी एक्ट के प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च 2018 को एक अहम फैसला सुनाया. इसमें कोर्ट ने माना था कि इस एक्ट का गलत इस्तेमाल हो रहा है. इसके तहत शीर्ष अदालत ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम, 1989 के तहत स्वत: गिरफ्तारी और आपराधिक मामला दर्ज किये जाने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद से इस आदेश का देशव्यापी विरोध हो रहा था.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सोमवार को विभिन्न दलित संगठनों ने भारत-बंद का आयोजन किया था. इस दौरान देश भर में हिंसक प्रदर्शन हुए और 10 लोगों की मौत भी हो गई .केंद्र सरकार की तरफ से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी.
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