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सुप्रीम कोर्ट ने आधार डेटा के जरिये नागरिकों की जानकारी के दुरुपयोग के खतरे की आशंका जाहिर की है. साथ ही कहा है कि चुनाव नतीजों को यह प्रभावित कर सकता है. आधार की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की.
आधार और 2016 के कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई करने वाली चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कैंब्रिज एनालिटका विवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि ये ‘आशंकाएं काल्पनिक' नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि डेटा सुरक्षा संबंधी मजबूत कानून नहीं होने की स्थिति में जानकारी के दुरुपयोग का मुद्दा प्रासंगिक हो जाता है.
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हालांकि यूआईडीएआई की तरफ से पेश सीनियर वकील राकेश द्विवेदी ने कहा, ‘‘इसकी तुलना कैंब्रिज एनालिटिका से मत करिए. यूआईडीएआई के पास फेसबुक, गूगल की तरह उपयोगकर्ताओं के विवरण का विश्लेषण करने वाला एल्गोरीदम नहीं है.''
उन्होंने कहा कि इसके अलावा आधार एक्ट आंकड़ों के किसी तरह के एनालिसिस की अनुमति नहीं देता है. यूआईडीएआई के पास सिर्फ ‘मिलान में सक्षम एलगोरीदम है ' जो आधार के कंफर्मेशन का रिक्वेस्ट मिलने पर केवल ‘हां' या ‘ना' में जवाब देता है.
इसके बाद पीठ ने वकील से पूछा कि अधिकारी निजी संस्थाओं को आधार प्लेटफार्म के इस्तेमाल की इजाजत क्यों दे रहे हैं. इस पर द्विवेदी ने जवाब दिया कि यूआईडीएआई किसी को भी अनुरोध करने वाली संस्था के रूप में तब तक मान्यता नहीं दे सकता है जब तक वह इस बात से संतुष्ट ना हो जाए कि उस संस्था को डेटा की प्रमाणिकता की जांच की जरूरत है.
(इनपुटः PTI)
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