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सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या मामले पर फैसला सुना दिया. इस पर मुस्लिम पक्षों की अलग-अलग प्रतिक्रिया है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वो अभी इस मामले में कोर्ट जाने पर विचार कर रहा है. हालांकि इस मामले में कोर्ट में पार्टी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा है कि वो इस मामले में फिर से कोर्ट नहीं जाएगा. हालांकि AIMIM चीफ ने असदुद्दीन ओवैसी ने फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है.
सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि स्पष्ट सबूत हैं कि हिंदू मानते हैं कि भगवान राम विवादित स्थान पर पैदा हुए थे. उन्होंने यह बात खचाखच भरे अदालत कक्ष में अयोध्या भूमि विवाद का एकमत फैसला पढ़ते हुए कही. कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट में कही बात को मानते हुए कहा, "बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं हुआ था. विवादित जमीन के नीचे एक ढांचा था और ये इस्लामिक ढांचा नहीं था."
फैसले के बाद बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि वो खुश हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार अपना फैसला सुना दिया है.
जफरयाब जिलानी ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले संतुष्ट नहीं हैं. जिलानी ने कहा कि फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग करेंगे, अगर उनकी कमेटी इस पर सहमत होती है. जफरयाब जिलानी चूंकि सुन्नी वक्फ बोर्ड के भी वकील हैं, इसलिए उनके बयान को सन्नी वक्फ बोर्ड का स्टैंड मान लिया गया था. हालांकि बाद में जिलानी ने सफाई दी कि रिव्यू की बात उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव की हैसियत से कही थी.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कमाल फारूकी ने कहा कि क्या हमें दान में दे रहे हैं जमीन? उन्होंने कहा:
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रोफेसर दानिश इकबाल ने फैसले पर कहा कि इस बात की खुशी होनी चाहिए कि जिस बाबरी मस्जिद की मौत कई साल पहले हो चुकी थी, उसका अब दाह संस्कार हो गया.
वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का लगभग सभी राजनीतिक दल के नेताओं ने सम्मान किया है और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.
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