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हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजधानी शिमला (Shimla) का पारा चढ़ा हुआ है. पिछले दिनों राजधानी में भारी तनाव देखने को मिला. विवाद संजौली इलाके में स्थित मस्जिद (Sanjauli Masjid) से जुड़ा है. हिंदूवादी संगठन मस्जिद को अवैध बताते हुए गिराने की मांग कर रहे हैं. बुधवार, 11 सितंबर को हिंदूवादी संगठनों ने राजधानी में विरोध-प्रदर्शन भी किया था. वहीं इस मुद्दे पर प्रदेश में राजनीति भी जारी है.
चलिए आपको बताते हैं कि संजौली मस्जिद से जुड़ा विवाद क्या है, क्यों हिंदूवादी संगठनों ने इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया और इसका इतिहास क्या है?
शिमला के संजौली इलाके में चार मंजिला मस्जिद है. आरोप है कि मस्जिद का विस्तार अवैध तरीके हुआ है. विस्तार कार्यों के दौरान नियमों की अनदेखी हुई है. निर्माण से पहले न तो नक्शा पास करवाया गया और न ही नगर निगम से अनुमति ली गई.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू जागरण मंच का दावा है कि मस्जिद को सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाया गया है और “बाहरी लोगों” को वहां शरण दी जा रही है.
मस्जिद के मौजूदा अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि "मस्जिद की ढाई मंजिला संरचना का निर्माण बहुत पहले हुआ था. वो आज की नहीं है, बहुत पुरानी है. पुश्तैनी है."
इसके साथ ही मोहम्मद लतीफ कहते हैं, "मस्जिद में कथित अवैध निर्माण को लेकर साल 2012 से नोटिस आने शुरू हुए थे. लेकिन, ये नोटिस किसी गलत शख्स को भेजे जा रहे थे. वो शख्स न तो मस्जिद कमेटी का सदस्य था न ही किसी अन्य पद पर था."
बता दें कि मामले में कोर्ट से 44 बार नोटिस भेजा गया था.
कोटखाई निवासी मोहम्मद लतीफ पहले भी संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं. साल 2012 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था. ताजा विवाद के बीच इस महीने वक्फ बोर्ड ने उन्हें फिर से मस्जिद कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है.
संजौली मस्जिद के इमाम शहजाद ने बताया कि "जब निर्माण कार्य चल रहा था उस समय दूसरी कमेटी थी और उन लोगों ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया. 2023 में ये मामला वक्फ बोर्ड के संज्ञान में आया. केस तो 14 सालों से चल रहा है. वो लोग पेशी के लिए भी कभी नहीं गए."
बता दें कि मामला शिमला नगर निगम आयुक्त की कोर्ट में चल रहा है. मोहम्मद लतीफ को भी कोर्ट से नोटिस जारी हुआ है. वो बताते हैं कि मस्जिद की मरम्मत के लिए वक्फ बोर्ड से उनके नाम से NOC जारी हुआ था. इस वजह से मामले में उन्हें भी नोटिस मिला है. वहीं साल 2023 में कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को मामले में पक्षकार बनाया है.
वहीं क्विंट हिंदी ने पूरे मामले को लेकर शिमला नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री से भी संपर्क किया. हालांकि, उन्होंने मामला कोर्ट में विचाराधीन होने की वजह से बयान देने से मना कर दिया.
मामले में 5 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी.
गुरुवार, 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी ने नगर निगम आयुक्त से मस्जिद के कथित अवैध हिस्से को सील करने का आग्रह किया और अदालत के आदेश के अनुसार इसे ध्वस्त करने की पेशकश भी की है.
निगम आयुक्त को सौंपे ज्ञापन में कहा गया है, "हम निवेदन करते हैं कि नगर निगम उस हिस्से को सील कर दे, जिसको अवैध निर्माण कहा जा रहा है. यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है और हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करेंगे. अगर नगर निगम आयुक्त इजाजत दें, तो हम इस हिस्से को स्वयं हटाने को भी तैयार हैं."
इससे पहले बुधवार, 11 सितंबर को मस्जिद के खिलाफ हिंदूवादी संगठनों का उग्र विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला था. गुस्साए लोगों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी और पथराव भी किया था. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई थी. जिसके बाद पुलिस को उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा था. इस पूरी घटना में 6 पुलिसकर्मी घायल हुए थे.
शहजाद पिछले 22 सालों से संजौली मस्जिद के इमाम हैं. क्विंट हिंदी से बातचीत में वो बताते हैं कि "ये जो मस्जिद है, 1947 से पहले से पुख्ता मस्जिद है, जो कागजों में भी है."
इसके साथ ही वो कहते हैं, "ये संपत्ति वक्फ बोर्ड की है. जिस जमीन पर मस्जिद बनी है वह भी वक्फ बोर्ड की जमीन है."
हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड के स्टेट ऑफिसर केडी मान बताते हैं, "ये 1907 की जमाबंदी की मस्जिद है. उसके बाद 1941-42 के दस्तावेजों में भी मस्जिद की एंट्री है. अब तक के दस्तावेजों में मस्जिद की एंट्री है."
वो आगे बताते हैं,
सितंबर महीने से पहले तक संजौली मस्जिद में कथित अवैध निर्माण के खिलाफ सार्वजनिक विरोध नहीं देखा गया था. दरअसल, इस पूरे विवाद की शुरुआत एक लड़ाई से हुई.
संजौली से 8 किलोमीटर दूर मल्याणा गांव में 30 अगस्त को विक्रम सिंह नाम के शख्स के साथ कुछ लोगों द्वारा मारपीट की गई थी. FIR के मुताबिक, विक्रम सिंह का आरोप है कि मोहम्मद गुलनवाज ऊर्फ कुणाल ने अपने साथियों के साथ मिलकर उनके और दो अन्य लोगों के साथ मारपीट की थी. पुलिस ने BNS की धारा 126(2), 115(2) और 3(5) के तहत मामला दर्ज किया है.
हालांकि, मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने इन आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने कहा, "ये आरोप गलत हैं. मस्जिद में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. मैंने प्रशासन से अपील की है कि वो मस्जिद के सीसीटीवी फुटेज चेक कर सकते हैं."
इस मामले में पुलिस ने नामजद आरोपी गुलनवाज सहित 6 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें दो नाबालिग भी शामिल हैं.
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