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शिमला: मुस्लिम पक्ष का दावा- आजादी से पहले की संजौली मस्जिद, फिर क्यों मचा बवाल?

Sanjauli Masjid Controversy: संजौली मस्जिद के खिलाफ 11 सितंबर को हिंदूवादी संगठनों ने शिमला में विरोध-प्रदर्शन किया था.

मोहन कुमार
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>शिमला के संजौली इलाके में स्थित मस्जिद के खिलाफ 11 सितंबर को हिंदूवादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था.</p></div>
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शिमला के संजौली इलाके में स्थित मस्जिद के खिलाफ 11 सितंबर को हिंदूवादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था.

(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)

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हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजधानी शिमला (Shimla) का पारा चढ़ा हुआ है. पिछले दिनों राजधानी में भारी तनाव देखने को मिला. विवाद संजौली इलाके में स्थित मस्जिद (Sanjauli Masjid) से जुड़ा है. हिंदूवादी संगठन मस्जिद को अवैध बताते हुए गिराने की मांग कर रहे हैं. बुधवार, 11 सितंबर को हिंदूवादी संगठनों ने राजधानी में विरोध-प्रदर्शन भी किया था. वहीं इस मुद्दे पर प्रदेश में राजनीति भी जारी है.

चलिए आपको बताते हैं कि संजौली मस्जिद से जुड़ा विवाद क्या है, क्यों हिंदूवादी संगठनों ने इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया और इसका इतिहास क्या है?

मस्जिद से जुड़ा विवाद क्या है?

शिमला के संजौली इलाके में चार मंजिला मस्जिद है. आरोप है कि मस्जिद का विस्तार अवैध तरीके हुआ है. विस्तार कार्यों के दौरान नियमों की अनदेखी हुई है. निर्माण से पहले न तो नक्शा पास करवाया गया और न ही नगर निगम से अनुमति ली गई.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू जागरण मंच का दावा है कि मस्जिद को सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाया गया है और “बाहरी लोगों” को वहां शरण दी जा रही है.

हालांकि, क्विंट हिंदी से बातचीत में हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड के स्टेट ऑफिसर केडी मान कहते हैं कि "मस्जिद के ढाई मंजिल से ऊपर जो निर्माण हुआ है, उसी को लेकर विवाद है." उनका कहना है कि ये मामला 2010 से कोर्ट में चल रहा है.

मस्जिद के मौजूदा अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि "मस्जिद की ढाई मंजिला संरचना का निर्माण बहुत पहले हुआ था. वो आज की नहीं है, बहुत पुरानी है. पुश्तैनी है."

शिमला के संजौली इलाके में स्थित मस्जिद की तस्वीर

(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)

"गलत शख्स को भेजे गए नोटिस"

इसके साथ ही मोहम्मद लतीफ कहते हैं, "मस्जिद में कथित अवैध निर्माण को लेकर साल 2012 से नोटिस आने शुरू हुए थे. लेकिन, ये नोटिस किसी गलत शख्स को भेजे जा रहे थे. वो शख्स न तो मस्जिद कमेटी का सदस्य था न ही किसी अन्य पद पर था."

बता दें कि मामले में कोर्ट से 44 बार नोटिस भेजा गया था.

लतीफ बताते हैं कि साल 2012 से मस्जिद में थोड़ा-थोड़ा करके निर्माण काम शुरू हो गया था. जैसे-जैसे चंदे के पैसे जमा होते गए, वैसे-वैसे निर्माण कार्य चलता रहा. उनका कहना है कि मुख्य रूप से निर्माण कार्य 2015 से 2020 के बीच हुआ है.

कोटखाई निवासी मोहम्मद लतीफ पहले भी संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं. साल 2012 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था. ताजा विवाद के बीच इस महीने वक्फ बोर्ड ने उन्हें फिर से मस्जिद कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है.

"मेरे इस्तीफा देने के बाद एक स्थानीय व्यक्ति ने अपनी मर्जी से कमेटी बना ली थी. उसी दौरान ये निर्माण काम हुआ है."
मोहम्मद लतीफ

संजौली मस्जिद के इमाम शहजाद ने बताया कि "जब निर्माण कार्य चल रहा था उस समय दूसरी कमेटी थी और उन लोगों ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया. 2023 में ये मामला वक्फ बोर्ड के संज्ञान में आया. केस तो 14 सालों से चल रहा है. वो लोग पेशी के लिए भी कभी नहीं गए."

संजौली मस्जिद के ढाई मंजिल से ऊपर के निर्माण पर विवाद है.

(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)

बता दें कि मामला शिमला नगर निगम आयुक्त की कोर्ट में चल रहा है. मोहम्मद लतीफ को भी कोर्ट से नोटिस जारी हुआ है. वो बताते हैं कि मस्जिद की मरम्मत के लिए वक्फ बोर्ड से उनके नाम से NOC जारी हुआ था. इस वजह से मामले में उन्हें भी नोटिस मिला है. वहीं साल 2023 में कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को मामले में पक्षकार बनाया है.

क्विंट हिंदी से बाचतीच में वक्फ बोर्ड के वकील बीएस ठाकुर ने कहा, "7 सितंबर 2023 को हम पहली बार कोर्ट में पेश हुए. हमने हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड की ओर से जवाब दाखिल किया और साथ की कुछ डॉक्यूमेंट्स भी लगाए हैं. उन डॉक्यूमेंट्स में एचपी वक्फ बोर्ड मालिक बताया गया है. केंद्र सरकार की अधिसूचना है."

वहीं क्विंट हिंदी ने पूरे मामले को लेकर शिमला नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री से भी संपर्क किया. हालांकि, उन्होंने मामला कोर्ट में विचाराधीन होने की वजह से बयान देने से मना कर दिया.

मामले में 5 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी.

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"अवैध हिस्से को सील कर दें"

गुरुवार, 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी ने नगर निगम आयुक्त से मस्जिद के कथित अवैध हिस्से को सील करने का आग्रह किया और अदालत के आदेश के अनुसार इसे ध्वस्त करने की पेशकश भी की है.

निगम आयुक्त को सौंपे ज्ञापन में कहा गया है, "हम निवेदन करते हैं कि नगर निगम उस हिस्से को सील कर दे, जिसको अवैध निर्माण कहा जा रहा है. यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है और हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करेंगे. अगर नगर निगम आयुक्त इजाजत दें, तो हम इस हिस्से को स्वयं हटाने को भी तैयार हैं."

12 सितंबर को नगर निगम आयुक्त को ज्ञापन सौंपते हुए संजौली मस्जिद कमेटी के सदस्य.

(फोटो: PTI)

इससे पहले बुधवार, 11 सितंबर को मस्जिद के खिलाफ हिंदूवादी संगठनों का उग्र विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला था. गुस्साए लोगों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी और पथराव भी किया था. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई थी. जिसके बाद पुलिस को उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा था. इस पूरी घटना में 6 पुलिसकर्मी घायल हुए थे.

11 सितंबर को शिमला में हिंदूवादी संगठनों के विरोध प्रदर्शन के दौरान वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा था.

(फोटो: PTI)

"1947 से पहले की मस्जिद"

शहजाद पिछले 22 सालों से संजौली मस्जिद के इमाम हैं. क्विंट हिंदी से बातचीत में वो बताते हैं कि "ये जो मस्जिद है, 1947 से पहले से पुख्ता मस्जिद है, जो कागजों में भी है."

इसके साथ ही वो कहते हैं, "ये संपत्ति वक्फ बोर्ड की है. जिस जमीन पर मस्जिद बनी है वह भी वक्फ बोर्ड की जमीन है."

हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड के स्टेट ऑफिसर केडी मान बताते हैं, "ये 1907 की जमाबंदी की मस्जिद है. उसके बाद 1941-42 के दस्तावेजों में भी मस्जिद की एंट्री है. अब तक के दस्तावेजों में मस्जिद की एंट्री है."

वो आगे बताते हैं,

"बंटवारे के समय में इसका कोई नुमाइंदा नहीं था. फिर केंद्र सरकार ने इसका सर्वे करवाया. 1954 में वक्फ एक्ट आने के बाद केंद्र सरकार की ओर से सर्वे कमीश्नर नियुक्त हुए. उन्होंने सही तरीके से सर्वे करवाया. सर्वे करने के बाद इसका 15 अगस्त 1970 को गजेट हो गया. फिर समय-समय से ये संपत्तियां बोर्ड के पास आईं."

कैसे सुर्खियों में आई मस्जिद?

सितंबर महीने से पहले तक संजौली मस्जिद में कथित अवैध निर्माण के खिलाफ सार्वजनिक विरोध नहीं देखा गया था. दरअसल, इस पूरे विवाद की शुरुआत एक लड़ाई से हुई.

संजौली से 8 किलोमीटर दूर मल्याणा गांव में 30 अगस्त को विक्रम सिंह नाम के शख्स के साथ कुछ लोगों द्वारा मारपीट की गई थी. FIR के मुताबिक, विक्रम सिंह का आरोप है कि मोहम्मद गुलनवाज ऊर्फ कुणाल ने अपने साथियों के साथ मिलकर उनके और दो अन्य लोगों के साथ मारपीट की थी. पुलिस ने BNS की धारा 126(2), 115(2) और 3(5) के तहत मामला दर्ज किया है.

ढली पुलिस थाने में दर्ज FIR की कॉपी

(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)

मारपीट की इस घटना के बाद, आरोप लगे कि वारदात को अंजाम देकर आरोपी संजौली मस्जिद में छिप गए थे. जिसके बाद हिंदू संगठनों का मस्जिद के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला.

हालांकि, मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने इन आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने कहा, "ये आरोप गलत हैं. मस्जिद में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. मैंने प्रशासन से अपील की है कि वो मस्जिद के सीसीटीवी फुटेज चेक कर सकते हैं."

इस मामले में पुलिस ने नामजद आरोपी गुलनवाज सहित 6 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें दो नाबालिग भी शामिल हैं.

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