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राफेल मुद्दे पर शिवसेना का बीजेपी पर वार,कहा-‘ठग्स ऑफ हिन्दुस्तान’

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने केंद्र की मोदी सरकार पर अपने ही अंदाज में हमला बोला है.

रौनक कुकड़े
भारत
Updated:
‘सामना’ के लेख में उद्धव ने बीजेपी पर हमला बोला
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‘सामना’ के लेख में उद्धव ने बीजेपी पर हमला बोला
(फोटो: altered by Quint Hindi)

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राफेल मुद्दे पर शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने केंद्र की मोदी सरकार पर अपने ही अंदाज में हमला बोला है. उद्धव ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में लिखे संपादकीय में केंद्र सरकार को 'ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ की उपमा दे डाली है.

उद्धव ने लिखा है, “बोफोर्स का भूत इतने वर्षों बाद भी कांग्रेस और गांधी परिवार का पीछा जिस तरह नहीं छोड़ रहा है, उसी तरह राफेल ने भी मोदी सरकार की गर्दन पकड़ ली है. पांच राज्यों में मिली हार के बाद बीजेपी सूतक में चली गई है और यह सूतक कम से कम महीने भर चलेगा. जब ऐसा लग रहा था तब राफेल मामले में मोदी सरकार को क्लीन चिट मिलने की बात कहकर अचानक जयघोष शुरू कर दिया गया."

'देश को राफेल मुद्दे पर फंसाया किसने?'

शिवसेना ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए सवाल किया है कि राफेल मामले पर देश को किसने फंसाया है. उद्धव ने अपने लेख में लिखा है, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले को समझना होगा. किसी को भी क्लीन चिट नहीं दी गई है. अब इसी सर्वोच्च नतीजे का बीजेपी पर ‘बूमरैंग’ हो गया है. बंद लिफाफे में सरकार ने राफेल सौदे के बारे में जो जानकारी कोर्ट के सामने लाई, उसी पर निर्भर रहकर कोर्ट ने अपने विचार रखे (नतीजा नहीं), लेकिन बंद लिफाफे की जानकारी ‘अर्धसत्य’ थी और अदालत ने कुछ तो गलत अर्थ लगा लिया है. ऐसा अब मोदी सरकार को कहना पड़ रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. इस पर सुप्रीम कोर्ट की हंसी उड़ी. मोदी सरकार बेनकाब हो गई और ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ नामक फ्लॉप फिल्म दिल्ली में फिर से चमक उठी. देश को निश्चित तौर पर फंसाया किसने? सरकार ने या सुप्रीम कोर्ट ने? इसकी जांच होनी चाहिए."

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सामना के एडिटोरियल में लिखा गया है- “अब ये सारा घोटाला मतलब ‘टाइपिंग’ या ‘ड्रॉफ्टिंग मिस्टेक’ होने की बात कहना मतलब वैचारिक दिवालियापन है. ‘सरकार ने अदालत को फंसाया?’ या ‘कोर्ट ने देश को फंसाया?’ इस तरह के सवाल उठे हैं.”

'आवाज उठानेवालों के खिलाफ पिटाईगीरी ही जवाब'

सामना में उद्धव ठाकरे इसके आगे लिखते हैं, "बोफोर्स मामले में शुरू-शुरू में छुपा-छिपी हुई और बाद में सभी की नाड़ियां खुल गर्इं. राफेल मामले में भी यही हो रहा है. मुख्य तौर पर इस मामले में ‘नाड़ा’ ही न होने से एक हाथ से कमर को संभालते हुए दूसरे हाथ से लड़ने का दिखावा किया जा रहा है. लेकिन इस झंझट में कमर की चीज छूट गई है. 126 विमानों की कीमत में सिर्फ 36 विमान क्यों? जहाजों की कीमत कितनी? एचएएल जैसी सरकारी कंपनी होने के बावजूद डूबती कंपनी को ऑफसेट पार्टनर क्यों बनाया? यह मुख्य सवाल है. इसकी जांच न करते हुए कोर्ट का मत प्रदर्शन करना चिंताजनक है. देश में सभी स्तर पर ढोंग और फंसाने का काम जारी है और आवाज उठानेवालों के खिलाफ पिटाईगीरी ही जवाब बन गया है. ‘सत्यमेव जयते’ पर ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान' ने मात कर ली है क्या?"

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Published: 17 Dec 2018,12:02 PM IST

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