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दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पिछले कुछ दिनों से जारी गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा. गुरुवार को कैंपस के अंदर मौजूद स्वामी विवेकानंद की मूर्ति को कुछ शरारती तत्वों ने नुकसान पहुंचाया है. न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक प्रतिमा पर कुछ लोगों ने पत्थर फेंककर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया.
प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ को JNUSU ने यूनिवर्सिटी को बदनाम करने की साजिश बताया है. यूनियन ने एक बयान में कहा, "तोड़फोड़ यूनिवर्सिटी के डेमोक्रेटिक कल्चर को बदनाम करने की दक्षिणपंथी ताकतों की साजिश है. वीसी, सरकार और ABVP फीस बढ़ोतरी के मुद्दे से ध्यान भटकाना चाहते हैं. हम छात्रों से संयम बरतने की अपील करते हैं."
असामाजिक तत्वों ने सिर्फ स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को नुक्सान ही नहीं पहुंचाया, बल्कि इसके साथ ही उन्होंने ने प्रतिमा के नीचे बने चबूतरे पर बीजेपी के लिए अभद्र संदेश भी लिख दिए. सोशल मीडिया पर क्षतिग्रस्त मूर्ति और उसके नीचे लिखे अभद्र बातों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं.
बता दें कि स्वामी विवेकानंद की यह मूर्ति जेएनयू कैंपस में प्रशासनिक ब्लॉक के दाईं तरफ मौजूद है. इसके ठीक सामने जवाहर लाल नेहरू की भी मूर्ति लगी हुई है. इस घटना के बारे में उस समय पता चला जब कुछ छात्र यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक ब्लॉक में कुलपति से मिलने पहुंचे थे.
NSUI नेता सनी धीमान ने इस घटना पर बयान देते हुए कहा, "हम इस घटना की निंदा करते हैं. जेएनयू कैंपस में विवेकानंद की प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ नहीं की गई, कुछ लोगों ने इसके चबूतरे पर लिखा था. मुझे नहीं लगता कि जेएनयू का कोई भी छात्र ऐसा कर सकता है. अब हमने इसे साफ कर दिया है.
पिछले कुछ दिनों से जेएनयू में छात्र यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों की प्रमुख मांगों में से एक हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी है. इसके अलावा सर्विस चार्ज, ड्रेस कोड, कर्फ्यू टाइमिंग और हॉस्टल संबंधी समस्याओं को लेकर छात्रों ने कई बार प्रदर्शन किया. इसी कड़ी में सोमवार को प्रदर्शनकारी छात्रों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई. छात्रों का आरोप है कि जेएनयू प्रशासन छात्रों के हितों के खिलाफ फैसले ले रहा है.
फीस बढ़ोतरी के खिलाफ जेएनयू छात्रों के बड़े विरोध प्रदर्शन के आगे यूनिवर्सिटी प्रशासन को झुकना पड़ा है. बुधवार को कॉलेज प्रशासन ने आखिरकार फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस ले लिया. शिक्षा सचिव आर. सुब्रमण्यन ने बताया कि एग्जिक्यूटिव कमेटी ने हॉस्टल फीस में वृद्धि और अन्य नियमों से जुड़े फैसले को वापस ले लिया है.
हालांकि जेएनयू के छात्र संघ के सदस्यों ने हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी को 'आंशिक रूप से वापस लेने' को ‘दिखावटी’ करार दिया है.
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