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JNU छात्रों के विरोध के आगे झुकी सरकार, बढ़ी फीस आंशिक रूप से वापस

छात्रों के भारी विरोध के बाद जेएनयू एग्जीक्यूटिव कमेटी का फैसला

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फीस वृद्धि के खिलाफ जेएनयू छात्रों के बड़े विरोध प्रदर्शन के आगे सरकार को झुकना पड़ा है. कॉलेज प्रशासन ने आखिरकार फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस ले लिया है.

शिक्षा सचिव आर. सुब्रमण्यन ने बताया कि एग्जिक्यूटिव कमेटी ने हॉस्टल फीस में वृद्धि और अन्य नियमों से जुड़े फैसले को वापस ले लिया है.

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यूनिवर्सिटी के कुलपति जगदेश कुमार ने कहा है कि एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने हॉस्टल टाइमिंग और ड्रेस कोड से जुड़े क्लॉज नए हॉस्टल मैनुअल में शामिल न करने का फैसला किया है.

कुलपति ने बताया है कि सामान्य छात्रों के लिए डबल सीटर हॉस्टल रूम का किराया 10 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया गया है, जबकि BPL कैटेगरी वाले छात्रों को इसका 50% शुल्क ही देना होगा.

गरीब छात्रों को आर्थिक मदद देने संबंधी योजना का प्रस्ताव

शिक्षा सचिव ने आर सुब्रमण्यम ने ट्वीट कर बताया कि एग्जिक्यूटिव कमेटी की बैठक में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराने से संबंधित योजना का प्रस्ताव भी पेश किया गया है.

लेकिन क्या प्रदर्शन खत्म हो गया है?

इसका जवाब JNU के छात्रों ने खुद ही दे दिया है. उनका कहना है कि ऐसे रोलबैक और सर्कुलर उन्होंने खूब देखें हैं. छात्रों का कहना है कि वाइस चांसलर सामने क्यों नहीं आ रहे हैं और छात्रों से बात क्यों नहीं कर रहे हैं. इसी के साथ-साथ जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के जनरल सेक्रेटरी ने क्विंट को बताया कि छात्रों का प्रदर्शन महज फीस के लिए नहीं है.

ट्वीट के जरिए कोई फैसला सुनाना सही नहीं है. वाइस चांसलर खुद बात करें.कंफ्यूजन बहुत ज्यादा है. वास्तव में क्या हुआ कुछ साफ नहीं है. क्या EWS में सारी कैटेगरी के लिए हुआ है या सिर्फ जनरल के लिए हुआ है
साकेत मून, उपाध्यक्ष, जेएनयू

साकेत का कहना है कि छात्रों की तीन मांग थी जो अब भी बनी हुई हैं, पहली मांग- वाइस चांसलर हमसे बातचीत करे. दूसरी मांग- ड्राफ्ट मैनुअल को पूरी तरह से वापस लिया जाए. तीसरी मांग- जो IHA मीटिंग 28 अक्टूबर 2019 को हुआ था, उसे रद्द कर दिया जाए. नई मीटिंग बुलाई जाए, जो जेएनयू के नियम कानून के तहत हो. छात्रों को भी इसमें शामिल किया जाए.

क्या थी जेएनयू छात्रों की मांग

जेएनयू छात्र हॉस्टल मैनुअल के ड्राफ्ट को वापस लेने की मांग कर थे. छात्रों की मांग थी, उनके हॉस्टल रूम का किराया बढ़ाए जाने का फैसला वापस लिया जाना चाहिए. इसके अलावा छात्रों का दावा है कि मैनुअल ड्राफ्ट में फीस वृद्धि के साथ-साथ ड्रेस कोड और कर्फ्यू के समय को लेकर भी प्रावधान थे.

जैसे विजिटर्स के लिए रात 10:30 के बाद हॉस्टल से निकलने का प्रावधान था. इसके अलावा लड़कों के कमरे में किसी लड़की या फिर लड़की के कमरे में किसी लड़के की एंट्री पर रोक लगाई गई थी. हॉस्टल के नियमों का पालन न करने पर 10,000 रुपये के जुर्माने का भी प्रस्ताव था.

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