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Supertech: सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा गिरफ्तार, मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप

Supertech Chairman RK Arora के खिलाफ दर्ज FIR में आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने आम जनता के साथ "धोखाधड़ी" की है.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा गिरफ्तार, मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप, 20 FIR दर्ज</p></div>
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सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा गिरफ्तार, मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप, 20 FIR दर्ज

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के प्रमोटर आरके अरोड़ा को मंगलवार (27 जून) को गिरफ्तार कर लिया. मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, आरके अरोड़ा से एजेंसी पिछले तीन दिनों से पूछताछ कर रही थी और पूछताछ के बाद केंद्रीय एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

20 से अधिक FIR दर्ज

NDTV के अनुसार, खरीदारों द्वारा दर्ज की गई शिकायतों के आधार पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सहित कई राज्यों में आरके अरोड़ा के खिलाफ 20 से अधिक एफआईआर दर्ज हैं.

क्या है आरोप?

ED ने कहा कहा, "खरीदारों ने आरोप लगाया था कि कंपनी और उसके निदेशक अपनी रियल एस्टेट परियोजनाओं में बुक किए गए फ्लैटों के बदले संभावित खरीदारों से अग्रिम राशि के रूप में धन इकट्ठा करके लोगों को धोखा देने की "आपराधिक साजिश" में शामिल थे. लेकिन वे इसका पालन करने और समय पर फ्लैटों का कब्जा देने में विफल रहे."

ईडी ने कहा था कि एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने आम जनता के साथ "धोखाधड़ी" की है.

पैसों का किया हेरफेर

ईडी ने आरोप लगाया कि जांच से पता चला कि सुपरटेक लिमिटेड और समूह की कंपनियों ने घर खरीदारों से पैसा इकट्ठा किया और परियोजनाओं/फ्लैटों के लिए बैंकों/वित्तीय संस्थानों से परियोजना विशेष टर्म लोन लिया. लेकिन धन को समूह की अन्य कंपनियों के नाम पर जमीन खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया, जिन्हें फिर से धन उधार लेने के लिए गारंटी के रूप में गिरवी रखा गया था.

मिंट ने ईडी के अधिकारियों के हवाले से कहा कि आगे की जांच में यह भी पता चला कि सुपरटेक समूह की कंपनियों ने वित्तीय कंपनियों को दिए गए लोन में चूक की और लगभग ₹1,500 करोड़ के ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) में बदल गए हैं.

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ED ने अप्रैल में भी की थी कार्रवाई

जांच एजेंसियों द्वारा सुपरटेक के अधिकारियों के खिलाफ ये कोई पहली कार्रवाई नहीं है. इस साल अप्रैल में प्रवर्तन निदेशालय ने ₹40 करोड़ मूल्य की संपत्ति जब्त की थी, जो कंपनी और उसके निदेशकों के स्वामित्व में थी. इसमें उत्तराखंड की 25 संपत्तियां और उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित मेरठ मॉल शामिल हैं.

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