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कोरोना वायरस के चलते पुरी की मशहूर जगन्नाथ रथ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई थी. जिसके बाद केंद्र सरकार और ओडिशा सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई. इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यात्रा को इजाजत दे दी है. कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार मंदिर समिति के साथ मिलकर यात्रा को आयोजिक करे, लेकिन इसमें स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं होना चाहिए.
बार एंड बेंच के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र ने रथ यात्रा को लेकर कई दलीलें रखीं.
इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यात्रा को लेकर सुझाव भी दिया और कहा कि भक्तों के लिए यात्रा का लाइव टेलीकास्ट भी किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के यात्रा को हरी झंडी देने के फैसले के बाद गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से भी कई ट्वीट किए गए हैं. उन्होंने आज के दिन को ओडिशा के लोगों और भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए खास बताया. इस दौरान शाह ने कहा कि पीएम मोदी न सिर्फ श्रद्धालुओं की भावनाओं को समझा, बल्कि लोगों के सुझाव भी लिए जिससे हमारी महान परंपरा कायम रही.
केंद्र सरकार और ओडिशा सरकार की तरफ से यात्रा को लेकर दी गई तमाम दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट अपने पहले आदेश में बदलाव को लेकर सुनवाई के लिए तैयार हो गया. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस मामले की फिर से सुनवाई की.
सुप्रीम कोर्ट में फिर से शुरू हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शंकराचार्य का जिक्र भी किया. बार एंड बेंच के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने यात्रा को रोकने का जो फैसला दिया था शंकराचार्य ने पहले उसका स्वागत किया, लेकिन अब विरोध कर रहे हैं.
केंद्र सरकार की तरफ से यात्रा को लेकर ये भी दलील दी गई कि इसमें सिर्फ उन्हीं पंडितों या लोगों को आने की इजाजत होगी, जिनका कोविड टेस्ट नेगेटिव आएगा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वो सिर्फ पुरी की रथयात्रा को लेकर इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, पूरे ओडिशा की नहीं. इस पर
सीजेआई बोबड़े ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया वो कोरोना संक्रमण को देखते हुए दिया गया था. उन्होंने कहा कि इस यात्रा में करीब 10-12 लाख लोग शामिल होते हैं. सीजेआई ने कहा कि हमें जानकारी मिली है कि 18वीं और 19वीं शताब्दी में भी इसी तरह की यात्रा संक्रमण के लिए जिम्मेदार रही थी.
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