Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस

इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर दायर की थी याचिका

पूनम अग्रवाल
भारत
Published:
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर दायर की थी याचिका
i
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर दायर की थी याचिका
(फोटो; iStock)

advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2018 को लेकर सरकार को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर रोक लगाने और मुख्य रिट पिटीशन की पेंडेंसी के दौरान फाइनेंस एक्ट 2017 के जरिए किए गए कुछ संशोधनों को लेकर दायर याचिका पर यह नोटिस जारी किया है.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने ये याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता की तरफ से प्रशांत भूषण कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कहा कि इलेक्शन कमीशन के इलेक्टोरल बॉन्ड पर आपत्ति दर्ज कराने के बावजूद बॉन्ड को लाया गया.

एडीआर ने ये कहते हुए याचिका दायर की:

‘देश में आने वाले दो महीनों में होने वाले आम चुनावों के लिए तीन महीने में बड़ी संख्या में चुनावी बॉन्‍ड उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इससे अप्रैल और मई में राजनीतिक पार्टियों को बड़ी कॉरपोरेट फंडिंग मिलेगी और यह चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.’

याचिका में आगे कहा गया है कि कॉरपोरेट फाइनेंसर अपनी पॉवर का इस्तेमाल अट्रैक्टिव कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त करने के लिए करते हैं. ये अक्सर पब्लिक इंट्रेस्ट की कीमत पर अपने प्रॉफिट के लिए कानून को पास करा लेते हैं. यही कारण है कि कई कॉरपोरेट राजनीतिक पार्टियों को फंड देना चाहती हैं.

इस एप्लीकेशन में चुनाव आयोग का एक लेटर भी है, जिसमें आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है. एप्लीकेशन में सरकार के एक झूठ का भी खुलासा किया गया है, जिसमें संसद में वित्त मंत्रालय के केंद्रीय राज्यमंत्री ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा था कि सरकार को चुनाव आयोग की तरफ कोई आपत्ति नहीं मिली है.

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

क्विंट की इंवेस्टिगेशन से हुआ था ये खुलासा

राजनीतिक पार्टियां कैसे फंड जुटाती हैं, इस पूरी प्रक्रिया में 'पारदर्शिता' लाने के नाम पर इलेक्टोरल बॉन्ड लाया गया था. इलेक्टोरल बॉन्ड लाने के वक्त ये बताया गया था कि बॉन्‍ड के जरिए कौन, किसको चंदा दे रहा है, इसकी जानकारी डोनर के अलावा और किसी को नहीं होगी, लेकिन क्विंट की इंवेस्टिगेशन से इस पर पड़ा पर्दा उठ गया.

हमारी इंवेस्टिगेशन से पता चला कि इलेक्टोरल बॉन्ड में ‘अल्फा-न्यूमेरिक नंबर’ छिपे हुए हैं, जिन्‍हें नंगी आंखों से देख पाना मुमकिन नहीं है, लेकिन दावे से उलट, इससे ये पता करना मुमकिन है कि किसने किसको भुगतान किया है.

दूसरे शब्दों में, एक तरफ कोई ये नहीं जान सकेगा कि किसने किस पार्टी को डोनेट किया है, वहीं ‘बिग ब्रदर’ के पास इस ‘अल्फा-न्यूमेरिक नंबर’ के जरिए पूरा ब्योरा होगा. ऐसे में सरकार के पास पूरा डेटा होगा, सिर्फ आपका बैंक अकाउंट ही नहीं, फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन, राजनीतिक दल के प्रति रुझान जैसे डेटा सरकार के पास होंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT