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सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई को केरल (Kerala) में कोविड महामारी (COVID-19) के बीच ईद-उल-जुहा (बकरीद) पर प्रतिबंधों में ढील देने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है. केरल में बकरीद (Eid al-Adha) के मौके पर तीन दिनों के लिए लॉकडाउन नियमों में ढील देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
दिल्ली के एक निवासी पीकेडी नांबियार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश में कावंड़ यात्रा को लेकर शुरू किए गए स्वत संज्ञान मामले में इंटरवेंशन याचिका दाखिल की थी.
बार एंड बेंच के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने कहा, "केरल सरकार ने आगामी बकरीद त्योहार को ध्यान में रखते हुए 18, 19 और 20 जुलाई को लॉकडाउन प्रतिबंधों में 3 दिनों की छूट की घोषणा की. ये जानकर आश्चर्य होता है कि केरल में लगातार चिंताजनक आंकड़े दिख रहे हैं, जबकि ज्यादातर दूसरे राज्यों ने अपनी स्थिति में सुधार किया है. ये दिखाता है कि फैसले में कोई मेडिकल सलाह नहीं ली गई, बल्कि राजनीतिक और सांप्रदायिक विचार थे."
इससे एक दिन पहले, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने बयान जारी कर केरल सरकार के बकरीद पर ढील देने के फैसले की आलोचना की थी और कहा था कि अगर सरकार अपना आदेश वापस नहीं लेती है तो वो इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होंगे.
IMA ने कहा कि राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच केरल सरकार के फैसले से उन्हें 'दुख' हुआ है और केरल सरकार यह निर्णय तब ले रही है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी भी सामूहिक समारोह के खिलाफ चेतावनी दी थी और कई राज्यों ने तीर्थ यात्रा रद्द कर दी है.
IMA ने अपने बयान में कहा, "जब जम्मू-कश्मीर ,उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे कई उत्तरी राज्यों ने सार्वजनिक सुरक्षा के मद्देनजर परंपरिक और लोकप्रिय तीर्थ यात्राओं को रोक दिया है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केरल के विद्वान राज्य ने यह निर्णय लिया है."
केरल सरकार ने घोषणा की थी कि राज्य में 21 जुलाई को मनाए जा रहे बकरीद को देखते हुए 18 जुलाई से 20 जुलाई तक लॉकडाउन प्रतिबंधों में छूट दी जाएगी. इस दौरान तीन कैटेगरी वाले इलाकों में सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई थी.
स्वास्थ्य मंत्रालय के 19 जुलाई के आंकड़ों के मुताबिक, केरल में अभी भी सवा लाख एक्टिव कोविड केस हैं.
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