Home News India बस एक मैसेज और मदद के लिए हाथ बढ़ाती थीं सुषमा-10 कहानियां
बस एक मैसेज और मदद के लिए हाथ बढ़ाती थीं सुषमा-10 कहानियां
सुषमा स्वराज ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्रालय की छवि बदलकर रख दी.
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सुषमा स्वराज ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्रालय की छवि बदलकर रख दी.
(फाइल फोटो: PTI)
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बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज आज भले ही हमारे बीच न हों, लेकिन भारत की विदेश मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल में उन्होंने जिस तरह से बेहतरीन काम किया, तमाम मौकों पर विदेश में मुसीबत में फंसे लोगों की हर मुमकिन मदद की, उसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. काम करने के अपने तेज-तर्रार अंदाज से सुषमा स्वराज ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्रालय की छवि बदलकर रख दी. जंग और संघर्ष वाले क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर भारतीयों को सुरक्षित निकालने में सुषमा स्वराज के योगदान का कोई सानी नहीं.
ऐसे ही 10 वाकयों का जिक्र हम यहां कर रहे हैं, जब पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ये बखूबी साबित किया कि उनसे मदद की गुहार लगाने वालों को वो कभी निराश नहीं करतीं.
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विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज ने जिस तरह ट्विटर का इस्तेमाल किया, उनसे बेहतर शायद ही किसी ने किया होगा. पीड़ित या उसकी तरफ से किसी ने भी एक ट्वीट करके अगर उन्हें या विदेश मंत्रालय को टैग कर दिया, तो समझिए मदद मिलना तय हो जाता था. एक बार सुषमा ने एक यूजर के ट्वीट पर जवाब देते हुए कहा था, "अगर आप मंगल ग्रह पर भी फंसे हों तो भारतीय दूतावास वहां भी आपकी आपकी मदद करेगा."
विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज की अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी यमन में संकट के दौरान अपनी निगरानी में लोगों को बड़े पैमाने पर सुरक्षित निकालने के मिशन की अगुआई है. इस बड़े मिशन को 'ऑपरेशन राहत' का नाम दिया गया, जिसमें 4,741 भारतीय नागरिकों और 48 देशों के 1,947 लोगों को बचाया गया था. सुषमा स्वराज की पहल पर इसी तरह के रेस्क्यू ऑपरेशन लीबिया और इराक में भी किए गए, जहां से सैकड़ों भारतीय नागरिकों को बचाया गया.
यमन संकट के दौरान, स्वराज ने तुरंत एक यमनी महिला सबा शॉवेश के एक ट्वीट का जवाब दिया, जो अपने आठ महीने के भारतीय बच्चे के साथ वहां फंसी हुई थी. सुषमा ने उसकी मदद भी सुनिश्चित की.
सुषमा ने उस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए एक आदमी की बहन को बचाया, जिसे यूएई में एक मानव तस्करी गिरोह ने पकड़ रखा था.
स्वराज ने एक भारतीय लड़की को बचाया, जो बिना पासपोर्ट और पैसे के जर्मनी में फंसी हुई थी.
पांच साल की एक पाकिस्तानी लड़की को जब लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ी, तो स्वराज ने उसकी मदद करके इंसानियत की मिसाल पेश की.
सऊदी अरब में घरेलू सहायिका के तौर पर काम करने वाली एक भारतीय महिला का हाथ उसके मालिक ने काट दिया था. सुषमा ने इस मामले पर कड़ा विरोध जताते हुए सऊदी अरब से आरोपी के खिलाफ कड़ी सजा की मांग की थी.
ऐसे कई मौके आए, जब सुषमा ने विदेशों में काम करने वाले उन भारतीयों को उनका पासपोर्ट वापस दिलवाने के लिए हर संभव मदद मुहैया करवाई, जिन्हें उनके एम्प्लॉयर ने जब्त कर लिया था.
जब सुनने और बोलने में असमर्थ गीता नाम की एक भारतीय लड़की की खबर मीडिया में आयी, जो पाकिस्तान में फंसी हुई थी, तो स्वराज ने उसे भारत वापस लाने और उसे उसके परिजनों को सौंपने के लिए कोशिशें की. इसी तरह भारत में फंसे एक पाकिस्तानी लड़के की मदद करके उसे भी अपने देश वापस भिजवाया.
एक बार पाकिस्तान की महिला नीलिमा गफ्फार के पति ने सुषमा स्वराज से अपनी बीमार पत्नी को भारत में इलाज के लिए वीजा को मंजूरी देने की गुजारिश की थी, जिस पर सुषमा ने ट्विटर पर उसके वीजा को मंजूरी की जानकारी दी थी.
इसी साल मई में सऊदी अरब में फंसे हैदराबाद के हाफिज मुहम्मद बहाउद्दीन को वहां से निकालने में सुषमा ने मदद की थी.
हालांकि इन सभी बातों का बहुत श्रेय सुषमा स्वराज को जाता है, लेकिन उन्होंने अक्सर इन उपलब्धियों के लिए अपनी टीम को श्रेय दिया है.