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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने तीन नए कृषि कानूनों (Three new farm laws) को वापिस लेने का ऐलान कर दिया है. 19 नवंबर को नए कृषि कानूनों को ऐतिहासिक बताने वाली मोदी सरकार ने किसान आंदोलन (farmer Protest) के करीब एक साल बाद यू-टर्न (Modi Government U Turn) ले लिया. 600 से ज्यादा किसानों की जान लीलने वाले कानूनों पर लिया गया मोदी सरकार का यू टर्न पहली बार नहीं है. बीजेपी नेता कहते हैं कि पीएम मोदी कभी अपने फैसलों पर झुकते नहीं, लेकिन कृषि कानून ही नहीं इससे पहले भी कई ऐसा उदाहरण हैं जहां मोदी सरकार ने अपने ही बड़े फैसलों पर यू-टर्न लिया है.
अगस्त 2015 में सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून पर पैर पीछे खींचे थे, इसको लेकर विपक्ष ने संसद में खूब हंगामा किया था. इतना ही नहीं तब बीजेपी के साथ रहने वाली शिवसेना जैसी पार्टियों ने भूमि अधिग्रहण कानून पर बेजेपी का साथ नहीं दिया था और 15 महीने तक अडिग रहने के बाद आखिरकार पीएम मोदी ने मन की बात में कदम वापस खींचने का ऐलान किया था.
अक्टूबर 2020 में जीएसटी को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विवाद था, वजह ये थी कि राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिए कर्ज कौन लेगा. इस पर केंद्र ने कहा कि राज्य सरकारें ये कर्ज लें. लेकिन केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही. जिसके बाद उनके साथ 9 और राज्य भी आ गए. नतीजा ये हुआ कि केंद्र सरकार ने यू-टर्न लेते हुए कर्ज लेने का फैसला कर लिया. इससे पहले जब जीएसटी कानून लाया गया तो उसमें लगातार बदलाव किये जाते रहे.
जून 2021 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कोरोना वैक्सीन को लेकर कहा था कि दिसंबर तक देस में 135 करोड़ डोज उपलब्ध होंगी, जब मई में केंद्र सरकार ने 216 करोड़ डोज उपलब्ध होने का दावा किया था. इसके अलावा सरकार ने अपनी ही कोरोना वैक्सीन लगाने की पॉलिसी पर भी यू-टर्न लिया. पहले मोदी सरकार ने वैक्सीन लगाने की जिम्मेदारी राज्यों को दी और फिर 7 जून को पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कोरोना वैक्सीन केंद्र सरकार द्वारा लगाने का ऐलान कर दिया.
वित्त मंत्रालय ने अप्रैल 2021 में छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें कम करने का फैसला किया था, लेकिन 24 घंटे के अंदर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने ये फैसला वापस लेने का ऐलान किया. जिसको लेकर उस वक्त विपक्ष ने सरकार पर खूब तंज कसे थे.
भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी ने 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान 100 दिन में काला धन वापस लाने का वादा किया था. लेकिन 7 साल बाद भी काला धन वापस नहीं आ सका.
केंद्र सरकार ने नवंबर 2018 में संसदीय समिति को दी गई अपनी एक रिपोर्ट वापस ले ली, जिसमें कहा गया था कि नोटबंदी की वजह से किसान खाद और बीज नहीं खरीद सके थे. मोदी सरकार ने इससे यू-टर्न लेते हुए कहा नई रिपोर्ट में कहा कि, नोटबंदी का कृषि क्षेत्र पर अच्छा असर पड़ा.
मार्च 2016 में कर्मचारी भविष्य निधि का पैसा निकालने पर तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट के दौरान टैक्स लगाने की घोषणी की थी, लेकिन कुछ समय बाद ही सरकार ने इस पर यू-टर्न लिया और फैसला वापस ले लिया.
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