प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 19 नवंबर को देश के नाम संबोधन के दौरान तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों (farm laws)को वापस लेने की घोषणा की है. लगभग 358 दिन पहले, 26 नवंबर 2020 को, किसान विवादास्पद कानूनों का विरोध करते हुए राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर एकत्र हुए थे.
पीएम मोदी के मुताबिक “नेक नीयत” से लाये इस कानून के 17 सितंबर, 2020 को पास होने और 19 नवंबर, 2021 को इसको वापस लेने के बीच किसानों के संघर्ष, सरकार के साथ बातचीत का दौरा और कभी ठंड- कभी गाड़ियों के नीचे कुचलकर मरने वाले किसानों के मौत की टाइमलाइन है. डालते हैं इसपर एक नजर.
5 जून, 2020: केंद्र सरकार ने पहली बार तीन कृषि विधेयकों -कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020- को सामने लाया.
14 सितंबर, 2020: सरकार इस दिन तीनों कृषि विधेयकों को संसद में लेकर आई.
17 सितंबर, 2020: तीनों कृषि विधेयक लोकसभा में पारित हो गया. 20 सितंबर 2020 को राज्यसभा में भी ध्वनिमत से इन विधेयकों को पारित कर दिया गया.
24 सितंबर, 2020: कृषि कानून पारित होने के बाद पहली बार किसानों का प्रदर्शन शुरू हुआ और पंजाब में किसानों ने तीन दिवसीय रेल रोको की घोषणा कर दी.
25 सितंबर, 2020: पंजाब में किसानों के तीन दिवसीय रेल रोको कार्यक्रम की घोषणा के अगले ही दिन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान के जवाब में पूरे भारत के किसान सड़कों पर उतर गये.
27 सितंबर, 2020: संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कृषि विधेयकों पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुहर लगा दी और इसे भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया. इसके बाद यह कृषि कानून बन गए.
25 नवंबर, 2020: जहां 3 नवंबर को देशभर किसानों ने सड़कों की नाकेबंदी सहित नए कृषि कानूनों के खिलाफ छिटपुट विरोध किये वहीं 25 नवंबर को किसान आंदोलन की सही अर्थो में शुरुआत हुए. इसी दिन पंजाब और हरियाणा में किसान संघों ने 'दिल्ली चलो' आंदोलन का आह्वान किया. हालांकि इसके बाद दिल्ली पुलिस ने कोविड -19 प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए दिल्ली तक मार्च करने के किसानों के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया.
26 नवंबर, 2020: दिल्ली की ओर मार्च करते हुए आगे बढ़ते किसानों पर हरियाणा के अंबाला जिले में पुलिस ने पानी की बौछार की और उनपर आंसू गैस के गोले दागे. बाद में पुलिस ने उन्हें उत्तर-पश्चिम दिल्ली के निरंकारी मैदान में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दे दी.
28 नवंबर, 2020: पहली बार सरकार ने किसानों से बातचीत करने की कोशिश की जब गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों के साथ बातचीत के लिए सामने आगे. शर्त रखी गयी कि किसान पहले दिल्ली बॉर्डर खाली करें और बुराड़ी में बताये गए विरोध स्थल पर चलेजाए. हालांकि किसानों ने गृह मंत्री अ के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और मांग की कि उन्हें जंतर-मंतर पर धरना देने की अनुमति दी जाए.
3 दिसंबर, 2020: बढ़ते किसान आंदोलन बीच सरकार और किसान एक मंच पर आये. सरकार ने किसानों के प्रतिनिधियों के साथ पहले दौर की बातचीत की, लेकिन बैठक बेनतीजा रही.
5 दिसंबर, 2020: पहले दौर की बैठक के 2 दिन ही बाद किसानों और केंद्र के बीच दूसरे दौर की बातचीत हुए. इस बार भी यह बैठक बेनतीजा रही.
8 दिसंबर, 2020: कृषि आंदोलन की रफ्तार तेज करते हुए किसानों ने भारत बंद बुलाया. अन्य राज्यों के किसानों ने भी इस आह्वान का समर्थन किया.
9 दिसंबर, 2020: किसान नेताओं ने कृषि कानूनों में संशोधन के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया और 11 दिसंबर को भारतीय किसान संघ ने कृषि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी.
13 दिसंबर, 2020: इस दिन किसानों के इस आंदोलन में 'टुकड़े-टुकड़े' नैरेटिव की एंट्री हुई जब केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने किसानों के विरोध प्रदर्शन में 'टुकड़े-टुकड़े' गैंग के हाथ होने का आरोप लगाया.
30 दिसंबर, 2020: सरकार और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की बातचीत हुई. केंद्र ने किसानों को पराली जलाने के जुर्माने से छूट देने और बिजली संशोधन विधेयक, 2020 में बदलाव से पीछे हटने पर सहमति व्यक्त की. इसके बाद 4 जनवरी को भी सरकार और किसान नेताओं के बीच सातवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही क्योंकि केंद्र सरकार कृषि कानूनों पर पीछे हटने को तैयार नहीं थी.
12 जनवरी, 2021: सुप्रीम कोर्ट ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी और सभी स्टेकहोल्डर्स को सुनने के बाद कानूनों पर सिफारिशें करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया.
26 जनवरी, 2021:गणतंत्र दिवस पर कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान संघों द्वारा बुलाई गई ट्रैक्टर परेड के दौरान हजारों प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए. लाल किले पर प्रदर्शनकारियों का एक वर्ग खंभों और दीवारों पर चढ़ गया और निशान साहिब का झंडा फहराया. हंगामे में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई.
28 जनवरी, 2021: दिल्ली के गाजीपुर सीमा पर तनाव तब बढ़ गया जब गाजियाबाद जिले में प्रशासन ने किसानों को रात में साइट खाली करने का आदेश जारी किया. शाम तक प्रदर्शनकारियों ने वहां डेरा डाल दिया और बीकेयू के राकेश टिकैत सहित उनके नेताओं ने कहा कि वे नहीं हटेंगे.
18 फरवरी, 2021: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने देशव्यापी 'रेल रोको' विरोध का आह्वान किया. देश भर के स्थानों पर ट्रेनों को रोक दिया गया, रद्द कर दिया गया और उनका मार्ग बदल दिया गया.
06 मार्च, 2021: इस दिन तक दिल्ली की सीमा पर किसानों ने 100 दिन पूरे कर लिए थें.
27 मई, 2021: किसानों ने आंदोलन के छह महीने पूरे होने के मौके को 'ब्लैक डे' के रूप में मनाया और सरकार का पुतला जलाया. किसान नेताओं ने कहा था कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 2024 तक आंदोलन जारी रहेगा. राकेश टिकैत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह भी दोहराया कि किसान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद ही अपना विरोध प्रदर्शन बंद करेंगे.
28 अगस्त, 2021: कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन एक बार फिर सुर्खियों में आया जब हरियाणा पुलिस ने करनाल में किसानों पर कार्रवाई की. राष्ट्रीय राजमार्ग पर बस्तर टोल प्लाजा पर पुलिस लाठीचार्ज में कई किसान घायल हो गए. किसानों ने बड़ी संख्या में करनाल पहुंचकर मिनी सेक्रेट्री का घेराव किया. किसानों ने मृतक किसान काजल के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा और उनके रिश्तेदार के लिए सरकारी नौकरी सहित तीन प्राथमिक मांगें रखीं. 11 सितंबर को हरियाणा सरकार ने मांग मान ली.
3 अक्टूबर, 2021: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे ने विरोध कर रहे किसानों के एक समूह को कथित तौर पर कुचल दिया, जिसमें चार की मौत हो गई. यूपी पुलिस अब तक मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा समेत 10 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.
29 अक्टूबर, 2021: दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर सीमा से बैरिकेड्स हटाना शुरू किया, जहां किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थें. ऐसा ही नजारा टिकरी बॉर्डर पर भी देखने को मिला.
19 नवंबर, 2021: पीएम मोदी ने देश के नाम संबोधन के दौरान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की.
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